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प्रदेश की जनता का भाजपा से पूरी तरह मोह-भंग हो चुका है : हुड्डा

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02:32 PM Feb 16, 2018 IST | Desk Team

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चंडीगढ़ : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौ भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने जींद में आयोजित भाजपा की रैली को पूरी तरह विफल बताते हुआ कहा कि इससे प्रदेश को कुछ नहीं मिला। इससे न केवल हरियाणा के आम लोगों को निराशा हाथ लगी अपितु रैली में शामिल भाजपा के कार्यकर्ता भी मायूस होकर घर लौटे। रैली में ज्यादातर खाली पड़ी कुर्सियाँ इस बात की ओर स्पष्ट संकेत करतीं है कि प्रदेश की जनता का भाजपा से पूरी तरह मोह-भंग हो चुका है और उसकी भाजपा नेताओं के खाली जुमले सुनने की कोई रुचि नहीं है। विडंबना यह है कि हरियाणा के खजाने से 22 करोड़ रुपए केवल केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती पर खर्च हो गए, अन्य खर्चे इससे अलग है। इस रैली से प्रदेश की जनता को हासिल कुछ नहीं हुआ बल्कि यह हरियाणा पर एक बोझ साबित हुई है।

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अगर यही केन्द्रीय सुरक्षा बल एस वाई एल के निर्माण के लिए तैनात किए जाते, तो हरियाणा का भला होता। उन्होंने कहा कि रैली में भाजपा नेताओं ने हरियाणा के किसानों, जवानों और खिलाडिय़ों के तारीफों के पुल तो बांधे पर उनके कल्याण के लिए कोई घोषणा नहीं की। यह हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में पहली सत्तारूढ़ पार्टी की रैली है जिसमें सरकार की ओर से किसी वर्ग के लिए कोई घोषणा नहीं की। हरियाणा की जनता के ज़ुबान पर एक ही सवाल है, कि आखिर इस रैली का मकसद क्या था? भाजपा के नेता रैली में दावा करते रहे कि उन्होंने किसानों की आमदनी दुगनी कर दी है लेकिन इस गुत्थी को नहीं सुलझाया कि दुगनी कैसे कर दी है। जबकि जमीनी हकिकत यह है कि मंडियों में हरियाणा के किसान को अपनी फसल का, कांग्रेस के शासन में मिले भाव का आधा भी नहीं मिल रहा है।

हुड्डा ने कहा की मुख्य मंत्री द्वारा बिना नम्बर की मोटरसाईकिल चलाना ट्रैफिक नियमों का खुल्लम-खुल्ला उलंघन है, इतना ही नहीं, उनकी मोटरसाईकिल के पीछे बैठे व्यक्ति तथा साथ चल रहे मोटर-साईकिलों के सवारों के सिर पर हैल्मेट भी नहीं थे। अगर प्रदेश का मुखिया और उसके साथी यातायात के नियमों को तोड़ेंगे तो फिर आम आदमी से ट्रैफिक नियमों का पालन करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। मुख्यमंत्री तथा उनके साथियों के गैरकानूनी आचरण के कारण ही रैली के अधिकांश सवार, बिना हैल्मेट के मोटरसाईकिल की सवारी करते दिखाई दिए। मुख्यमंत्री के इस कदम से ट्रैफिक पुलिस का मनोबल गिरा है।

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(आहूजा)

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