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भारी दबाव के बीच हुआ अंतिम संस्कार, मुख्यमंत्री ने बवाल के बाद दिए जांच के आदेश

जिंदगी संवारने और पीएचडी करके प्रोफेसर बनने का सपना देखते हुए मां-बाप का सहारा बनने की ख्वाहिश लिए 10वीं कक्षा में 93.23 प्रतिशत अंक लेकर टॉपर रहे धनंजय को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले अध्यापक और स्कूल के प्रिंसिपल की पिटाई इतनी भारी पड़ी

02:09 PM Dec 01, 2019 IST | Shera Rajput

जिंदगी संवारने और पीएचडी करके प्रोफेसर बनने का सपना देखते हुए मां-बाप का सहारा बनने की ख्वाहिश लिए 10वीं कक्षा में 93.23 प्रतिशत अंक लेकर टॉपर रहे धनंजय को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले अध्यापक और स्कूल के प्रिंसिपल की पिटाई इतनी भारी पड़ी

भारी दबाव के बीच हुआ अंतिम संस्कार  मुख्यमंत्री ने बवाल के बाद दिए जांच के आदेश
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लुधियाना : जिंदगी संवारने और पीएचडी करके प्रोफेसर बनने का सपना देखते हुए मां-बाप का सहारा बनने की ख्वाहिश लिए 10वीं कक्षा में 93.23 प्रतिशत अंक लेकर टॉपर रहे धनंजय को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले अध्यापक और स्कूल के प्रिंसिपल की पिटाई इतनी भारी पड़ी कि उसने जलालत भरी जिंदगी को खत्म कर देना ही मुनासिब समझा। बात है औद्योगिक नगर लुधियाना के डाबा इलाके में पड़ते गुरमेल नगर की।
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प्राप्त जानकारी के मुताबिक 18 वर्षीय धनंजय तिवारी, पुत्र बृजराज ने स्कूल के डायरेक्टर, प्रिंसीपल और टीचर की ओर से स्कूल के वक्त बैलट से पीटने और फिर पेंट उतरवाकर जलील होने के बाद यह कदम उठाया है। हालांकि आत्महत्या करने से पहले उसने अपनी मां को इशारों ही इशारों में बता दिया था और रातभर उसकी मां उसके पास बैठी रही ताकि वह खाना खा सकें लेकिन बेटे ने ममतामयी मां को कहा कि वह कुछ देर बाद मन शांत होते ही खाना खा लेंगा और मां को नीचे भेज दिया।
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यह भी पता चला है कि वह मां को मरने की बातें करता था और मां के जाने के बाद उसने प्लास्टिक की दर्जनों रस्सियों को इकटठा किया और पंखे के हुक से बांधकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले हुक तक पहुंचने के लिए उसने सूटकेस और फिर वाटर फिल्टर रखा और पिता के फोन में 57 सेकेंड का दर्दनाक वीडियों बनाया। बेकसूर धनंजय ने अपने वीडियों में दोस्तों और मां-बाप को संबोधित करते कहा कि स्कूल में उसकी काफी बेइज्जती हुई है। जिसे वह कतई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा। गुड बाय कहते हुए उसने अपनी जिंदगी की डोर काट दी।
धनंजय की बिलखती मां कमलेश तिवारी ने रोते हुए बताया कि वह ढ़ाई बजे तक वह अपने बेटे को समझाने का यत्न करती रही और फिर नीचे चली आई। हालांकि उसके मन में कुछ खटक रहा था और वह कुछ ही देर बाद बेटे की झलक पाने के लिए ऊपर गई तो दरवाजा अंदर से बंद था। उसने आवाज लगाने के बाद जोर से दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया, अंदर उसके जिगर का टुकड़ा लटक रहा था। शोर मचने के उपरांत आनन-फानन में अड़ोस-पड़ोस के लोगों की सहायता से उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां धनंजय को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
– सुनीलराय कामरेड
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Shera Rajput

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