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चमकते चेहरों का स्याह सच

उड़दा पंजाब यानी नशे की दल-दल में फंसा पंजाब काफी चर्चित रहा है। इस विषय पर जमकर राजनीति भी हुई, टीवी शो और फिल्में भी बनीं। सारी स्थितियां सामने हैं कि किस तरह पाकिस्तान से नशे की खेप पंजाब के सीमांत क्षेत्रों में पहुंच रही हैं।

12:08 AM Sep 05, 2020 IST | Aditya Chopra

उड़दा पंजाब यानी नशे की दल-दल में फंसा पंजाब काफी चर्चित रहा है। इस विषय पर जमकर राजनीति भी हुई, टीवी शो और फिल्में भी बनीं। सारी स्थितियां सामने हैं कि किस तरह पाकिस्तान से नशे की खेप पंजाब के सीमांत क्षेत्रों में पहुंच रही हैं।

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चमकते चेहरों का स्याह सच
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उड़दा पंजाब यानी नशे की दल-दल में फंसा पंजाब काफी चर्चित रहा है। इस विषय पर जमकर राजनीति भी हुई, टीवी शो और फिल्में भी बनीं। सारी स्थितियां सामने हैं कि किस तरह पाकिस्तान से नशे की खेप पंजाब के सीमांत क्षेत्रों में पहुंच रही हैं। आज भी भारी मात्रा में हेरोइन और अन्य नशीले पदार्थ पकड़े जाते हैं। अब तो नशीले पदार्थों की तस्करी के ​िलए नए-नए तरीके अपनाए जाने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पंजाब के युवाओं को नशे की दल-दल से कैसे निकाला जाए? युवाओं की लगातार मौतें हो रही हैं, गांवों में मातम का माहौल बना हुआ है। दूसरी तरफ फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले में जिस कोण को लेकर सीबीआई जांच शुरू की गई है, वह पृष्ठभूमि में जाती प्रतीत हो रही है।
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सारे मामले पर ड्रग्स कनैक्शन की छाया पड़ चुकी है। सुशांत के हाऊस मैनेजर रहे सैमुअल मिरांडा को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। ड्रग्स पैडलर भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। सुशांत मामले में नई कड़ियां जुड़ जाने से साफ है कि मुम्बई भी नशीले पदार्थों की दल-दल में आकंठ डूबा हुआ है। मुम्बई सपनों का शहर है और  दुनिया भर को सपने बेचता है, देर रात तक जागता है, भोर होने से पहले ​बिस्तर में दुबक जाता है, फिर दूसरे दिन उठता है। जब मुम्बई रात की बाहों में होती है तो चमकती रोशनियों में, पार्टियों में क्या-क्या धंधा होता है, यह देशवासियों से ​छिपा हुआ नहीं है। फिर भी इलैक्ट्रानिक्स मीडिया इन सब खबरों को दिनभर ब्रेकिंग न्यूज का ढिंढोरा पीट-पीट कर प्रसारित कर रहा है, उससे नई पीढ़ी के लोगों में सनसनी पैदा की जा रही है। इससे पहले भी फिल्म अभिनेता संजय दत्त, फरदीन खान, अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, राहुल महाजन, अपूर्व अग्निहोत्री, मॉडल दर्शितमिता गौड़ा, डीजे अकील, विजय राज जैसे कई हाईप्रोफाइल लोग ड्रग्स के खेल में फंस चुके हैं। ये वो लोग हैं जो पकड़े गए, जो अब तक पकड़े नहीं गए, वे कानून की नजर में दूध के धुले हैं। मुम्बई के समुद्री पानी में काफी क्षार है यानी समुद्र का पानी काफी खारा होता है। इस पानी से धातुओं को ही नहीं इन्सानों को भी जंग लगना शुरू हो जाता है। ग्लैमर की दुनिया को जिन लोगों ने करीब से देखा है उन्हें पता है कि चकाचौंध से भरी जिन्दगी आसान नहीं होती।​
फिल्मी दुनिया में जो लोग सफलता के परचम को छूते हैं, उसके पीछे संघर्ष की लम्बी दास्तानें छिपी हुई होती हैं। लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, उनके हर स्टाइल का अनुसरण करने लगते हैं। जिन अभिनेता और अभिनेत्रियों का आत्मबल मजबूत होता है और जो भावनात्मक रूप से काफी मजबूत होते हैं, वे जीवन के उतार-चढ़ाव को सहने की क्षमता रखते हैं। ​जिनका मनोबल कमजोर होता है, वे ड्रग्स की दल-दल में फंस जाते हैं। असल में फ़िल्मी दुनिया के लोगों का लाइफ स्टाइल ही भटकाव का सबसे बड़ा कारण है। उनके काम के घंटे काफी लम्बे होते हैं, कई बार दिन और रात भर शूटिंग करते हैं और कई बार वे इंसोम्निया और डीप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इनके लिए पार्टियों में जाना एक तरह का पीआर होता है। यह पीआर भी एक मजबूरी है। ग्लैमर की दुनिया के लोग आम लोगों की तरह साधारण सामाजिक जीवन नहीं जी पाते, उनके भीतर अन्दर का अकेलापन घर करने लगता है।
जिस महानगर में कभी डी कम्पनी का साम्राज्य स्थापित था। जहां नशीले पदार्थों की तस्करी से दाऊद इब्राहिम जैसा माफिया पनपा हो, उस शहर में नशीले पदार्थों का धंधा खत्म हो जाएगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
ड्रग्स तो काला सोना है, यह जल्दी और आसान तरीके से कमाई का साधन है। आज भी लोगों के तार डी कम्पनी से जुड़े हुए हैं या फिर डी कम्पनी की शाखाओं से निकले लोगों ने अपने-अपने गिरोह बना लिए हैं।
ज्यादातर हाईप्रोफाइल लोग इस धंधे में ग्राहक के तौर पर फंसते हैं। ड्रग्स का धंधा करने वाले लोग कितने ही बड़े क्यों न हो जाएं असल में वे इस काली दुनिया का छोटा सा अंग ही होते हैं। ग्लैमर की दुनिया के जो लोग पार्टियों में या किसी ग्रुप में शामिल हाेते हैं, उनमें से कुछ लोगों के लिए सिगरेट के कश लगाना फेशनेबल होने जैसा है-
‘‘दो घूंट ही पी थी जानिब-ए-शौक
पर वो कमबख्त मुझे पीती चली गई।’’ 
लोग भले ही शौक-शौक में नशा करते हैं और फिर इसके आदी हो जाते हैं। पंजाब में नशीले पदार्थों के सेवन के पीछे बेरोजगारी एक बड़ा कारण है, युवाओं के लिए कृषि अब आकर्षण का धंधा नहीं रहा है जबकि मुम्बई के नशीले पदार्थों की ​गिरफ्त में आने का कारण भी हाईप्रोफाइल है। जहां तक देश में नशीलों पदार्थों के धंधे की बात है तो यह धंधा हर जगह किसी न किसी रूप में है। दिल्ली, नोएडा और गुड़गांव में भी नशीले पदार्थों की खेप पकड़ी जाती रही हैं। पिछले वर्षों में दक्षिण पश्चिम एशिया के देशों से भारत में आने वाली हेरोइन की मात्रा में काफी बढ़ौतरी हुई है। रासायनिक प्रक्रिया से तैयार होने वाला नशा भी बड़ी चुनौती है। मादक पदार्थों का सेवन स्वयं परिवार, समाज के साथ देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है और देश विरोधी ताकतों के लिए आमदनी का एक बड़ा जरिया भी है। फिल्मी दुनिया के चमकते चेहरों का स्याह सच यही है कि इंडस्ट्री के लोगों के ब्लड की जांच की जाए तो अधिकांश को नशा मुक्ति केन्द्रों में भेजना पड़ेगा। इस बात की ओर इशारा अभिनेत्री कंगना रानौत ने भी किया है। महज हैडलाइन्स को सनसनीखेज तरीकों से पेश करने से हम केवल नशीले पदार्थों को ही ग्लैमराइज कर रहे हैं जबकि चिंतन-मंथन इस बात पर होना चाहिए कि देश की युवा पीढ़ी को ड्रग्स की दल-दल से कैसे निकाला जाए।
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