नारी शक्ति का नया चेहरा : सरहद पर लिखेगी इतिहास
भारत की बेटियां अब उस सेना का हिस्सा बन चुकी हैं जो दुश्मनों की नींद उड़ा…
भारत की बेटियां अब उस सेना का हिस्सा बन चुकी हैं जो दुश्मनों की नींद उड़ा देंगी। ये वही बेटियां हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, हिम्मत और जज्बे से इतिहास रच दिया है। पुणे की नेशनल डिफेंस एकेडमी से पहली बार 17 महिला कैडेट्स ने तीन साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद पासआउट होकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। गौरतलब है कि 2021 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपीएससी ने एनडीए के लिए लड़कियों को आवेदन की इजाजत दी थी। 2022 में एनडीए के 148वें कोर्स में पहली बार 19 महिला कैडेट्स को एडमिशन मिला था, जिनमें 10 आर्मी के लिए, 6 एयरफोर्स और 3 नेवी के लिए चुनी गई थीं। इनमें से दो ने ट्रेनिंग के दौरान रिजाइन कर दिया। यानी अब जो 17 बेटियां पासआउट हुई हैं, वो वही हैं जिन्होंने अगस्त 2022 में एनडीए ज्वॉइन किया था और तीन साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद 300 से ज्यादा पुरुष कैडेट्स के साथ पासआउट हुई हैं। तीन साल एनडीए की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद हर कोर्स के लिए एक पासिंग आउट परेड होती है। इसके बाद कैडेट्स अपनी-अपनी सेवा शाखा की प्री-कमीशनिंग एकेडमीज में जाते हैं। आर्मी वाले आईएमए देहरादून, नेवी वाले आईएनए एझिमाला और एयरफोर्स वाले एएफए डुंडीगल जाते हैं। वहां वो एक साल की और ट्रेनिंग करते हैं और फिर राष्ट्रपति द्वारा कमीशन मिलने के बाद भारतीय सेना के अधिकारी बनते हैं। ये महिला कैडेट्स नौसेना और वायुसेना की सेवा में शामिल होंगी। अब महिलाएं सिर्फ़ सैन्य प्रशिक्षण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि फ्रंटलाइन पर तैनात होकर फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं, कमांडिंग पोस्ट पर आसीन हैं और सेना में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में महिला अधिकारियों की भागीदारी ने साफ कर दिया कि महिलाएं अब सिर्फ़ दर्शक नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा में सक्रिय भागीदार हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी अधिकारी इस बदलाव की मिसाल हैं।
भारत में देवी लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा की जाती है। अब वही शक्ति सशस्त्र बलों, संसद, न्यायालय और विज्ञान के क्षेत्र में नजर आ रही है। यह सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव है। एनडीए की ट्रेनिंग पूरी तरह से जेंडर न्यूट्रल होती है। हां, कुछ फिजिकल एक्टिविटीज में लड़कियों की बॉडी स्ट्रक्चर को ध्यान में रखते हुए हल्के बदलाव किए गए हैं लेकिन ट्रेनिंग का स्तर और चुनौती बराबर है।
इन तीन सालों ने इन बेटियों को न सिर्फ एक अफसर बल्कि एक मजबूत और जांबाज इंसान बना दिया है जो अब देश की सरहदों की हिफाजत करेंगी और अब वक्त है कि पाकिस्तान भी भारत की इन शेरनियों की ताकत देखे। हरियाणा की हरसिमरन कौर अब इंडियन नेवल एकेडमी जाएंगी। कौर ने बताया, एनडीए ज्वॉइन करने के पीछे मेरा यही उद्देश्य था कि मैं मिलिट्री में जल्दी करियर शुरू कर पाऊं। मेरे पिता आर्मी से हवलदार के पद से रिटायर हुए हैं। मेरे दादा भी आर्मी में ही थे। यही वजह है कि आर्म्ड फोर्सेज से मैं गहरा जुड़ाव महसूस करती हूं। एनडीए पास करने वाली पहली महिला कैडेट्स में श्रीती दक्ष भी शामिल हैं। श्रीती के पिता एयरफोर्स में विंग कमांडर रह चुके हैं। श्रीती कहती हैं कि जैसा उन्होंने सोचा था, एनडीए का एक्सपीरियंस उससे भी बेहतर है। एकेडमी में आकर उन्हें समझ आया कि मिलिट्री ट्रेनिंग का असली एक्सपीरियंस कैसा होता है। परेड से पहले श्रीती ने कहा था-कुछ ही देर है, जब वो पल महसूस कर पाऊंगी जो मेरे पिता ने भी एक समय पर महसूस किया होगा। इशिता सांगवान नॉन-मिलिट्री बैकग्राउंड से आती हैं। उनके माता-पिता कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब करते हैं और बड़े भाई आईटी प्रोफेशल हैं। 2022 में इशिता इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन कर रही थीं, जब एनडीए में लड़कियों को एडमिशन की परमिशन मिली। इशिता ने अप्लाई किया और सिलेक्शन हो गया। गोवा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नाविका सागर परिक्रमा II के विजयी दल में शामिल लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. का स्वागत किया है। बता दें कि लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और दिलना भारतीय नौसेना के नौकायन पोत तारिणी पर सवार होकर दुनिया की परिक्रमा को सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस दुर्लभ उपलब्धि को पूरा करते हुए लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. गोवा के तट पर पहुंची । इस असाधारण नौकायन अभियान को 2 अक्तूबर 2024 को गोवा के नौसेना महासागर नौकायन नोड से रवाना किया गया। करीब 25 हजार नॉटिकल मील, यानी 43 हजार किलोमीटर से भी अधिक दूरी का सफर, 8 महीने का लंबा समय, वह भी समुद्री थपेड़ों के बीच रहकर गुजारना, अपने आप में बहुत बड़ी बहादुरी है। एकदम निर्जन समुद्र में, जहां दूर-दूर तक कोई इंसान तो छोड़िए जानवर तक देखने को नहीं मिलता, ऐसी स्थिति में दाेनों 8 महीने रही। आॅपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं के हर अंग में महिलाओं ने भागीदारी की। बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि आॅपरेशन सिंदूर के दौरान वायुसेना ने पाकिस्तान और पीओके में जो आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की है, उसे अंजाम देने में महिला पायलटों और अन्य महिला सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दोनों एनसीसी कैडेट रही हैं। इसके अलावा नौसेना में शामिल होने से पहले कमांडर दिलना राष्ट्रीय स्तर की शूटर और अंडर-19 राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेटर भी रही हैं। कमांडर रूपा भी नौसेना आयुध विशेषज्ञ रही हैं।