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जनता के दर्शन के लिए रखा जाएगा स्वामी अग्निवेश का पार्थिव शरीर

स्वामी अग्निवेश के करीबी सहयोगी प्रोफेसर विट्ठल राव आर्य जो कि बंधुआ मुक्ति मोर्चा के पूर्व महासचिव हैं, ने कहा कि अग्निवेश का पार्थिव शरीर शनिवार को बंधुआ मुक्ति मोर्चा (बीएमएम) कार्यालय में रखा जाएगा, ताकि जनता उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सके।

11:51 PM Sep 11, 2020 IST | Shera Rajput

स्वामी अग्निवेश के करीबी सहयोगी प्रोफेसर विट्ठल राव आर्य जो कि बंधुआ मुक्ति मोर्चा के पूर्व महासचिव हैं, ने कहा कि अग्निवेश का पार्थिव शरीर शनिवार को बंधुआ मुक्ति मोर्चा (बीएमएम) कार्यालय में रखा जाएगा, ताकि जनता उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सके।

स्वामी अग्निवेश के करीबी सहयोगी प्रोफेसर विट्ठल राव आर्य जो कि बंधुआ मुक्ति मोर्चा के पूर्व महासचिव हैं, ने कहा कि अग्निवेश का पार्थिव शरीर शनिवार को बंधुआ मुक्ति मोर्चा (बीएमएम) कार्यालय में रखा जाएगा, ताकि जनता उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सके। 
उन्होंने कहा, ‘उनके पार्थिव शरीर को अंतिम सार्वजनिक श्रद्धांजलि के लिए सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक बंधुआ मुक्ति मोर्चा कार्यालय में रखा जाएगा। हम अपने सभी दोस्तों से अनुरोध करते हैं कि वे कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए अपनी अंतिम श्रद्धांजलि दें।’ 
सुविख्यात नेता स्वामी अग्निवेश का शुक्रवार को 80 साल की उम्र में दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी सांइसेज में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अस्पताल रिकार्ड अनुसार उनकी मौत शाम 6:30 बजे हुई। 
आईएलबीएस ने अपने बयान में कहा, ‘स्वामी अग्निवेश को शुक्रवार शाम 6 बजे दिल का दौरा पड़ा। उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। उन्होंने शाम 6.30 बजे अंतिम सांस ली।’ 
स्वामी को मंगलवार को आईएलबीएस में भर्ती कराया गया था। वह गंभीर रूप से बीमार थे और लीवर सिरोसिस से पीड़ित थे। मंगलवार से कई अंगों के फेल होने के कारण वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया, जहां शुक्रवार को उनकी हालत बिगड़ गई। 
हरियाणा के एक पूर्व विधायक स्वामी अग्निवेश ने 1970 में एक राजनीतिक पार्टी आर्य सभा की स्थापना की थी, जो आर्य समाज के सिद्धांतों पर आधारित है। वह धर्मो के बीच संवाद के लिए जाने-जाते थे। 
अग्निवेश सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में विभिन्न क्षेत्रों में भी शामिल थे, जिसमें कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान शामिल हैं। जन लोकपाल विधेयक को लागू करने के लिए 2011 में चलाए गए इंडिया अगेंस्ट करप्शन अभियान के दौरान वह अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी भी रहे थे। 
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