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भारत की कुड़ियां दा है जमाना...

दुनिया के हर क्षेत्र में आज की तारीख में महिलाओं का बोलबाला है। महिलाओं ने भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में एक खास पहचान बनाकर अपना नाम रोशन किया है।

01:18 AM Dec 11, 2022 IST | Kiran Chopra

दुनिया के हर क्षेत्र में आज की तारीख में महिलाओं का बोलबाला है। महिलाओं ने भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में एक खास पहचान बनाकर अपना नाम रोशन किया है।

भारत की कुड़ियां दा है जमाना
दुनिया के हर क्षेत्र में आज की तारीख में महिलाओं का बोलबाला है। महिलाओं ने भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में एक खास पहचान बनाकर अपना नाम रोशन किया है। लेकिन जब हम अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भारतीय महिलाओं को टॉप लेवल पर देखते हैं तो हमारा सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाता है। ऐसी ही अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है फोर्ब्स। इसमें दुनियाभर की टॉप शक्तिशाली महिलाओं को शामिल किया जाता है। इस बार भी 100 पावरफुल महिलाओं में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी जगह बनाई है। यह दूसरा मौका है जबकि वह इस अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की सूची में शामिल की गयी है। आप कल्पना कीजिए दुनिया के नक्शे पर जो लगभग 200 राष्ट्र हैं उनमें अगर आप 36वें नंबर पर शक्तिशाली महिलाओं की सूची में चुने जाते हैं तो यह कितने बड़े सम्मान की बात है। निर्मला सीतारमण भले ही देश की वित्त मंत्री हैं लेकिन वह एक साधारण परिवार से आती हैं और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर हमेशा जागरूक रहती हैं, इसकी मजबूती के लिए सक्रिय रहती हैं तभी देश की सरकार का उनपर भरोसा भी है। वह सचमुच बधाई की पात्र हैं। वह तमिलनाडू से हैं आैर जेएनयू से इकोनॉमिक्स में एमफिल आैर एमए हैं।
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इसी कड़ी में इसी फोर्ब्स की सूची में पांच और महिलाएं हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है। एचसीएल टेक की चेयरपर्सन रोशनी नादर मल्होत्रा, सेबी की चेयरमैन माधवीपुरी बुच्च, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन सीमा मंडल, बायोकॉन की कार्यकारी चेयरपर्सन किरण मजूमदार शाह और नाइका की चेयरमैन फाल्गुनी नायर भी फोर्ब्स की शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल होकर भारत को एक ऊंचा मुकाम दिला रही हैं। निर्मला सीतारमण की खूबी यह है कि उनकी रैंकिंक 36वें नंबर पर है और लगातार चौथे वर्ष वह इस सूची में शामिल की गयी हैं। वह इससे पहले 2019, 2020, 2021 में भी इसी संगठन की सूची में शामिल थी। अगर इस कड़ी में हम अमरीका की उपराष्ट्रपति  कमला हैरिस जो कि पहली अश्वेत महिला है जो इतने प्रतिष्ठित पद पर पहुंची का उल्लेख न करें तो बात अधूरी रहेगी। वह इस सूची में तीसरे स्थान पर हैं और भारत के दक्षिण से रिश्ता रखती हैं हालांकि उनकी मां दक्षिण भारत से हैं और पिता जमैका से। तो हम कह सकते हैं कि इस सूची में अगर ग्लोबल टीवी की प्रमुख बेलाबजारिया का जिक्र भी कर लंे तो अच्छी बात है। वह भी अमरीकी हैं लेकिन भारतीय मूल की है। तो इस तरह से भारत की सात महिलाएं इस सूची में अपना नाम शामिल कराके एक अलग पहचान प्रस्तुत कर रही हैं। भारतीय मूल की सुष्मिता शुक्ला को न्यूयार्क में फेडरल रिजर्व बैंक की प्रथम उपाध्यक्ष फर्स्ट वाइस प्रेसिडेंट एवं मुख्य परिचालन अधिकारी नियुक्त किया गया है।
सवाल यह नहीं है कि आपको इतना ऊंचा मुकाम मिला बल्कि बड़ी बात यह है कि इतना ऊंचा मुकाम प्रदान करने के बाद फोर्ब्स निर्मला सीतारमण के बारे में कमेंट करता है कि निर्मला जी एक ऐसी वित्त मंत्री हैं जो पूर्ण कालिक है और सदा अपनी कमिटमेंट निभाती हैं जबकि फाल्गुनी नायक पिछले बीस साल से एक निवेश बैंकर के रूप में काम कर रही हैं और दुनियाभर के उद्यमियों का मार्गदर्शन करती हैं। रोशनी मल्होत्रा अपनी कंपनी के रणनीतिक फैसलों के लिए जानी जाती हैं। वहीं स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया की चीफ सीमा मंडल के चार्ज लेने के बाद कंपनी ने रिकार्ड वृद्धि हासिल की। जबकि किरण मजूमदार शाह भारत की उन सबसे अमीर महिलाओं में से है जो सेल्फ वेब है। उनकी अगर राजस्व की बात करें तो अपनी कंपनी को सबसे बड़ी बायो फार्मास्यूटीकल फर्म के रूप में स्थापित किया है। सबकी अपनी-अपनी खूबियां हैैं।  हालांकि यहां अगर फोर्ब्स की शक्तिशाली महिलाओं की सूची को एक तरफ रख दिया जाये तो हमारी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू दुनिया में एक आदिवासी महिला के रूप में भारत की वह राष्ट्रपति हैं जिन पर हर किसी को नाज है। एक छोटे से गांव से उठना और इतने बड़े पद तक पहुंचना उसके पीछे संघर्ष, मेहनत और परित्याग की लंबी कहानी है।
यहां मैं यह भी ​िजक्र करूंगी ​कि इस बार एमसीडी के चुुनावों में भी अधिकतर महिलाओं ने अपनी जीत हासिल की। इसके साथ यह भी जिक्र करना नहीं भुलूंगी कि लालू प्रसाद की जवान 43 वर्षीय डाक्टर बेटी रोहिणी ने अपनी किडनी देकर लालू जी को बचाया यानि घर-बाहर, समाज, राजनीति, धार्मिक सभी स्थानों पर बेटियां छाई हुई हैं। कई बार मैं महिलाओं के संघर्ष के बारे में सोचती हूं तो अक्सर यही पाती हूं कि कितना बड़ा परित्याग करने के बाद सफलता मिलती है। लेकिन सफलता देश के गौरव और राष्ट्रभक्ति के साथ-साथ अपने काम के प्रति कमिटमेंट का जज्बा जारी रहना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी अर्जुन को यही उपदेश दिया था कि कर्म ही सबसे बड़ी पूजा है। निश्चित रूप से कर्म करते रहना ही जीवन है। शायरों ने भी कुछ इसी तरह कहा है कि जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-शाम। जीवन की कठिनाईयां कर्म के पथ पर अपने आप कट जाती हैं और कर्म के दम पर ही बड़ा मुकाम मिलता है। इन सभी शक्तिशाली महिलाओं को हमारा नमन है जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है।
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Kiran Chopra

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