छीन लो पाकिस्तान के एटमी हथियार
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा पूरी दुनिया की चिंता बन गई है। एक गैर …
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा पूरी दुनिया की चिंता बन गई है। एक गैर जिम्मेदार राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार होना भविष्य में तबाही का कारण बन सकते हैं। ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं कि जिस तरह से पाकिस्तान के हालात हैं वहां कुछ भी हो सकता है। पाकिस्तानी फौज वहां की सरकार के काबू में नहीं और पाकिस्तानी सेना का आतंकवाद से गहरा रिश्ता है। आने वाले दिनों में हो सकता है िक पाकिस्तान के परमाणु हथियारों तक आतंकवादियों की पहुंच हो जाए। पाकिस्तान का परमाणु शक्ति होना मानव सभ्यता पर बड़ा खतरा है और जैसे-जैसे आतंकवाद बढ़ेगा यह खतरा बढ़ता ही जाएगा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश करार दिया था। अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी ऐसे ही बयान दे चुके हैं। जब भी भारत से उसका टकराव बढ़ता है तब पाकिस्तान का छोटा-बड़ा नेता भारत को परमाणु हथियारों की धमकी देने लगता है। भारत ने इस बार उसकी परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे झुकने से साफ इंकार कर दिया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की धरती पर खड़े होकर दुनिया के सामने यह सवाल किया कि क्या एक धूर्त राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के एटमी हथियारों को अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजैंसी को अपनी निगरानी में ले लेना चाहिए। रक्षामंत्री का इशारा साफ है कि पाकिस्तान से परमाणु बम छीन लेने चाहिएं। पाकिस्तान के एटमी हथियारों की निगरानी इसिलए भी जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान परमाणु अप्रसार संधि यानि एनपीटी का सदस्य नहीं है। पाकिस्तान ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर भी नहीं किए हैं। इससे पाकिस्तान की परमाणु गतििवधियां नजरों में नहीं रहतीं। अब दुनियाभर में न्यूक्लियर स्नैच ऑपरेशन की बात की जा रही है। हैरानी की बात तो यह है कि अमेरिका ने रासायनिक हथियारों के संदेह में इराक में विध्वंस का खेल खेला और सद्दाम हुसैन का तख्ता पलट किया। अमेरिका ने लीबिया में कर्नल गद्दाफी का शासन उखाड़ फैंका। अमेरिका जो अभी तक ईरान के परमाणु कार्यक्रम का विरोध करता आ रहा है, वह पाकिस्तान को लेकर ज्यादा मुखर क्यों नहीं है। कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान के परमाणु बम के पीछे एक रहस्य है जिसमें चोरी, विश्वासघात और अन्तर्राष्ट्रीय साजिश का ताना-बाना बुना गया है। पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक माने गए अब्दुल कादिर खान का जन्म भारत के भोपाल में हुआ था। 1947 में उनका परिवार कराची चला गया था। उसने पाकिस्तान में धातुकर्म में डिग्री हासिल की आैर उच्च शिक्षा के लिए यूरोप चला गया। 1972 में उसने नीदरलैंड की एक कम्पनी यूरेनको में नौकरी कर ली। यूरेनको परमाणु रिएक्टरों के लिए यूरेनियम संवर्धन की तकनीक विकसित करती थी। खान को यहां तकनीकी अनुवादक और इंजीनियर के तौर पर काम मिला और यहीं से शुरू हुई परमाणु तकनीक की चोरी की कहानी।
अब्दुल कादिर खान की नौकरी यूरेनको में साधारण थी, लेकिन उनकी पहुंच संवेदनशील दस्तावेजों और ब्लूप्रिंट तक थी। वह सेंट्रीफ्यूज तकनीक के बारे में सीख रहे थे, जो यूरेनियम को संवर्धित करने का सबसे प्रभावी तरीका था। यह तकनीक परमाणु बम बनाने की कुंजी थी। 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण की खबर ने खान को झकझोर दिया। उन्होंने महसूस किया कि यह उनके लिए देशभक्ति दिखाने का मौका है लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ ऐसा करना था, जो नैतिकता और कानून की सीमाओं से परे था। अब्दुल कादिर ने यूरेनको के गोपनीय दस्तावेजों की चोरी शुरू कर दी। उन्होंने सेंट्रीफ्यूज डिजाइनों, ब्लूप्रिंट्स और तकनीकी नोट्स को कॉपी करना शुरू किया। यह कोई छोटी-मोटी चोरी नहीं थी। ये दस्तावेज विश्व की सबसे संवेदनशील तकनीकों में से एक थे। खान ने अपने घर में इन दस्तावेजों को छिपाया और धीरे-धीरे उन्हें पाकिस्तान भेजने की योजना बनाई लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था। यूरेनको में सुरक्षा कड़ी थी और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जाती थी।
खान ने अपनी चालाकी से दस्तावेजों को पाकिस्तान पहुंचाया और खुद भी नीदरलैंड से पाकिस्तान लौट आया। 18 मई, 1974 को इंदिरा गांधी शासनकाल में भारत ने राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण किया तो पूरी दुनिया में हलचल मच गई थी। पाकिस्तान के लिए यह केवल सैन्य प्रतिस्पर्धा का सवाल नहीं था, बल्कि भारत से ईष्या का भी था। तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने ऐलान किया कि पाकिस्तान भी हर कीमत पर बम बनाएगा चाहे उसे भूखा ही क्यों न रहना पड़े। भुट्टो ने चोर अब्दुल कादिर को परमाणु कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी। चीन ने पाकिस्तान की मदद की। 1998 में पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किए। हद तो तब हो गई जब इस बात का भंडाफोड़ हुआ िक अब्दुल कादिर ने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक बेच डाली। दुनिया के दबाव में पाकिस्तान सरकार ने अब्दुल कादिर को नजरबंद कर दिया लेकिन उसे सजा नहीं दी गई। अब्दुल कादिर खान हिन्दुओं से नफरत करता था और उन्हें दुष्ट कहता था। अंत में उसे माफ कर िदया गया। इस तरह एक परमाणु तस्कर पाकिस्तान ने अपना हीरो बनाया। अब देखना यह है कि क्या अमेरिका आैर अन्य देश पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को काबू करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु एजैंसी किस हद तक आगे बढ़ती है। एक जेहादी मुल्क के पास परमाणु हथियार होने ही नहीं चाहिए।