भीतर बैठे गद्दार
जासूसी एक ऐसा कृत्य है जिसमें देश के भीतर अपने ही लोग गुप्त रूप से देश…
जासूसी एक ऐसा कृत्य है जिसमें देश के भीतर अपने ही लोग गुप्त रूप से देश की सामरिक या वैज्ञानिक सूचनाएं दुश्मन देश या किसी संगठन को देते हैं। जासूसी का इतिहास कोई नया नहीं है। राजा-महाराजाओं के समय में भी भेदिए पकड़े जाते थे। आज के दौर में भी जासूसी होती है। यह काम अक्सर धन के लालच में विचारधारा या दबाव के तहत किया जाता है। हनी ट्रैप के माध्यम से भी जासूसों का संजाल बिछाया जाता है। इसका सीधा प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है क्योंकि इससे रक्षा तैयारियों, खुफिया नेटवर्क और विदेश नीति को गहरा नुक्सान पहुंच सकता है। देश में एक के बाद एक पकड़े जा रहे पाकिस्तानी जासूसों ने एक सवाल खड़ा कर िदया है कि आखिर देश में कहां-कहां पर दुश्मन बैठे हुए हैं और इनका नेटवर्क कितना पुख्ता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत की मिट्टी पर छिपे गद्दार कितनी भी चालाकी से छिप जाएं, वे कानून की नजरों से नहीं बच सकते। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ ने न सिर्फ सरहद पार बैठे दुश्मनों की नींद हराम कर दी है, बल्कि देश के भीतर बैठे गुप्त गद्दारों की भी कमर तोड़ दी है। हाल के दिनों में लगातार तीन जासूसों की गिरफ्तारी ने पूरे देश को चौंका दिया है। ये तीनों ही लोग आम नागरिकों की तरह जिंदगी जी रहे थे, लेकिन इनके इरादे राष्ट्र विरोधी थे।
इंस्टा-यूट्यूब पर हिट इंफ्लुएंसर के वेश में जासूसी का खतरनाक खेल करने वाली ज्योति मल्होत्रा पकड़े गए आरोपियों में सबसे चौंकाने वाला नाम है। ज्योति मल्होत्रा एक निजी संस्था में काम करती थी। शुरुआती जांच में पता चला है कि वह सोशल मीडिया के ज़रिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ी थी। व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे माध्यमों से वह संवेदनशील जानकारियां भेज रही थी, जिनमें फौजी मूवमेंट, कैंटोनमेंट एरिया की तस्वीरें और रणनीतिक सूचनाएं शामिल थीं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ज्योति को दुबई के एक कथित हैंडलर के माध्यम से भुगतान किया जाता था। उसकी गिरफ्तारी ने महिला नेटवर्क के जरिए जासूसी की एक नई परत खोल दी है। अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के मामले में पकड़े गए हैं और यह बात भी स्पष्ट हो चुकी है कि दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास के जरिए खुफिया एजैंसी आईएसआई भारत के लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनसे जासूसी कराने का काम कराती थी। पाकिस्तान का वीजा देने की आड़ में आईएसआई पाकिस्तान उच्चायोग के जरिए जासूसी का खेल खेलते थे। इनके जाल में धीरे-धीरे लोग फंसते चले गए। हो सकता है कि गिरफ्तार की गई ज्योति मल्होत्रा महज एक मोहरा भर हो। जांच एजैंसियां अब इस बात की जांच कर रही हैं िक क्या इन आरोपियों की सैन्य या रक्षा अभियानों से संबंधित जानकारी तक सीधी पहुंच थी। खुफिया एजैंसियों के लिए यह काम काफी चुनौतीपूर्ण है। हनी ट्रैप पाकिस्तान का एक ऐसा हथियार बन चुका है जिसमें भारतीय सेना के कई जवान भी फंस चुके हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले व्यक्ति कब किससे मिल जाएं कोई नहीं जानता है। और इसी सोशल मीडिया का शिकार कई लोग हो चुके हैं।
पाकिस्तान सोशल मीडिया पर अपने लोगों को तैयार करता है कि कैसे हनी ट्रैप में भारतीय सेना के जवानों को फंसाया जाए। इसके लिए महिलाओं को पूरी ट्रेनिंग दी जाती है। ये महिलाएं फिर फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से सेना के जवानों से दोस्ती करती हैं। इसके बाद जवानों के साथ पहले समय देती हैं और धीरे-धीरे अपने बहकावे में लाकर अहम जानकारी निकालने का प्रयास करती हैं। महिलाओं के जाल में फंस कर अब तक कई सेना के जवान इसके शिकार हो चुके हैं। भारतीय सेना ने भारतीय सेना के अधिकारियों को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे 150 प्रोफाइल की पहचान दिसबंर 2020 में की थी। इस तरह की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति ने भारत सरकार को भारतीय सेना के सैनिकों से फेसबुक, इंस्टाग्राम और 87 अन्य ऐप को अपने फोन से हटाने के लिए कहा था। प्रतिबंधित ऐप्स की सबसे विस्तृत शृंृंखला में टिंडर, टूली मैडली और ओके क्यूपिड जैसे 15 डेटिंग ऐप्स शामिल थे।
ज्योति मल्होत्रा से पहले 2010 में इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में सेवा देने वाली माधुरी गुप्ता नाम की एक उच्च पदस्थ राजनयिक को पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तब यह मामला काफी चर्चित हुआ था। माधुरी गुप्ता कोई ज्योति मल्होत्रा की तरह आम महिला नहीं थी। वह उच्च पद पर थी लेकिन जब मामले की जांच की गई तो चौंकाने वाले विवरण सामने आए थे। बहुत संभव है कि जासूसी कांड में पकड़े गए लोग बड़े आर्थिक प्रलोभनों के लालच में पाक एजैंटों के जाल में फंसे हों। हैरानी तब होती है जब भारत की मिट्टी में खेले-पले और बड़े हुए लोग चंद पैसों और अन्य सुविधाओं के लालच में देश से गद्दारी करने पर उतर आते हैं। दरअसल सूचना क्रांति के इस दौर में जासूसी करना बहुत आसान हो गया है और खुफिया एजैंसियां हर आदमी पर नजर नहीं रख सकती। आने वाले दिनों में हो सकता है िक कुछ बड़ी मछलियां पकड़ी जाएं और भारत के िखलाफ बड़ी साजिशों का खुलासा हो। पाकिस्तान न केवल जासूसी करवा रहा था बल्कि ज्योति मल्होत्रा से अपनी छवि सुधारने के िलए वीडियो भी बनवा रहा था। खुफिया एजैंसियों को अब बहुत ही सतर्कतापूर्ण काम करना होगा बल्कि देशभर में जगह-जगह बैठे जासूसों के जाल को छिन्न-भिन्न करके पाकिस्तान दूतावास और उच्चायोग में बैठे ऐसे तत्वों को बेनकाब करे जो भारत की धरती को लहुलूहान करने की साजिशें रचते हैं।