जीएसटी बचत उत्सव से देश में उत्साह का माहौल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती 21 सितंबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बड़ी घोषणा की। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन से देश में नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म लागू हो रहे हैं। उन्होंने इस बदलाव को ‘जीएसटी बचत उत्सव’ का नाम दिया और कहा कि ये सुधार हर वर्ग के लिए राहत लेकर आएंगे। गरीब, मध्यमवर्ग, युवा, महिलाएं, व्यापारी, दुकानदार और उद्यमी, सभी को इसका सीधा फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने इस विशेष संबोधन में स्वदेशी अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे स्वतंत्रता संग्राम के समय ‘स्वदेशी आंदोलन’ ने भारत को नई दिशा दी थी, वैसे ही आज भारत की समृद्धि भी स्वदेशी से ही आएगी। उन्होंने कहा कि हमें जानना चाहिए कि हमारी रोजमर्रा की चीजें देसी हैं या विदेशी और हमें हर संभव कोशिश करनी चाहिए कि हम देश में बना सामान खरीदें और इस्तेमाल करें। देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के एमएसएमई और लघु कुटीर उद्योगों से अपील की कि वो इस बदलाव का भरपूर फायदा उठाएं। जीएसटी की दरें कम होने और प्रक्रियाएं आसान होने से इन उद्योगों की बिक्री बढ़ेगी, टैक्स कम देना पड़ेगा और उनका मुनाफा भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अब वक्त है कि भारत के उत्पाद गुणवत्ता में दुनिया को टक्कर दें और मेड इन इंडिया को एक मजबूत ब्रांड बनाएं।
हालिया दिनों में जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक के बाद घोषित जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर से लागू करने की घोषणा की गई थी। जिसमें अब 12 व 28 फीसदी के दो स्लैब को खत्म करके सिर्फ 5 व 18 फीसदी कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि यह सरकार की ओर से आर्थिक सुधारों की कड़ी में एक नई पहल है जिससे जीएसटी को तार्किक बनाने व आम जनता को महंगाई से राहत देने का प्रयास है। वहीं दूसरी ओर विलासिता आदि वस्तुओं के लिये चालीस फीसदी का एक नया स्लैब जोड़ा गया है। विपक्ष इसे देर से उठाया गया कदम बता रहा है, तो सरकार आर्थिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम। वहीं कुछ अर्थशास्त्री इस कदम को ट्रंप के टैरिफ वॉर के परिप्रेक्ष्य में उठाया गया सुरक्षात्मक कदम मानते हैं जिससे घरेलू खपत को बढ़ाकर निर्यात घाटे को कम किया जा सके। वहीं कुछ लोग इसे नवरात्र में दीवाली से पहले सरकार का तोहफा बता रहे हैं।
माना जा रहा है कि सरकार की सोच है कि आर्थिक सुधारों के जरिये घरेलू उपभोग व निवेश को बढ़ाया जाए। निस्संदेह, इससे भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा। यही वजह है कि कुछ अर्थशास्त्री जीएसटी दरों को घटाने को साहसी व दूरदर्शी कदम बताते हैं, जो उपभोक्ता के उपभोग को बढ़ाएगा। जीएसटी दरों में बदलाव की टाइमिंग को लेकर सवाल उठते रहे हैं। उनका मानना है कि इसकी पृष्ठभूमि में ट्रंप के टैरिफों को कम करने की कवायद भी है ताकि घरेलू उपभोग बढ़ाया जा सके और सस्ते निर्यात को बढ़ावा मिल सके। कालांतर इससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सकेगी। इसका संकेत प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले से संबोधन में भी दिया था। वहीं आगामी वर्ष मार्च में राज्यों को राहत देने वाले कम्पन्सेशन सेस की समाप्ति से पहले राज्यों को राहत देने के लिये भी यह कदम उठाया गया हो सकता है। निस्संदेह, इस कदम से सरकारी खजाने में जीएसटी कम आएगा लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि विलासिता की वस्तुओं पर चालीस फीसदी का जीएसटी सरकार के घाटे की पूर्ति में किसी हद तक मदद करेगा। फिर भी कहा जा रहा है कि सरकार को 48 हजार करोड़ का नुक्सान हो सकता है लेकिन चीजें सस्ती होने पर उपभोग वृद्धि से सरकार को राहत मिल सकती है।
अर्थशास्त्री लंबे समय से मांग करते रहे हैं कि देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले असंगठित क्षेत्र को आर्थिक सुधारों का लाभ दिया जाना चाहिए। बहरहाल, इतना तय है कि जीएसटी दरों में कमी से उपभोक्ता मांग में वृद्धि होगी तो अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। आम आदमी कम पैसे में ज्यादा सामान खरीद पाएगा। यदि देश संपन्न होगा और खर्च का माद्दा बढ़ेगा तो अर्थव्यवस्था भी व्यापक होगी और भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। वैसे जर्मनी और भारत की अर्थव्यवस्था के बीच बहुत कम फासला शेष है, लिहाजा हमारा तीसरी ‘आर्थिक महाशक्ति’ बनना तय है। जीएसटी 2-0 सुधारों के तौर पर आठ लंबे सालों के बाद ‘ऐतिहासिक बदलाव’ है। बीती 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर जीएसटी में हुए इस रिफॉर्म्स का अगर मैं सार बताऊं तो यही कह सकता हूं कि इससे भारत की शानदार अर्थव्यवस्था में पंचरत्न जुड़े हैं। पहला, टैक्स सिस्टम कहीं अधिक सिंपल हुआ। दूसरा, भारत के नागरिकों की क्वालिटी ऑफ लाइफ और बढ़ेगी।
तीसरा, कंजम्शन और ग्रोथ दोनों को नया बूस्टर मिलेगा और चौथा, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से निवेश और नौकरी को बल मिलेगा और पांचवां, विकसित भारत के लिए को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म यानी राज्यों और केंद्र की साझेदारी और मजबूत होगी। अपने ताजा संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से भी आग्रह किया कि वे आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी आंदोलन के साथ मिलकर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दें, निवेश के लिए अच्छा माहौल बनाएं और भारत को तेजी से विकास के पथ पर आगे ले जाएं। उन्होंने कहा कि जीएसटी में बदलाव और इन्कम टैक्स में राहत से देश की जनता को सालाना ढाई लाख करोड़ रुपये की बचत होगी और यही कारण है कि इसे एक ‘बचत उत्सव’ कहा जा रहा है। निस्संदेह यह सही दिशा में उठाया गया एक कदम है लेकिन यह कितना लाभ आम आदमी को पहुंचाएगा, इस बात पर निर्भर करेगा कि सुधार को कितनी निरंतरता और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाता है।