W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

घर की बिखरी हुई चीजों को...

दरअसल एक विशेष सम्प्रदाय द्वारा सोशल मीडिया पर मॉबलिंचिंग की अफवाह फैलाई गई जिसके बाद जमकर बवाल हुआ।

04:30 AM Jul 06, 2019 IST | Ashwini Chopra

दरअसल एक विशेष सम्प्रदाय द्वारा सोशल मीडिया पर मॉबलिंचिंग की अफवाह फैलाई गई जिसके बाद जमकर बवाल हुआ।

घर की बिखरी हुई चीजों को
Advertisement
पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक के हौजकाजी क्षेत्र में पार्किंग को लेकर मामूली झगड़े को जिस तरह से मजहबी रंग देकर माहौल को बिगाड़ा गया, मंदिर पर हमला कर दिल्ली में आग लगाने की साजिश रची गई, इस साजिश को दिल्ली वालों ने विफल बना दिया और साबित किया कि दिल्ली के ताने-बाने को कोई भी उपद्रवी तत्व तहस-नहस नहीं कर सकता। हौजकाजी में स्थिति सामान्य हो चुकी है। मस्जिद में अमन की आयतें पढ़े जाने के बाद बाजार खुल गये हैं। दरअसल एक विशेष सम्प्रदाय द्वारा सोशल मीडिया पर मॉबलिंचिंग की अफवाह फैलाई गई जिसके बाद जमकर बवाल हुआ।
Advertisement
दिल्ली का दिल माने गये चांदनी चौक क्षेत्र में एक मंदिर पर हमला करने का मकसद चिंगारी को दूर तक भड़काना था। इसी नापाक मकसद के चलते मामूली झगड़े को खतरनाक तरीके से खींचकर बड़ा कर दिया गया। चांदनी चौक में मुगलकाल से ही हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ रहते आये हैं और साम्प्रदायिक सद्भाव आज भी कायम है। बवाल के बाद शांति कायम करने के लिये गठित अमन कमेटी ने फैसला किया कि मन्दिर को जो भी नुकसान हुआ है उसको पूरा किया जायेगा। मुस्लिम समुदाय ने भी मन्दिर में निर्माण कराने का फैसला ​लिया। इससे बढ़कर शांति और भाईचारे की मिसाल क्या हो सकती है।
Advertisement
यद्यपि इस मामले पर सियासत भी शुरू हुई थी लेकिन समाज ने खुद मिलकर उस सियासत पर पानी फेर दिया। जो लोग असहिष्णुता का शोर मचाते रहते हैं, उन्हें भी जवाब मिल गया कि समाज शांति से रहना चाहता है। अ​सहिष्णुता का शोर मचाने वालों को यह भी देखना होगा कि सोशल मीडिया का उन्माद देश के लिये कितना खतरनाक साबित हो सकता है। चांदनी चौक का इलाका काफी संवेदनशील माना जाता है लेकिन हौजकाजी में हुये बवाल पर देशभर में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। स्वयं मुस्लिम समाज ने खुद आगे आकर शांति की पहल की। लोगों ने समझदारी और सूझबूझ से काम लिया और इलाके में अमन-चैन कायम हो गया। गंगा-जमुनी तहजीब का भारत में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इन शब्दों का प्रयोग गंगा और जमुना नदी के किनारे बसे हिन्दू और मुस्लिमों के लिये होता है।
औरंगजेब युग के अंत के बाद अवध क्षेत्र में इस शब्द या संस्कृति की शुरूआत हुई थी जो कि भारत की संस्कृति का केन्द्र रहा है। प्रयाग, कानपुर, अयोध्या, बनारस इसका केन्द्र हैं। जमुना किनारे होने से दिल्ली भी इसी में आती है। गंगा-जमुनी तहजीब में नदियों का इस्तेमाल केवल इलाकों में रिहाइश के आधार पर ही किया गया। इस तहजीब का अर्थ यही है कि हिन्दू मुस्लिम की और मुस्लिम हिन्दू की आस्थाओं, मान्यताओं का सम्मान करें। दोनों को न तो आपत्ति हो एक-दूसरे की मान्यताओं से और न ही एक-दूसरे की मान्यताओं का विरोध हो। जब से तुष्टीकरण की नीतियां अपनाई जाने लगीं तब से यह तहजीब केवल शब्दों में रह गई है। चांदनी चौक में महोत्सवों के दौरान राम नवमी पर निकाली जाने वाली शोभायात्रा का स्वागत मुस्लिम भाई भी करते हैं। रामलीला मंचन से मुस्लिम भाई किसी न किसी तरह जुड़े हुये रहते हैं। ईद के मौके पर हिन्दू सम्प्रदाय के लोग मुस्लिम भाईयों को मुबारकवाद देते हैं। दोनों संस्कृतियों में हमेशा सद्भाव नजर आता है।
हौजकाजी बवाल को लेकर पुलिस ने कुछ गिरफ्तारियां भी की हैं लेकिन पुलिस को जांच में उन उपद्रवी तत्वों की पहचान करनी होगी जिन्होंने इसे मजहबी रूप दिया। पुलिस को यह भी देखना होगा कि इसके पीछे कोई सियासी एंगल तो नहीं क्योंकि इसी साल के अंत में दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा हो जायेगी। हर समाज में कुछ तत्व होते हैं जो जोड़ने की नहीं तोड़ने की बातें करते हैं। जो जोड़ता है वह पुण्य है जो तोड़ता है वह पाप है। राष्ट्र की अस्मिता के लिये हिन्दू-मुस्लिम समाज कंधे से कंधा मिलाकर काम करे तो देश की फिजां ही बदल जायेगी। छोटी लकीरों के सामने मौलाना आजाद, डा. अशफाक, अब्दुल हमीद, नौशाद, बिस्मिल्ला खां सहित डा. एपीजे अब्दुल कलाम जैसी हस्तियों की बड़ी लकीर खींचनी होगी।
अपना गम लेकर कहीं और न जाये
घर की बिखरी हुई चीजों को सजाया जाये
जिन चिरागों काे हवाओं का कोई खौफ नहीं
उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो
यूं कर ले किसी रोते हुये बच्चे को हंसाया जाये।
Advertisement
Author Image

Ashwini Chopra

View all posts

Advertisement
Advertisement
×