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तेजस का तेज

01:40 AM Dec 01, 2023 IST | Aakash Chopra

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 नवम्बर को बेंगलुरु में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की साइड पर हल्के लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी। उड़ान भरने के बाद प्रधानमंत्री ने काफी गर्व महसूस किया। जिस तेजस विमान की चर्चा फिर से शुरू हुई है उसका अपना सफरनामा काफी संघर्षपूर्ण रहा है। इस विमान को बनाने में 33 वर्ष लग गए। जिस विमान के निर्माण में लगातार बाधाएं आती रही हैं आज उसी विमान के लिए दुनिया लाइन लगाकर खड़ी है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपिन्स समेत छह देशों ने भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदने में रूचि दिखाई है। इसके अलावा अर्जेंटीना, नाइजीरिया और मिस्र को भी तेजस को निर्यात करने की सम्भावनाएं तलाशी जा रही हैं।
सबसे पहला सवाल तो शायद आपके मन में यह आ रहा होगा कि भारत ने यह विमान क्यों बनाना शुरू किया? तो इसका सीधा और आसान जवाब यह है कि पिछले पांच दशकों में 400 से ज्यादा मिग-21 विमान क्रेश हुए, जिसकी वजह भारतीय सरकार मिग-21 की जगह कोई दूसरा ऑप्शन तलाश कर रही थी जो मिग-21 से कई मायनों में बेहतर हो और हुआ भी कुछ ऐसा ही। तेजस मिग-21 की जगह लेने में कामयाब हो गया।
भारतीय वायु सेना में हल्के विमान शामिल करने की जद्दोजहद साल 1983 में ही हो चुकी थी। सरकार की तरफ से इसका ग्रीन सिग्नल मिलते ही इस पर काम शुरू हो चुका था। उस वक्त साइंटिस्ट्स के सिर्फ दो ही मकसद थे, पहला यह कि मिग-21 की जगह एक बेहतर फाइटर जेट तैयार करना है वहीं दूसरा यह था कि जो विमान तैयार किया जा रहा है वो हल्का भी होना चाहिए, 1983 से लेकर साल 2001 तक इसके पीछे कड़ी मेहनत हुई और जनवरी 2001 में जब देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे तो इस विमान ने पहली उड़ान भरी थी।
इस विमान को बनाने की जद्दोजहद 1983 में ही शुरू हो गई थी लेकिन एक के बाद एक मु​सीबतें आती रहीं। पहले 1983 में शुरू की गई। स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में पोखरण में किए गए परमाणु विस्फोटों के चलते अमेरिका सहित कई देशों ने भारत पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। तब दुनिया दो खेमों में बंटी थी। एक खेमा अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ का था। प्रतिबंधों के चलते भारत को कई ​उपकरण मिलना बंद हो गए थे। 1998 में अटल बिहारी के शासनकाल में भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने इस परियोजना को लगभग रोक दिया था। क्योंकि इससे कुछ आयातित प्रौद्योगिकियों तक पहुंच बंद हो गई थी। इन प्रतिबंधों के चलते परियोजना दो दशक पीछे धकेल दी गई थी लेकिन धीरे-धीरे परिस्थितियां बदलीं। देशों के बीच संबंधों की नई परिभाषाएं गढ़ी गईं। 1983 से लेकर 2001 तक इसके पीछे कड़ी मेहनत हुई और 4 जनवरी 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल ​बिहारी वाजपेयी ने इस विमान में पहली उड़ान भरी। अटल बिहारी वाजपेयी ने इस विमान को तेजस का नाम दिया था। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तेजस विमान को उड़ाने वाले पहले मंत्री बने। तभी उन्होंने देश को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया था।
भारतीय वायुसेना रक्षा मंत्रालय ने अब तक कुल 324 तेजस विमान खरीदने के लिए एचएएल के साथ अनुबंध किया। इस विमान की कई खासियतें हैं। यह विमान स्पीड का सौदागर है। तेजस को एल्युमीनियम, लीथियम एलॉय, कार्बन फाइबर कंपोजिट्स और टाइटेनियम एलॉय स्टील से बनाया गया है। इस वजह से तेजस दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में काफी हल्का है। इसका वजन केवल 6560 किलोग्राम है। साथ ही इसकी ताकत भी अपनी पीढ़ी के दूसरे विमानों से कम नहीं है। तेजस की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसके 50 फीसदी कलपुर्जे भारत में बने हैं। फरवरी 2019 में इसे एयरफोर्स में शामिल किया गया। तेजस हल्के वजन में बेहद कारगर लड़ाकू विमान है क्योंकि वह 1.6 मैक की स्पीड से उड़ान भरता है। साथ ही इसे लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए कम जगह की जरूरत पड़ती है। इसकी वजह से इसके लिए हथियार ले जाना न केवल आसान है बल्कि दुर्गम क्षेत्रों में लैंडिंग और टेक ऑफ में आसानी रहती है। इसमें लगे रडार हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों में कारगर हैं। साथ ही यह हर तरह के मौसम में काम करने में सक्षम है। ये सारी खूबियां तेजस को एक अनोखा विमान बनाती हैं जो अपनी पीढ़ी के दूसरे विमानों पर भारी पड़ता है। इन खूबियों की वजह से इसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।
मोदी सरकार रक्षा उत्पादों के स्वदेशी उत्पादों पर लगातार जोर दे रही है। अब भारत में ही रक्षा उपकरण के भी निर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान एमके-2 तेजस के लिए संयुक्त रूप से इंजन का उत्पादन करने के लिए भी एचएएल के साथ समझौता हो चुका है। तेजस में समय-समय पर परिवर्तन किये जाते रहे हैं। अब इनके अपग्रेडेड वर्जन 2024 से लेकर 2028 के बीच तैयार किए जाएंगे।

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