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प्रौद्योगिकी में भारत की राह पर दुनिया

04:20 AM Oct 31, 2025 IST | Editorial

भारत आज वैश्विक वैज्ञानिक पुनर्जागरण के द्वार पर खड़ा है। तकनीक से समृद्ध भारत आज केवल अनुयायी नहीं है, बल्कि दूसरों को भी उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर रहा है। पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति देखी है। डिजिटल सशक्तिकरण से लेकर अंतरिक्ष अन्वेषण तक, आत्मनिर्भर और तकनीक-प्रधान भारत की रूपरेखा अब स्पष्ट दिख रही है। डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया की सफलताओं से लेकर स्वच्छ भारत और वन हेल्थ जैसे अभियानों तक देश ने यह साबित किया है कि विज्ञान, तकनीक और नवाचार के माध्यम से बड़े पैमाने पर परिवर्तन लाया जा सकता है। यूपीआई क्रांति ने डिजिटल भुगतान की परिभाषा ही बदल दी है और भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बना दिया है। भारत की जैव-अर्थव्यवस्था ने पिछले दस वर्षों में जबरदस्त प्रगति की है। 2014 में जहां इसका मूल्य 10 अरब डॉलर था, वहीं 2024 में यह बढ़कर लगभग 165.7 अरब डॉलर हो गया है। भारत अब बायोफ्यूल, बायोप्लास्टिक और ग्रीन केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। चंद्रयान और गगनयान मिशनों ने भारत की पहचान अंतरिक्ष शक्ति संपन्न देशों में मजबूत की है, जबकि 5जी नेटवर्क की शुरुआत और डिजिटल कूटनीति ने देश के दूर-दराज़ इलाकों तक कनेक्टिविटी और सशक्तिकरण पहुंचाया है। भारत अब सबके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बुद्धिमत्ता और नवाचार का लाभ हर क्षेत्र तक पहुंचे। चाहे वह कृषि हो, स्वास्थ्य सेवा हो या शासन व्यवस्था। देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियां और युवाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप्स का मजबूत नेटवर्क भारत की वैज्ञानिक और उद्यमशीलता की भावना को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन, क्वांटम विज्ञान और तकनीक, सेमीकंडक्टर निर्माण और सटीक कृषि जैसे क्षेत्रों में भारत की प्रगति यह दिखाती है कि भारत अब केवल दुनिया के साथ कदम नहीं मिला रहा, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने में मदद कर रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत की कहानी है। एक ऐसा आत्मविश्वासी और दूरदर्शी भारत जो विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर, अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने तक, दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है।
ईएसटीआईसी : उपलब्धि से आकांक्षा तक इस प्रगति की पृष्ठभूमि में 3 से 5 नवंबर 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में होने वाला इमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव एक साहसिक नया कदम है।
भारत सरकार के 13 मंत्रालयों की ओर से आयोजित यह सम्मेलन सिर्फ उपलब्धियों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह सहयोग, दूरदृष्टि और राष्ट्रीय रणनीति का मंच है। माननीय प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन किए जाने वाला ईएसटीआईसी 2025 देश-विदेश के प्रमुख वैज्ञानिकों, नवाचारकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा ताकि वे नई उभरती तकनीकों के भविष्य पर विचार-विमर्श कर सकें। यह सम्मेलन एक ऐसे मंच के रूप में कार्य करेगा जहां कमियों की पहचान, साझेदारियां स्थापित करना और विज्ञान व प्रौद्योगिकी को भारत की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप दिशा देना- इन सभी पर संयुक्त रूप से काम किया जाएगा। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय एकजुटता मंच है जो शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग जगत और सरकार को एक साझा उद्देश्य से जोड़ता है: भारत को विकसित भारत 2047 की दिशा में आगे बढ़ाना। यानी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने तक एक पूर्ण विकसित और नवाचार-प्रधान राष्ट्र बनाना। ईएसटीआईसी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण 11 विषयों पर केंद्रित किया गया है। यह सम्मेलन एक ऐसा केंद्रीय मंच बनेगा जहां रणनीतिक संवाद, सहयोग और भारत की श्रेष्ठ उपलब्धियों को प्रस्तुत किया जाएगा। वर्तमान उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ-साथ, यह सम्मेलन नए विचारों पर मंथन, कमियों की पहचान और नीति-निर्माण में सुधार का अवसर भी प्रदान करेगा ताकि भारत की वैज्ञानिक प्रगति समाज की जरूरतों और वैश्विक अवसरों के साथ तालमेल में बनी रहे।
ग्यारह विषय, एक लक्ष्य : ईएसटीआईसी 2025 को ग्यारह प्रमुख विषयों के इर्द-गिर्द तैयार किया गया है जो मिलकर भारत की तकनीकी आकांक्षाओं और लक्ष्यों को दर्शाते हैं। इन विषयों में शामिल हैं- एडवांस्ड मटेरियल्स और मैन्युफैक्चरिंग- ऐसे मजबूत, हल्के और स्मार्ट पदार्थों का निर्माण जो रक्षा, अंतरिक्ष और उद्योग के क्षेत्र को नई शक्ति दें। कृत्रिम बुद्धिमत्ता- जो जीवन को आसान बना रही है और शासन प्रणाली को अधिक स्मार्ट और समावेशी बना रही है। बायो-मैन्युफैक्चरिंग, जो टिकाऊ जैव-उत्पादों और सर्कुलर समाधानों के माध्यम से हरित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा रही है। ब्लू इकॉनमी- जो समुद्री संसाधनों का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग कर समृद्धि और लचीलापन बढ़ाने पर केंद्रित है। डिजिटल कम्युनिकेशन- 4जी से 5जी और अब 6जी की ओर बढ़ते हुए ग्रामीण भारत को सशक्त बना रहा है और वैश्विक डिजिटल कूटनीति में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण- जो 'मेक इन इंडिया' के विज़न को सिलिकॉन-आधारित वास्तविकता में बदल रहा है। उभरती कृषि तकनीकें- जो नवाचार, सटीकता और स्थिरता के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं। ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु- जो नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन को दुनिया के लिए उदाहरण बना रहे हैं। स्वास्थ्य और चिकित्सा तकनीकें- जो सस्ती और सुलभ नवाचारों के माध्यम से स्वास्थ्य समानता सुनिश्चित कर रही हैं। क्वांटम विज्ञान और तकनीक- जो सुरक्षित संचार, सेंसरिंग, कंप्यूटिंग और नए पदार्थों के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। अंतरिक्ष तकनीक- जो नई पीढ़ियों को प्रेरित कर रही है और भारत के वैज्ञानिक क्षितिज को और विस्तृत बना रही है। ये सभी विषय मिलकर भारत के समग्र नवाचार मानचित्र को दर्शाते हैं- एक ऐसा ढांचा जहां गहन विज्ञान, उद्यमिता और नीति निर्माण एक साथ मिलकर देश के विकास को नई दिशा देते हैं।
विकसित भारत 2047 की ओर : कई मायनों में ईएसटीआईसी भारत के बढ़ते आत्मविश्वास का प्रतीक है। एक ऐसा आत्मविश्वास जो ज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रहा है। यह एक राष्ट्रीय मिशन है जिसका उद्देश्य है-कल्पनाशक्ति को जगाना, युवाओं को प्रेरित करना और भविष्य के लिए नवाचार को बढ़ावा देना।
ईएसटीआईसी 2025 में विचारशील नेताओं, नोबेल पुरस्कार विजेताओं, नीति-निर्माताओं और उद्योग जगत के अग्रदूतों को एक साथ लाया जाएगा ताकि भारत को एक वैज्ञानिक महाशक्ति और नवाचार-आधारित विकास के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके। जैसे-जैसे भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, ईएसटीआईसी एक प्रेरक शक्ति और प्रतीक दोनों के रूप में खड़ा है। एक ऐसा मंच जहां भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां उसकी विकास आकांक्षाओं से मिलती हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हर नवाचार मजबूत, टिकाऊ और समावेशी विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे।

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