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गिद्ध कभी कबूतर नहीं होंगे!

बात मुगलकाल की है। एक बार जंगल में लकड़ी काटकर वापस आते एक लकड़हारे ने देखा कि चार जवान लम्बे-चौड़े और मूंछें 11 बजकर 5 मिनट स्टाइल में उठी हुईं, अरबी घोड़ों पर सवार होकर जा रहे थे।

04:20 AM Jun 04, 2019 IST | Desk Team

बात मुगलकाल की है। एक बार जंगल में लकड़ी काटकर वापस आते एक लकड़हारे ने देखा कि चार जवान लम्बे-चौड़े और मूंछें 11 बजकर 5 मिनट स्टाइल में उठी हुईं, अरबी घोड़ों पर सवार होकर जा रहे थे।

बात मुगलकाल की है। एक बार जंगल में लकड़ी काटकर वापस आते एक लकड़हारे ने देखा कि चार जवान लम्बे-चौड़े और मूंछें 11 बजकर 5 मिनट स्टाइल में उठी हुईं, अरबी घोड़ों पर सवार होकर जा रहे थे। लकड़हारे ने झुककर सलाम किया। वह उनसे कुछ पूछना चाहता था कि इस रास्ते से होकर वे कहां जा रहे हैं परन्तु डरकर कुछ नहीं पूछ सका। हिम्मत न पड़ी। अचानक उसने देखा कि एक मरियल से गधे पर सवार होकर उसी स्टाइल में मूंछें रखे एक अधमरा सा दिखाई देने वाला व्यक्ति भी उसी रास्ते से आ रहा है। 
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साहस जुटाकर लकड़हारे ने पूछा कि हुजूर आज जंगल के रास्ते आप किधर तशरीफ ले जा रहे हैं। उस व्यक्ति ने कहा- हम पांचों शाही सवार शहंशाह के निमंत्रण पर दिल्ली जा रहे हैं। वह पांचवां भी स्वयं को शाही सवार बता रहा था। यह सुनकर लकड़हारा जोर से हंसा और इससे पहले कि वह शाही सवार उससे कुछ पूछता, लकड़हारा वहां से खिसक गया। 
कूटनीति बड़ी अजीब शै है और राजनीति तो अलग शै है ही। कुछ गधों के सवार भी अपने आपको शहसवार समझने लगे हैं। ऐसे ही शहसवार हमारे पड़ोस के मुल्क में हैं। पाकिस्तान आर्थिक रूप से मरियल गधे के समान है और उसके हुक्मरान इमरान खान उस पर सवार हैं। शहसवार मोदी सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में आतंकवादी शिविरों पर हवाई हमले के बाद बहुत दबाव में है। शहसवार बार-बार भारत से वार्ता की अपील कर रहा है। उसने अमेरिका से भी भारत को बातचीत के लिए राजी करने की गुहार लगाई है। नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने पर पाक के हुक्मरान खौफ खाए बैठे हैं। 
इमरान खान को उम्मीद थी कि उन्हें नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्यौता मिलेगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को दूध में से मक्खी की तरह बाहर निकाल दिया। पाकिस्तान के शहसवार अपमानित महसूस कर रहे हैं और विपक्षी दल उनका जबर्दस्त मजाक उड़ा रहे हैं। इसी बीच पाकिस्तान ने एक और हथकंडा अपनाया। बौखलाए पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास की ओर से सरीना होटल में आयोजित इफ्तार की दावत में आए मेहमानों से बदसलूकी की।
सुरक्षा जांच के नाम पर मेहमानों का उत्पीड़न किया गया। मेहमानों को सुरक्षा एजैंसियों की अभूतपूर्व सुरक्षा जांच और धमकियों का सामना करना पड़ा। लाहौर और कराची तक से आए मेहमानों को इफ्तार की दावत में शामिल होने से रोकने का प्रयास किया। इफ्तार की दावत शुरू होने से पहले ही सुरक्षा एजैंसियों ने होटल की घेराबंदी कर ली थी। यही नहीं, मेहमानों का उत्पीड़न रोकने का प्रयास कर रहे भारतीय दूतावास के अधिकारियों से भी दुर्व्यवहार किया गया और कई के मोबाइल तक छीन लिए गए। पाकिस्तान की पत्रकार महरीन जहरा मलिक ने अपने ट्वीट में सारी दास्तान कह डाली है। पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों का उत्पीड़न करने आैर उनका आक्रामक ढंग से पीछा करने की अनेक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 
जब भी भारत पाकिस्तान से कड़ा प्रोटेस्ट दर्ज कराता है तो वह उलटा भारत पर दिल्ली स्थित पाक दूतावास के अधिकारियों का उत्पीड़न करने का आरोप लगा देता है। पाकिस्तान का यह आचरण राजनय धर्म की मर्यादाओं के विपरीत है। एक तरफ वह सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर गोलाबारी करता आ रहा है तो दूसरी तरफ वह नापाक हरकतें करने में भी पीछे नहीं है। इफ्तार की दावत में आए मेहमानों से अपमानजनक व्यवहार और भारतीय राजनयिकों का उत्पीड़न पाकिस्तान की नई पैंतरेबाजी है। यह एक गम्भीर प्रकरण है। इसे लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाने की जरूरत है।
वैश्विक दबाव में पाकिस्तान पहले ही काफी अलग-थलग पड़ चुका है। उसे समझ में नहीं आ रहा कि वह करे तो क्या करे। उधर पाकिस्तान के कभी खैरख्वाह रहे अमेरिका ने भी पाकिस्तान के राजनयिकों को दी गई विशेष छूट वापस ले ली है। विशेष छूट खत्म होने के चलते अब अमेरिका में पाक राजनयिकों को केवल 40 किलोमीटर के दायरे में ही रहना होगा। वैश्विक शक्तियों की नजर में पाकिस्तान अब भरोसेमंद देश नहीं रह गया। शर्मनाक हरकतें करके ही पाकिस्तान की पूरी दुनिया में फजीहत हो रही है। पाकिस्तान ने अमानुषिकता की सारी सीमाएं लांघकर भारतीय जवानों आैर नागरिकों का खून बहाया है। 
आजादी के बाद से कितना ही पानी रावी और झेलम से गुजर चुका है। कितना खून भी बह चुका है। क्या आजादी के 72 वर्ष बाद गिद्धों के वंशज शांति के कबूतर हो जाएंगे, ऐसा सोचना भी भूल होगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पाकिस्तान के मोर्चे पर नई रणनीति के तहत घेराबंदी करनी ही होगी क्योंकि गिद्ध कभी कबूतर नहीं हो सकते। जब भी उसका मौका ​लगेगा गिद्ध भारत को नोचने की ही कोशिश करेगा।
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