W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

चिंता का कारण भारत में बढ़ते सड़क हादसे

05:00 AM Oct 14, 2025 IST | Rohit Maheshwari
चिंता का कारण भारत में बढ़ते सड़क हादसे
Advertisement

भारत में सड़क सुरक्षा को सुधारने के लिए सरकार कई कोशिशें कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी सड़क हादसे एक बड़ी समस्या बने हुए हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क हादसाें को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर घंटे औसतन 55 सड़क हादसे हो रहे हैं, जिसमें 20 लोगों की मौत हो रही है। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या विश्वस्तर पर सबसे अधिक है, यहां प्रति 10,000 किमी पर 250 मौतें होती हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (57), चीन (119) और ऑस्ट्रेलिया (11) की तुलना में अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में करीब 4.80 लाख सड़क हादसे हुए, जिसमें 1.72 लाख लोगों की मौत हो गई। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने हादसों में 4.2 प्रतिशत की उछाल पर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में 4,80.583 गंभीर सड़क हादसे हुए। इनमें 1,72,890 लोगों की मौत हो गई।
उस पर सबसे दुखद यह है कि मरने वालों में एक लाख चौदह हजार लोग अट्ठारह से 45 वर्ष के बीच के युवा थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 18 से 45 साल के 66.4 प्रतिशत युवाओं की सड़क हादसों में मौत हुई। जो परिवार के कमाने वाले व नई उम्मीद थे। 18 से 60 साल वर्ग की बात करें तो 83.4 प्रतिशत लोगों की मौत हुई है। सड़क हादसों में मारे गए 1,72,890 लोगों में से 31.2 प्रतिशत यानी 1,50,177 की मौत राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई।

22 प्रतिशत यानी 1,05,622 की मौत एक्सप्रेस-वे पर, जबकि 46.8 प्रतिशत यानी 2,24,744 लोगों की मौत राज्य हाईवे पर हुई है। मौतों के मामले में यूपी सबसे आगे सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों में यूपी सबसे आगे है, जबकि सबसे ज्यादा सड़क हादसे तमिलनाडु में दर्ज किए गए। सड़कों के खराब होने से 14.47 प्रतिशत हादसे हुए। वहीं 67 प्रतिशत हादसे सीधी सड़क पर हुए। हादसों में दोपहिया वाहन सवार सबसे ज्यादा मौत के शिकार हुए। कुल हादसों में इनका प्रतिशत 44.8 रहा। वहीं सड़क पर चलने वाले 20.4 प्रतिशत लोग हादसों का शिकार हुए। तेज रफ्तार हादसों की मुख्य वजह साल 2023 में सड़क हादसों के बढ़ने की मुख्य वजह तेज रफ्तार रही। तेज रफ्तार की वजह से 68.1 प्रतिशत लोगों की मौत हुई, जबकि गलत साइड से चलने की वजह से 5.5 प्रतिशत हादसे पेश आए। मंत्रालय ने लगातार चौथे साल सड़क हादसों में ज्यादातर युवाओं की मौतों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। इन हालात को देखते हुए ही केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक इन सड़क दुर्घटनाओं को आधा करने का लक्ष्य रखा है।

अगर बात करें सिर्फ सड़क हादसों तो तमिलनाडु में कुल मिलाकर सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। लेकिन अगर बात करें सड़क हादसों में हुई मौत की, तो सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश का नाम आता है। 2023 में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में मौत उत्तर प्रदेश में हुई हैं। यहां 23,652 मौत हुई हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर आता है तमिलनाडु। यहां 18,347 मौत हुई हैं। इसके बाद तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र आता है और यहां पर 15,366 मौत हुई हैं। चौथे स्थान पर 13,798 मौत के साथ मध्य प्रदेश आता है और पांचवें स्थान पर 12,321 मौत के साथ कर्नाटक आता है। विशेष बात यह है कि सबसे ज्यादा वृद्धि दो पहिया वाहन चलाने वालों की मौत में देखने को मिली है। इनमें से लगभग 70 फीसदी लोगों ने हेलमेट नहीं पहना था। यह विडंबना ही है कि दुर्घटनाएं रोकने के लिये सख्त कानून बनाने एवं तकनीक के जरिये चालकों की लापरवाही पर नजर रखने जैसे उपायों के बावजूद आशातीत परिणाम सामने नहीं आए हैं।

जानकारों के मुताबिक इन दुर्घटनाओं में अन्य कारणों के अलावा सबसे अधिक भूमिका तकनीकी व गुणवत्ता की खामियों वाली सड़कों की होती है। ऐसे में केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के बेबाक सुझाव से सहमत हुआ जा सकता है कि खराब सड़क निर्माण को गैर-जमानती अपराध बना दिया जाना चाहिए। इसके लिये ठेकेदार और इंजीनियर की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ के एक कार्यक्रम में उन्होंने दुःख जताया कि विदेशों में होने वाले कार्यक्रमों में जब भारत में विश्व की सर्वाधिक सड़क दुर्घटना वाले देश के रूप में चर्चा होती है, तो उन्हें शर्म महसूस होती है। आखिर तमाम प्रयासों के बावजूद सड़क हादसे क्यों नहीं थम रहे हैं। यह बात तय है कि अगले पांच सालों में सड़क दुर्घटनाओं को यदि आधा करना है, तो युद्ध स्तर पर प्रयास करने होंगे। उन कारणों को तलाशना होगा, जिनकी वजह से हर साल सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि होती है। आखिर क्या वजह है कि राजमार्गों के विस्तार और तेज गति के अनुकूल सड़कें बनने के बावजूद हादसे बढ़े हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि राजमार्गों व विभिन्न तीव्र गति वाली सड़कों में साम्य का अभाव है, वहीं मोड़ों को दुर्घटना मुक्त बनाने हेतु तकनीक में बदलाव की जरूरत है। ऐसे में केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को उन कारणों की पड़ताल करनी होगी, जो पर्याप्त धन आवंटन के बावजूद सड़कों को दुर्घटना मुक्त बनाने में बाधक हैं।

ऐसे में जरूरी है कि सड़कों की निर्माण सामग्री और डिजाइनों की निगरानी के लिये स्वतंत्र व सशक्त तंत्र बनाया जाए, जो बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के काम कर सके। साथ ही मंत्रालय का दायित्व बनता है कि इस बाबत स्पष्ट नीति को सख्ती से लागू किया जाए।
यह जानते हुए कि सड़कों के ठेके में मोटे मुनाफे के लिए एक समांतर भ्रष्ट तंत्र देश में विकसित हुआ है, जो निर्माण कार्य की गुणवत्ता से समझौता करने से परहेज नहीं करता। जिसके खिलाफ उठने वाली ईमानदार आवाजें दबा दी जाती हैं। निस्संदेह, गुणवत्ता का मूल्यांकन करने वाली व्यवस्था की जवाबदेही तय करने की सख्त जरूरत है। तब हमें यह सुनने को नहीं मिलेगा कि उद्घाटन के कुछ ही बाद ही सड़क उखड़ गई या बारिश में घुल गई। भारत सरकार ने 2030 तक सड़क हादसे को 50 फीसदी तक काम करने का एक लक्ष्य रखा है। लेकिन इसे पाने के लिए आम जनता को ही ट्रैफिक कानून का सख्ती से पालन करना होगा। इसी के साथ सरकार जन जागरूक अभियान और हादसों पर नजर रखने और उन्हें रोकने के लिए एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा मिशन की भी शुरुआत करने वाली है।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है जिसके लिये सरकार एवं आम लोगों को तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है। 4कृई यानी शिक्षा, इंजीनियरिंग (सड़कों और वाहनों की), नियम प्रवर्तन तथा आपातकालीन देखभाल को शामिल करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने से इसके मूल कारणों का समाधान किये जाने के साथ सड़क सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है। इन उपायों को प्राथमिकता देकर भारत में सड़क दुर्घटनाओं की उच्च दर को कम करने के साथ सभी के लिये सुरक्षित सड़क यातायात सुनिश्चित किया जा सकता है।

Advertisement
Author Image

Rohit Maheshwari

View all posts

Advertisement
Advertisement
×