Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

बंटवारे के विवाद तो अभी जारी हैं...

05:43 AM Aug 18, 2025 IST | Dr. Chander Trikha

भारत, पाकिस्तान दोनों देशों ने अपना-अपना स्वाधीनता दिवस क्रमश: 15 अगस्त व 14 अगस्त को मना लिया। मगर इसी भारतीय उपमहाद्वीप के तीसरे भाग बांगलादेश ने इन तारीखों को स्वाधीनता दिवस के रूप में नहीं मनाया, यद्यपि वर्ष 1971 से पूर्व वहां भी हर वर्ष 14 अगस्त को ‘योमे-आज़ादी’ अर्थात स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था। हमारे भारतीय उपमहाद्वीप में विसंगतियों, विवादों व विरोधाभासों का सिलसिला अब भी जारी है। भारत के विभाजन के दौरान भारत में रह गई पाकिस्तान की संपत्ति को ‘शत्रु सम्पत्ति’ कहा जाता है। इस सम्पत्ति में वे सभी सम्पत्तियां शामिल हैं जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा भारत में छोड़ी गई थी। इनमें मुहम्मद अली जिन्ना की मुम्बई-सम्पत्ति और परवेज मुशर्रफ की यूपी वाली सम्पत्ति शामिल हैं। इस सम्पत्ति में जमीन, घर, व्यवसाय, बैंक खाते और अन्य सम्पत्तियां शामिल हैं। भारत सरकार ने इन सम्पत्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया था और उनका उपयोग सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा था। आज भी भारत में शत्रु सम्पत्ति के मुद्दे को लेकर कई लोग सवाल उठाते हैं और उन पर पुनर्विचार करने की मांग करते हैं।

भारत सरकार ने इन सम्पत्तियों का उपयोग विभिन्न सार्वजनिक परियोजनाओं जैसे कि स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए किया है। कुछ मामलों में इन सम्पत्तियों को उन लोगों को वापस कर दिया गया है जो उन्हें छोड़ गए थे। शत्रु सम्पत्ति के मुद्दे पर कई तरह की कानूनी और राजनीतिक बहसें होती रहती हैं। भारत और पाकिस्तान का बंटवारा 78 साल पहले हुआ था लेकिन सम्पत्ति के बंटवारे के कारण दोनों देशों के बीच वित्तीय दावे बकाया हैं। जब ब्रिटिश साम्राज्य ने देशों का बंटवारा किया तो लॉर्ड रैडक्लिफ ने नक्शे पर रेखाएं खींची थीं लेकिन सम्पत्तियों का बंटवारा बहुत मुश्किल बातचीत थी। सम्पत्तियों में चल-सम्पत्तियां जैसे कि कार्यालय का फर्नीचर और लाइट बल्ब से लेकर कार्मिक, सरकारी विभाग, रक्षा बल और केंद्रीय बल शामिल थे जिन्हें सावधानीपूर्वक विभाजित करने की आवश्यकता थी। आज भी दोनों देश दावा करते हैं कि दूसरे देश पर उनका पैसा बकाया है, जो बकाया राशि के भुगतान पर असहमति से उपजा है। जबकि भौगोलिक विभाजन हो गया था, सम्पत्ति का मामला बना रहा- न केवल मौद्रिक बल्कि कर्मियों और कलाकृतियों का भी। यह एक ऐसा विभाजन था जिस पर बातचीत करना बहुत कठिन होगा।

इन सम्पत्तियों के बंटवारे को अलग-अलग गंभीरता से लिया गया। भारत के वायसराय की घोड़ा-गाड़ी का स्वामित्व सिक्का उछालकर तय किया गया, जिसमें भारत की जीत हुई। इस बग्गी को भारत के राष्ट्रपति के इस्तेमाल के लिए राष्ट्रपति भवन में तैनात किया गया था। सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक समारोहों में इसका इस्तेमाल बंद करने के तीन दशक बाद 2014 में में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बग्गी का इस्तेमाल किया। विभाजन समझौते के भाग के रूप में पाकिस्तान को ब्रिटिश भारत की सम्पत्तियों और देनदारियों का 17.5 फीसदी प्राप्त हुआ लेकिन विभाजन यहीं समाप्त नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान के नए केंद्रीय बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक को नकदी शेष के निपटान के बारे में निर्णय लेना था। उस समय भारत के पास करीब 400 करोड़ रुपए थे जिसमें विभाजन परिषद ने पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक को 75 करोड़ रुपए आवंटित किए थे, जिसमें 15 अगस्त, 1947 को पाकिस्तानियों को अग्रिम रूप में उपलब्ध कराए गए 20 करोड़ रुपए का कार्यशील शेष शामिल था। स्वतंत्रता के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों को एक ही केंद्रीय बैंक द्वारा सिर्फ एक वर्ष से अधिक समय तक सेवा दी गई जिसमें आरबीआई ने अगस्त 1947 से सितम्बर 1948 तक भारत उठाया।

मूल रूप से दोनों देशों को अक्तूबर 1948 तक केंद्रीय बैंक को साझा करना था लेकिन 55 करोड़ रुपए के भुगतान पर आरबीआई और पाकिस्तान सरकार के बीच संबंधों के तेजी से बिगड़ने के बाद विभाजन एक महीने के लिए आगे बढ़ गया। भारत और पाकिस्तान ने इस अवधि के दौरान मुद्रा भी साझा की, विशेषज्ञ समिति ने 31 मार्च, 1948 तक भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए मौजूदा सिक्का और मुद्रा जारी रखने का निर्णय लिया। अब 78 साल बाद भारत और पाकिस्तान दोनों दावा करते हैं कि दूसरे पक्ष पर उनका पैसा बकाया है। हर साल आर्थिक सर्वेक्षण में भारत ‘केंद्र सरकार की बकाया देनदारियों’ अनुभाग में ‘विभाजन पूर्व ऋण के हिस्से के कारण पाकिस्तान से देय राशि’ शीर्षक से एक पंक्ति परिश्रमपूर्वक जोड़ता है। लगभग 300 करोड़ रुपए का कर्ज था जो विभाजन के बाद से आगे बढ़ाया गया। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने 2014 में दावा किया कि आरबीआई द्वारा पाकिस्तान सरकार को कुछ सम्पत्तियां सौंपने से इन्कार करने के कारण भारत पर उसका 560 करोड़ रुपए बकाया है। आर्थिक सर्वेक्षण की तरह पाकिस्तान के स्टेट बैंक ने भी अपनी बैलेंस शीट में एक पंक्ति जोड़ दी है जिसमें दावा किया गया है कि भारत के रिजर्व बैंक पर उसका पैसा बकाया है। मुद्रास्फीति, विनियम दरों आदि के कारण बकाया राशि बढ़ गई है।

विभाजन की सामान्य नौकरशाही दिनचर्या अब हास्यास्पद लगने लगी थी। एनसाइक्लोपीडिया ब्ररिटानिका के सेट के वैकल्पिक खंड प्रत्येक देश को भेजे गए। शब्दकोषों के मामले में उन्हें आधे में फाड़ दिया गया था जिसमें ‘ए’ से ‘के’ तक भारत और बाकी पाकिस्तान को दिया गया था। कोलिन्स और लैपिएरे बताते हैं, ‘माल के बंटवारे को लेकर बहस, सौदेबाजी और झगड़े शुरू हो गए।’ ‘विभाग प्रमुखों ने अपने सबसे अच्छे टाइपराइटर छिपाने या अपने टूटे हुए डेस्क और कुर्सियों को अपने प्रतिद्वंद्वी समुदाय को सौंपे गए टाइपराइटर से बदलने की कोशिश की। कुछ कार्यालय मूक बन गए, जिसमें प्रतिष्ठित लोग शामिल थे जो पानी के जार के बदले स्याही की बोतल, टोपी की खूंटी के बदले छतरी की रैक, चैंबर पॉट के बदले 125 पिन कुशन का सौदा करते थे। बर्तन, चांदी के बर्तन, राज्य के आवासों में चित्रों को लेकर बहस भयंकर थी। हालांकि, एक वस्तु पर चर्चा नहीं हो पाई। शराब के तहखाने हमेशा हिंदू भारत को मिलते थे और मुस्लिम पाकिस्तान को उनमें मौजूदा चीजों का श्रेय मिलता था। ऐसे क्षुद्र व बेतलब विवाद के सिलसिले निरंतर जारी हैं।’

Advertisement
Advertisement
Next Article