चीन में सैन्य अधिकारियों पर एक्शन का सिलसिला जारी, अब इस मिलिट्री कमांडर को हुई जेल!
शी जिनपिंग की भ्रष्टाचार नीति का असर, सैन्य अधिकारी पर कार्रवाई
चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है। एडमिरल मिया हुओ को पद से हटाकर हिरासत में लिया गया है। यह राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ का हिस्सा है। आलोचक इसे सत्ता पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश मान रहे हैं।
China Military Corruption: भारत के पड़ोसी देश चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही सख्त कार्रवाई के तहत एक और उच्च रैंकिंग सैन्य अधिकारी को उनके पद से हटा दिया गया है. इस बार एडमिरल मिया हुओ को चीनी सेना की सर्वोच्च संस्था सेंट्रल मिलिट्री कमीशन और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस से बाहर कर दिया गया है. हालांकि आधिकारिक रूप से उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें हिरासत में लिया जा चुका है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मिया हुओ इस तरह के पहले अधिकारी नहीं हैं. पिछले दो से तीन वर्षों के भीतर चीन के दो पूर्व रक्षा मंत्री–ली शांगफु और वेई फेंघे, साथ ही रॉकेट फोर्स के पूर्व कमांडर, सहित कई उच्च सैन्य अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में उनके पदों से हटा दिया गया है. यह सिलसिला राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भ्रष्टाचार के विरुद्ध ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ का हिस्सा बताया जा रहा है.
सरकार के इस कदम की हुई आलोचना
इस बीच जहां चीनी सरकार इन कार्रवाइयों को भ्रष्टाचार मिटाने की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है, वहीं कुछ विश्लेषक और आलोचक इसे राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से सत्ता पर नियंत्रण बढ़ाने और असहमति की आवाजों को दबाने की कोशिश के तौर पर भी देख रहे हैं.
शांगरी-ला डायलॉग को लेकर चीन का फैसला
शांगरी-ला डायलॉग, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र की एक प्रमुख सुरक्षा वार्ता है. जिसमें इस वर्ष 2025 में चीन ने चौंकाने वाला फैसला लिया है. चीन ने अपने रक्षा मंत्री डोंग जून को इस सम्मेलन में भेजने की बजाय पीएलए के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के डेलिगेशन को भेजने का निर्णय किया है.
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गैंगफेंग के नेतृत्व में जाएगा चीनी डेलिगेशन
चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने 29 मई को घोषणा की कि इस बार शांगरी-ला डायलॉग में रियर एडमिरल हू गैंगफेंग के नेतृत्व में एक डेलिगेशन हिस्सा लेगा. मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने बताया कि यह प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ गंभीर विचार-विमर्श करेगा और आपसी समझ बढ़ाने पर जोर देगा. हालांकि, इस बात पर अभी भी रहस्य बना हुआ है कि डोंग जून क्यों नहीं आ रहे हैं.