'कोर्ट ने कहा कुर्सी छोड़ो...', आखिर क्यों Thailand की PM पैतोंगटार्न शिनवात्रा हुईं सस्पेंड?
Thailand: थाईलैंड के सियासी गलियारों से एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, देश की संवैधानिक कोर्ट ने प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा को उनके पद से अस्थायी रूप से निलंबित (सस्पेंड) कर दिया है. यह फैसला एक फोन कॉल को लेकर हुए विवाद के बाद लिया गया है, जिसमें शिनवात्रा पर अपने ही देश के खिलाफ अनुचित टिप्पणी करने का आरोप है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया. कोर्ट ने शिनवात्रा के आचरण को अनुचित और नैतिकता के खिलाफ बताया. कोर्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें देश के लोगों के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए, लेकिन उन्होंने फोन कॉल के दौरान ऐसा नहीं किया.
क्या है फोन कॉल का मामला?
रिपोर्ट के अनुसार, शिनवात्रा ने कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन को एक निजी फोन कॉल किया था. इस बातचीत में उन्होंने हुन सेन को 'अंकल' कहकर संबोधित किया और कहा कि थाई सेना के कुछ जनरल, जो कंबोडिया सीमा पर तैनात हैं, उनके दुश्मन हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सीमा विवाद की वजह वही जनरल हैं. इस बातचीत का ऑडियो लीक होने के बाद थाईलैंड में राजनीतिक भूचाल आ गया. देशभर में इसे लेकर बहस शुरू हो गई, और मामला सीधे कोर्ट पहुंच गया.
माफी के बावजूद कार्रवाई
ऐसे में जब यह कॉल सार्वजनिक हुई तो शिनवात्रा ने माफी भी मांगी, लेकिन तब तक मामला कोर्ट में था. कोर्ट ने इसे प्रधानमंत्री पद की गरिमा और नैतिक आचरण के खिलाफ माना. इसी के चलते उन्हें पद से अस्थायी रूप से हटा दिया गया है.
15 दिन में जांच रिपोर्ट
अदालत ने जांच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे पूरे मामले की जांच करके 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. इस रिपोर्ट के आधार पर यह तय होगा कि शिनवात्रा पर आगे क्या कार्रवाई होनी चाहिए, क्या वे पद पर वापस लौटेंगी या उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी?
पिता पर भी गिर सकती है गाज
इस विवाद का असर शिनवात्रा के पिता थाक्सिन शिनवात्रा पर भी पड़ सकता है, जो खुद थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं. स्थानीय मीडिया की मानें तो थाक्सिन पर भी एक पुराने मामले में केस दर्ज हो सकता है. उन पर राजशाही के नाम पर जनता को दबाने का आरोप है, जो साल 2016 का है. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हाल के महीनों में सीमा को लेकर तनाव बढ़ा है. ऐसे समय में प्रधानमंत्री द्वारा कंबोडियाई नेता से इस तरह की बातचीत करना थाईलैंड की राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है.
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