बदलती दिल्ली की बुलन्द तस्वीर, 100 दिन काम वाली सरकार
आधुनिक भारत के विश्वकर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनीति के चाणक्य गृहमंत्री…
आधुनिक भारत के विश्वकर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनीति के चाणक्य गृहमंत्री श्रीमान अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और भाजपा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के संगठनात्मक कौशल ने यह सुनिश्चित किया कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाएं अंतिम पंक्ति तक पहुंचे “अंत्योदय” की भावना को मूर्त रूप देते हुए, सांगठनिक सूझबूझ के साथ, भाजपा सरकार दिल्ली सरकार में वह सब कर रही है जिसकी लोग पिछले ढाई दशकों से प्रतीक्षा कर रहे थे। अब राजधानी दिल्ली को एक संवेदनशील, समर्पित और कर्मयोगिनी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के रूप में वह नेतृत्व मिला है, जिसने “सेवा से समाधान” तक की संकल्प यात्रा को एक जनांदोलन में बदल दिया है। राजधानी दिल्ली के विकास की नई गाथा लगातार लिखती जा रही है। दिल्ली ने लंबे अंतराल के बाद एक निर्णायक बदलाव का आनंद लिया। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नेतृत्व में राजधानी ने बीते 100 दिनों में जिस तेज़ी, पारदर्शिता और प्रतिबद्धता से जनसेवा, सुशासन और विकास की नई इबारत लिखी है, वह न केवल सराहनीय है बल्कि आश्वस्त भी करती है कि अब दिल्ली प्रगति पथ पर अविराम है। इस परिवर्तन की धुरी पर यदि कोई नाम सबसे पहले उभरता है, तो वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का, उनका “विकसित भारत @2047” का विज़न अब दिल्ली की सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और नालों में आकार लेता दिख रहा है। उनके नेतृत्व में यह स्पष्ट हो गया है कि विकास अब घोषणाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हर नागरिक तक उसकी पहुंच सुनिश्चित होगी। समस्त दिल्ली के निवासियों के प्रति भ्रातृत्व भाव रखने वाली मुख्यमंत्री बहन रेखा गुप्ता की सरकार ने इन 100 दिनों में यह दिखाया है कि सेवा से समाधान तक का भी ट्रैक रिकॉर्ड होता है, और भाजपा सरकार व उसके कार्यकर्ताओं ने हर मोर्चे पर खुद को साबित किया और सत्ता में न होते हुए भी निरंतर निस्वार्थ भाव से संगठन के साथ मिलकर जनकल्याण व विकास कार्य किये थे। देवी बसों का शुभारंभ, अटल कैंटीन में रु. 5 का भोजन, वरिष्ठ नागरिकों को रु. 2,500 से रु. 3,000 की पेंशन, अभ्युदय योजना, दिव्यांग सम्मान भत्ता, पीएम किसान सम्मान निधि टॉप-अप, और डॉ. अंबेडकर स्टाइपेंड—ये सभी योजनाएं केवल कागज़ी नहीं, योजनाओं की ज़मीनी सच्चाई बन चुकी हैं। जिस प्रकार ‘नमामि गंगे’ ने गंगा में नवजीवन फूंका, उसी आदर्श पर आधारित रु. 500 करोड़ की “यमुना पुनर्जीवन योजना”अब दिल्ली की आत्मा को शुद्ध करने के लिए तत्पर है। विकेन्द्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और पुराने संयंत्रों के पुनरुद्धार ने पर्यावरण संरक्षण को जनांदोलन बना दिया है। भाजपा सरकार का रु. 19,291 करोड़ का शिक्षा बजट दिखाता है कि अब दिल्ली केवल पढ़ती नहीं, सोचती है, बनाती है, और प्रतिस्पर्धा में जीतती है। स्मार्ट क्लासरूम, एआई लैब ,रोबोटिक्स के अलावा 125 डिजिटल लाइब्रेरी और 100 भाषा प्रयोगशाला जैसी पहलें दिल्ली को वैश्विक शैक्षिक मानचित्र पर एक सशक्त उपस्थिति दिला रही हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में रु. 12,893 करोड़ का बजट और आयुष्मान भारत योजना का विस्तार इस बात का प्रमाण है कि भाजपा सरकार “सबका साथ, सबका विकास”के मूलमंत्र पर ईमानदारी से अमल कर रही है। न्यायिक सुधारों हेतु रु. 927 करोड़ का प्रावधान, हाइब्रिड कोर्ट, वीडियो सुनवाई और स्मार्ट कोर्ट रूम्स – यह सब इस बात का संकेत हैं कि भाजपा सरकार डिजिटल युग की सरकार है, जहां न्याय अब निकट, पारदर्शी और त्वरित बन चुका है।
भाजपा सरकार ने दिल्ली में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए एक 100-दिवसीय कार्य योजना शुरू की है। इस योजना में नालों की सफाई, सीवरेज प्रणाली का सुधार और केंद्रीय योजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है। दिल्ली में सरकार की सोच में 40 नए डिसेंट्रलाइज्ड STP को मंजूरी तथा 9000 करोड़ का जल बजट अपने आप में एेतिहासिक है। ‘अब हर बूंद की होगी जवाबदेही’ की सोच को लेकर आगे बढ़ रहे हैं व जलशुद्धि को प्राथमिकता मिल रही है।
राजधानी दिल्ली में भाजपा के शासन के आने के बाद बिजली पानी की सुविधा पहले से और बेहतर हो गई है। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को और पुख्ता करने में सघन कार्य किए जा रहे हैं। देवी बसों को भी जोड़ा गया है। भाजपा के शासन में आने के बाद सबसे पहले तो गंदगी दूर हुई है। मच्छर कम हुए हैं। कूड़े के पहाड़ों पर भी करारे प्रहार किये जा रहे हैं। पिछली सरकारों की इंच-इंच दर यात्रा अब मीटर में तब्दील हुई है।
पीएम मोदी जी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री दीदी रेखा गुप्ता का उत्साह हमारे कर्मठ कार्यकर्ताओं के माध्यम से दिल्ली 100 दिन में पूर्ण विकास की ओर कदम उठाती दिखाई दे रही है। हर पहलू में सुधार के आयाम उजागर हो रहे हैं अनुमान दर्शा रहे हैं की 1825 दिन होते-होते उपलब्धियां चरम सीमाओं को छू देंगी। दिल्ली एक विकसित राजधानी बनने जा रही है। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में पिछले 27 वर्षों से वनवास भोगा, इसके बावजूद पार्टी व पार्टी के कार्यकर्ता संगठन के साथ मिलकर निःस्वार्थ भाव से कार्य करते रहे। आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर हुए कुछ ही महीने हुए परंतु उनका राजनीतिक संगठन अब कहीं जमीनी स्तर पर नजर नहीं आता। भाजपा का संगठन नेतृत्व और कार्यकर्ता सरकार के ब्रांड एंबेसडर है। सबसे बड़ी फोर्स है। दिल्लीवासियों का उज्जवल जीवन स्पष्ट दिखाई दे रहा है। पिछले 100 दिनों के अन्दर हमने “सरकार आपके द्वार वाली” किंवदंती को चरितार्थ होते हुए देखा। हमारे प्रधान सेवक माननीय नरेन्द्र मोदी जी के विचारों को दिल्लीवासियों के लिए भी क्रियान्वित करने के लिए पहली बार दिल्ली सरकार को चौबीसों घंटे कार्यरत एवं प्रतिबद्ध देखा। यह 100 दिन भाजपा सरकार द्वारा किए गए संकल्पों और दिल्लीवासियों के विश्वास की नींव रखने के समान हैं बाकी विकसित दिल्ली का सपना साकार करना है। बीते 100 दिनों में दिल्ली की सड़कों से, सीवरेज नालों से, झूठे वायदों वाले पोस्टरों से, नागरिकों की स्वास्थ्य व्यवस्था से आपदा दूर होनी शुरू हो गई है। जिससे यह स्पष्ट हो गया कि विपक्षी भी कमल सरकार की गारंटी को मानते हैं। CAG की अनेक रिपोर्टों में पिछली सरकार द्वारा वित्तिय अनियमितताओं की पोलखुली है एवं विधानसभा में खुली चर्चा भी हुई। दिल्ली की समस्याओं के निवारण में दिन-रात लगे दिल्ली सरकार के मंत्री एवं विधायकगण एवं समस्त कार्यकर्ताओं ने 100 दिन में ही जनता का मन मोह लिया है और अब दिल्ली की जनता अपने भविष्य को लेकर निश्चिंत है। भाजपा की सरकार के 100 दिनों के कामकाज की तुलना 27 वर्षों के दौरान हुए विभिन्न सरकारों के कामकाज से करना नाइंसाफी है। अभी तो आग़ाज़ है, शुरूआत अच्छी है पर अभी सफ़र लम्बा है। दिल्ली में भाजपा के विधायक सड़क ,गली , मोहल्लों में महज दूरी नहीं नाप रहे परंतु हर वोट का कर्ज उतारने के लिए घर-घर पहुंच रहे हैं। हमारे क्षेत्र में चलता फिरता कार्यालय MLA ON WHEELS सभी के लिए आश्चर्य का विषय है, हर कार्य हेतु वरिष्ठजनों को डोरस्टेप डीलीवरी से प्रसन्न हैं। हम सभी मोदी जी के दूत है। “प्रशंसा हमें विचलित नहीं करती रोकती भी नहीं अपितु बल देती है कि हम अपने नेता मोदी जैसा कार्य कर पाए यह है बदलती दिल्ली का चेहरा। बदलती दिल्ली की तस्वीर सुशासन का नवीन प्रतिबिंब। हमारे विचार परिवार के संघगीत नेपथ्य से प्रेरणा लेते हैं और आगे बढ़ते हैं। लक्ष्य तक पहुंचे बिना अब पथिक विश्राम कैसा ____ सुपथपर बढ़े चलो _____”।