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स्थापना दिवस की घड़ी आई...

फरीदाबाद ब्रांच की 24 दिसम्बर 2009 को शुरूआत हुई थी तब से लेकर आज तक इस ब्रांच को डी.एन. कथूरिया जी और जटवानी जी ने बड़े प्यार और सम्मान से सींचा और आगे बढ़ाया।

03:26 AM Dec 02, 2020 IST | Kiran Chopra

फरीदाबाद ब्रांच की 24 दिसम्बर 2009 को शुरूआत हुई थी तब से लेकर आज तक इस ब्रांच को डी.एन. कथूरिया जी और जटवानी जी ने बड़े प्यार और सम्मान से सींचा और आगे बढ़ाया।

स्थापना दिवस की घड़ी आई
फरीदाबाद ब्रांच की 24 दिसम्बर 2009 को शुरूआत हुई थी तब से लेकर आज तक इस ब्रांच को डी.एन. कथूरिया जी और जटवानी जी ने बड़े प्यार और सम्मान से सींचा और आगे बढ़ाया। सभी सदस्यों ने इनका भरपूर प्यार पाया और दिया, अच्छे समय में महेन्द्र खुराना ने सभी सदस्यों की अपने स्वादिष्ट खानों से सेवा की जो कभी भुलाए नहीं भूल सकती। यह पहली ब्रांच थी जिसने शहीदों के परिवारों के लिए पैसे इकट्ठे किए और खुद ही मेरे साथ जाकर परिवार को देकर भी आए। जटवानी जी और कथूरिया जी की दोस्ती और टीम बहुत बढिय़ा है। वे सबकी प्रेरणा के स्रोत हैं। दोनों 80+ होते हुए भी सक्रिय रहते हैं। डी.एन. कथूरिया जी बहुत बड़े उद्योगपति हैं परन्तु जमीन से जुड़े हुए हैं और हर पल सबकी सेवा के लिए तैयार रहते हैं। जब हम दुबई गए थे तो वह अपना डॉक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट साथ लेकर गए थे और मजेदार बात थी कि सभी इनके कमरे में फिजियोथैरेपी करवा रहे होते थे और वह खुद लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करते थे। जटवानी और श्रीमती जी दुबई शो में छाये हुए थे। क्या प्यार था उनका आपस में, बस सच पूछो तो नजर लग गई और श्रीमती जटवानी जी हम सबको छोडक़र ईश्वर को प्यारी हो गईं। बहुत स्नेह की मूर्ति थीं। हमारे बहुत से साथी जब हमें छोड़ जाते हैं तो उनकी अच्छी बातें भुलाई नहीं जा सकतीं।
श्याम कालरा जी जो क्लब की शान हैं, जान हैं, शुरू से सदस्य भी हैं और अपनी सेवाएं भी देते हैं। उनकी आवाज सुर-ताल का मुकाबला ही नहीं। इस बार उन्होंने क्लब की मीटिंग और काम को बताते हुए गीत बनाया और अपने साथियों के साथ मिलकर गाया, क्या बात है मुझे उन पर बहुत गर्व है। उनके बिना फरीदाबाद का कोई भी फंक्शन अधूरा है। फरीदाबाद ब्रांच का बहुत ही सफल प्रोग्राम था। कैंथ साहब ने भी मिलकर बहुत मेहनत की थी। उन्होंने खुद बहुत अच्छी गजल गाई, उनकी आवाज बहुत ही अच्छी है।
फरीदाबाद अक्सर पंजाबियों के लिए मशहूर है। यहां बहुत दिल वाले पंजाबी बसते हैं, जो अपनी पंजाबियों की संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं।   ब्रांच के प्रोग्राम में भी दिखाई दे रहा था कि सभी पंजाबियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।  विशेषकर रविन्द्र पाल कौर जी और सतवंत कौर जी ने दुनिया दी जन्म दातिये व  माता गुजरी ने लाल किदां तोरे होनगे गाकर क्या वर्णन किया। वाकई इसकी मिसाल नहीं मिलती। सतवंत कौर जी के गाने तेरे महलां दे सामने बावला कि धीयां परदेसनां सुन कर आंखों  में पानी भर आया।  रविन्द्र कौर और सतवंत जी दोनों ने अपनी वाणी से महिलाओं की महत्वता बताई। गीता रस्तोगी और सुनीता बेदी ने भी अपनी परफोरमेंस दी। प्रभा जी ने दमादम मस्त कलंदर गाकर जो समां बांधा, जो जोश भरा बहुत ही सराहनीय था। वी.डी. त्रिखा  जी ने इस उम्र में जो सुर-ताल से स्वर बांधा तो मुझे त्रिखा खानदान की बेटी होने पर गर्व महसूस हुआ। डॉ. सोम देव जी ने सेहत के लिए एक्सरसाइज बताई। हमारे ब्रांड एम्बेसडर मनोहर पूण्याणी जी ने तो राजकपूर की एक्टिंग जब उनके गाने पर की तो कमाल ही कर दिया। सबसे रोचक बात कि फरीदाबाद के कपल देविन्द्र और जसविन्द्र सिंह जी, जो इस समय अपनी बेटी के पास अमेरिका में है, ने परफोरमेंस दी क्योंकि आज दुनिया छोटी और गोल है। आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आपस में संपर्क कर सकते हैं।
देविन्द्र कौर जी ने जो गीत गाया उसकी इस कोरोना के समय में बहुत ही महत्वता है कि ऐ दिल तुझे कसम है हिम्मत न हारना। वाकई यह समय हिम्मत रखने का है हारने का नहीं। उन्होंने सबका उत्साहवर्धन किया कि यह समय जैसा भी है हंस कर गुजारना है। सबसे और अच्छी बात है कि  दोनों पति-पत्नी ने जो संदेश दिया कि दुनिया का मजा ले लो, दुनिया तुम्हारी है, जो एक्टिंग की जो संदेश दिया कि तुम हमेशा सीना तानकर चलो। दुनिया तुम्हारी हो, ऐसे लग रहा था कोई पिक्चर का गीत देख रहे हैं। देविन्द्र जी तो कमाल की एक्ट्रेस और गायिका हैं। बहुत दिल कर रहा जल्दी से सबको मिलूं। कुल मिलाकर कमाल का गुलदस्ता प्रोग्राम था। के.एन. रंगीन, सतवंत कौर, रविन्द्र पाल कौर, गीता रस्तोगी, प्रभा जी, वी.डी. त्रिखा जी, डॉ. सोमदेव आर्य, मरवाह जी, दविन्द्र जसविन्द्र जटवानी जी, कथूरिया जी, पूण्याणी, कैंथ जी ने इसे प्यार का गुलदस्ता बनाया और सबको संदेश दिया स्टे होम स्टे हैल्थी एंड हैप्पी। द्य
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Kiran Chopra

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