Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

उड़ते पंजाब का काला सच

पंजाब में नशे की तस्वीरें खौफनाक होती जा रही हैं। ड्रग आेवरडोज की वजह से एक माह में 24 युवाओं की मौत पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पंजाब विधानसभा

10:39 PM Jul 03, 2018 IST | Desk Team

पंजाब में नशे की तस्वीरें खौफनाक होती जा रही हैं। ड्रग आेवरडोज की वजह से एक माह में 24 युवाओं की मौत पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पंजाब विधानसभा

पंजाब में नशे की तस्वीरें खौफनाक होती जा रही हैं। ड्रग आेवरडोज की वजह से एक माह में 24 युवाओं की मौत पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। पंजाब विधानसभा चुनावों में नशा एक बड़ा मुद्दा रहा। कैप्टन अमरिन्द्र सिंह ने वायदा किया था कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद ड्रग्स के तस्करों पर लगाम लगाई जाएगी और दोषियों को जेल भेज दिया जाएगा। लगभग सभी दलों ने नशे पर काफी सियासत की। सियासत अब भी हो रही है। अंतर सिर्फ इतना है कि 15 महीने पहले दुखती नब्ज अकाली-भाजपा सरकार की हुआ करती थी और उसे दबाने वाले हाथ कांग्रेस के थे। अब नब्ज कांग्रेस की है और उसे दबा रहे हैं विपक्षी दल। विपक्ष आक्रामक हो गया है, लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है।

कैप्टन अमरिन्द्र सिंह काफी दबाव में हैं, इसीलिए उन्होंने आनन-फानन में मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर ड्रग्स तस्करों को फांसी देने की सिफारिश केन्द्र से कर दी। विपक्ष ने गेंद मुख्यमंत्री की ओर फैंकी और मुख्यमंत्री ने गेंद बड़ी चतुराई से केन्द्र के पाले में डाल दी। युवाओं की मौतों को लेकर दिए जा रहे तर्क भी बिना सिर-पैर के लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि डी एडीक्शन दवाओं की ओवरडोज से मौतें हो रही हैं, कोई कह रहा है कि ड्रग ‘कट’ यानी हेरोइन में पाउडर की मिलावट हो रही है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कह रहे हैं कि कैप्टन सरकार की सख्त कार्रवाई के चलते हेरोइन आैर स्मैक की सप्लाई लाइन टूट गई है जिससे नशीले पदार्थों की कमी पैदा हो गई है। कमी को पूरा करने के लिए नई तरह का मिश्रण बनाकर युवाओं को दिया जा रहा है, जिसकी डोज लेने से युवकों की मौतें हुई हैं। सच यही है कि पंजाब नशे में उड़ता जा रहा है। नशों का मुद्दा अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान उस समय उठा था जब एक ड्रग तस्कर ने तत्कालीन राजस्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया और अन्य का नाम लिया था। मजीठिया से कई बार पूछताछ भी की गई। जांच कमेटियों ने भी रिपोर्ट सरकार को सौंपी लेकिन बड़ी मछलियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, छोटी-छोटी मछलियों यानी सप्लायरों और एजेंटों को पकड़ लिया गया, थोक के व्यापारियों पर हाथ नहीं डाला गया।

अगर आंकड़ों की बात करें तो पंजाब के शहरी और ग्रामीण इलाकों में यह कहानी आम है। कई स्वतंत्र शाेध और सर्वे के मुताबिक राज्य की 15 से 35 साल के बीच की उम्र की 70 फीसदी से ज्यादा आबादी नशे की समस्या से जूझ रही है। शोध से पता चलता है कि पंजाब में 13 साल की उम्र में ही किशोर नशा लेना शुरू कर देते हैं। संयुक्त राष्ट्र के इंटरनैशनल क्लासिफिकेशन सर्वे से पता चलता है कि पंजाब के दोआबा, मालवा और माझा क्षेत्र के 60 फीसदी से ज्यादा परिवारों में कम से कम एक शख्स नशे का आदी है। 7,000 से ज्यादा मरीज हर साल राज्य के नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज कराते हैं।

ये आंकड़े गंभीर हालात को बयां करते हैं और हर दिन स्थिति ज्यादा खराब होती जा रही है। यह एक बड़ी समस्या है कि नशे के आदियों के बारे में कोई भी आधिकारिक आंकड़े मौजूद नहीं हैं, इसलिए ये आंकड़े ज्यादा या कम सटीक हो सकतेे हैं। जब राहुल गांधी ने पंजाब में एक चुनावी सभा में कहा था कि राज्य के हर 10 में से सात युवा नशे के आदी हैं, जिससे कोहराम मच गया था और अकाली दल व भारतीय जनता पार्टी ने इस टिप्पणी को गलत बताया था। उड़ते पंजाब का काला सच यही है कि कई गांव नशे के गढ़ बन चुके हैं। जेलों में भी ड्रग्स की सप्लाई हो रही है।

राज्य की पुलिस पर नशा रोकने की जिम्मेदारी है, उन्हीं में कुछ खुद नशे की दलदल में उतर चुके हैं। वर्दी वाले न केवल खुद नशा करते हैं बल्कि करवा भी रहे हैं। सीमा पर तस्करी को लेकर, उसे युवाओं तक पहुंचाने, पकड़े गए नशे को खुद बिकवाने और फिर तस्करों को बरी करवाने तक में उनकी भूमिका उजागर हो चुकी है। पिछले एक वर्ष में सरकार द्वारा गठित एसटीएफ ने जितने भी बड़े मामले पकड़े उनकी जड़ कहीं न कहीं पुलिस तक पहुंची है। पुलिस पर लगे युवाओं को नशे में धकेलने के आरोपों ने पुलिस विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। हेरोइन का नशा करने वाले कुछ पुलिस कर्मियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुए हैं। नशे के पैसे से जिन पुलिस अफसरों ने अकूत सम्पत्ति अर्जित की, वह अपने पदों पर बने हुए हैं। पिछले दिनों एक एसएचओ पर एक पत्रकार के बेटे को नशे में धकेलने के आरोप लगे तो उसे लाइन हा​िजर किया गया। एक ढाबे से रेस्क्यू की गई महिला ने पुलिस कर्मचारियों पर शारीरिक शोषण और उसे नशे में धकेलने के आरोप लगाए।

कुछ लड़कियों के नशा करते वीडियो चौंकाने वाले हैं। भ्रष्ट पुलिस अफसरों को लेकर पंजाब सरकार खामोश है। अब सवाल उठता है कि क्या फांसी की सजा से नशे का कारोबार रुक जाएगा? कानून तो पहले से ही काफी सख्त है। क्या बलात्कार कानून सख्त करने से बालिकाओं से बलात्कार रुक गए हैं। केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे जाने से कुछ नहीं होगा। कैपिटल पनिशमैंट को लेकर लम्बी बहस ही छिड़ेगी। पंजाब की जवानी, मेहनत और शौर्य को बचाना है तो सरकार को एकमुश्त योजना के साथ आगे बढ़ना होगा। न केवल नशे के तस्करों पर लगाम लगानी होगी बल्कि नशे के आदी लोगों के पुनर्वास की ठोस नीति भी बनानी होगी। उड़ते पंजाब को बचाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर नशे के विरुद्ध मोर्चा लगाना होगा। इस मुहिम में समाजसेवी संस्थाओं और राज्य की शख्सियतों काे साथ लेना होगा। यह मुहिम प्राइमरी स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर चलानी होगी। पुलिस में बैठी काली भेड़ों को निकाल बाहर करना होगा। चुनौती बहुत बड़ी है, राज्य सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देना होगा अन्यथा मेहनतकश पंजाब नशे में डूब जाएगा।

Advertisement
Advertisement
Next Article