शुभ कुंभ मेले पर न विवाद था, न होगा!
जिस प्रकार से मुस्लिम समाज का सबसे बड़ा व पवित्र धार्मिक समागम प्रत्येक….
जिस प्रकार से मुस्लिम समाज का सबसे बड़ा व पवित्र धार्मिक समागम प्रत्येक वर्ष मक्का का हज होता है, जिसमें चालीस लाख श्रद्धालु भाग लेते हैं, उसी प्रकार से सनातनी समाज का विशालकाय 2025 प्रयाग कुंभ समागम है, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत में त्रिवेणी संगम पर प्रारंभ हो चुका है और जिसमें चालीस करोड़ श्रद्धालु पूर्ण विश्व से आ रहे हैं। कुंभ मेले का यह ‘भव्य’ संस्करण 144 साल में एक बार होने वाला आयोजन है जो 44 दिनों तक चलने वाला है। कुंभ के संदर्भ में माना जाता है कि देवताओं का एक दिन मनुष्य के बारह वर्षों के बराबर होता है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए जो युद्ध हुआ था, उसके दौरान जिन-जिन स्थानों पर कलश से अमृत की बूंदे गिरी थीं वहां कुंभ मेला लगता है। अमृत की बूंदे इन चार जगहों पर गिरी थीं, प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन चारों स्थान पर कुंभ समागम का आयोजन किया जाता है।
अत्यंत खेद का विषय है कि इस अति शुभावसर पर कुछ लोग इसे धार्मिक आस्था की पटरी से उतार कर सियासी मकड़जाल की बलि पर चढ़ा देने पर तुले हैं, यदि यह कहा जाए कि अति सहिष्णु धर्मों में सनातन धर्म ने अपनी साख बनाई है तो कदापि अनुचित नहीं होगा। कुंभ को लेकर, सबसे भोंडी और भद्दी टिप्पणी हैदराबाद की ऑल इंडिया इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन के नेता, इम्तियाज जलील ने की है कि इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह तो एक तिजारती मेला है, जिसमें लोग अपनी दुकानें सजाते हैं। इम्तियाज़ जलील ने इस प्रकार की घटिया टिप्पणी करके न केवल इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम किया है, बल्कि स्वयं को भी जलील किया है, क्योंकि इस्लाम कहता है कि दूसरे धर्मों और उनके अनुयायियों को बुरा न कहो, क्योंकि पलट कर वे तुम्हारे धर्म को बुरा कहेंगे। शायद ऐसे लोगों को क़ुरआन की इस आयत का पता नहीं, जिसमें कहा गया है, “लकुम दीनोकुम, वले यदीन, अर्थात्, “तुम्हें तुम्हारा धर्म मुबारक, हमें जाता!” अंतर्धर्म समभाव और सद्भावना हेतु के लिए इस्लाम सदा से ही तत्पर रहा है और ठीक ऐसा ही सदाचार सनातन धर्म का भी रहा है! धर्म सारे अच्छे होते हैं, मगर उनके पथभृष्ट, फूहड़ और वोट बैंक की राजनीति करने वाले अपनी-अपनी आस्था को चंद सिक्कों की खातिर और दादागिरी को चमकाने हेतु समाज में सांप्रदायिकता के जहर फैलाते और आग लगाते रहते हैं, जैसा कि इस पावन पर्व के पाक मौके पर हो रहा है।
प्रयागराज महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने दावा किया है, “महाकुंभ का आयोजन वक्फ की जमीन पर हो रहा है। हमने कोई आपत्ति नहीं की, मगर दूसरी तरफ अखाड़ा परिषद् और दूसरे बाबा लोग मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी लगा रहे हैं जो एक तुच्छ बात है और उन्हें मुसलमानों की तरह बड़ा दिल दिखाना होगा, क्योंकि अपने धार्मिक मेलों में मुस्लिम-हिंदू भाईयों को आमंत्रित करते हैं। फिल्म कलाकार, मनोज मुंतशिर ने एक वीडियो में कहा कि पांच सवालों का जवाब मिल जाए तो वो खुद सरकार को चिट्ठी लिखेंगे और अपील करेंगे कि सभी मुसलमानों को कुंभ में आने दिया जाए।
उधर हिंदू धर्म गुरुओं को लें तो प्रयागराज महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर पाबंदी का मामला अच्छा खासा गरमा गया है। साधु-संतों, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री और अन्य हिंदू संगठनों ने इस कुंभ मेले में मुस्लिमों की एंट्री पर रोक का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जब मक्का में ग़ैर मुस्लिम की एंट्री नहीं तो कुंभ में भी मुसलमान की एंट्री नहीं! हमने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में मुस्लिमों को बुलाया था, मगर यहां ख़ालिस सनातनी आस्था का मामला है। 4 नवंबर को प्रयागराज में भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई। इसमें प्रस्ताव पास हुआ कि महाकुंभ मेले में सिर्फ सनातनियों को ही प्रवेश दिया जाए। कोई भी मुखौटा लगाकर गलत तरीके से कुंभ मेले में प्रवेश कर सनातन संस्कृति और परंपरा को दूषित कर सकता है। इस खतरे से निपटने के लिए समय रहते मेला प्रशासन और सरकार को चौकन्ना रहना होगा।
सपा नेता, जियाउर रहमान बर्क बोले, “सरकार खामोश होकर तमाशा देख रही है। कुंभ में अखाड़ा परिषद् की ओर से मुस्लिम दुकानदारों को दुकान लगाने की जगह न देने का ऐलान किया गया है। सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। महाकुंभ में अगर मुस्लिमों को जगह नहीं दी जाती है, तो मुस्लिम जगहों पर मुसलमान भी हिंदुओं को जगह नहीं देंगे।” बड़ा अजीब माहौल बन गया है!” उन्होंने कहा, “इस तरह का आदेश देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अफसोस, भारत के अंदर अभी भी ऐसी मानसिकता वाले लोग हैं। वे संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। सरकार खामोश होकर तमाशा देख रही है। इससे साबित होता है कि सरकार इस तरह की चीजों को बढ़ावा देना चाहती है।” उधर, हिंदू संत भी ख़ामोश नहीं हैं। बहराइच हो या दिल्ली, हिंदुओं की यात्रा पर आक्रमण हुए,” कहते हैं, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, जिन्होंने ने संतों के साथ बैठक की। इसमें स्वामी नरेंद्रानंद ने कहा, “पहले भी कई ऐसे वीडियो आए हैं जिनमें विशेष वर्ग के लोग ऐसा करते दिखाई दे रहे हैं जो सनातन आस्था को ठेस पहुंचाता है। बहराइच की घटना हो या फिर दिल्ली में रामनवमी, सनातन हिंदू की यात्रा पर आक्रमण हुए हैं। ऐसे में कुंभ में गैर हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगाई जाए। हिंदू समाज विभाजित और विखंडित न हो, इसके लिए हम पूरे देश में यात्रा करेंगे। कुंभ हमारी आस्था, शक्ति और भक्ति का केंद्र है। कुंभ में राजश्री और तामसी शक्तियों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया। इसका उद्देश्य था, अमृत। सनातनियों की आस्था के केंद्र से सरकारी नियंत्रण हटना चाहिए। सरकार से इस देश के मठ और मंदिर मुक्त हों, सनातनियों के हाथ में उनका नियंत्रण हो। कुंभ में भी इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी।”
प्रयागराज में निरंजनी अखाड़े में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के रवींद्रपुरी महाराज ने कहा, “हमने हरिद्वार में देखा है कि वहां कई मुस्लिम भाई संत बनकर घूम रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि जो भी प्रयागराज महाकुंभ में आए, उसकी जांच हो। उसके पास आधार कार्ड हो, ताकि पहचान हो सके। हमारे साधु-संत, श्रद्धालु और शासन-प्रशासन सभी सुरक्षित हो सकें। ये महाकुंभ है, कोई भी उग्रवादी यहां संत बनकर आ सकता है।” भारत में सनातनी और इस्लामी अनुयायियों ने आपसी भाईचारे से सदियां गुजारी हैं और हिंदुओं व मुस्लिमों का रिश्ता ऐसे ही है, जैसे दूध और शक्कर! बकौल शायर, अफजल मंगलौरी, “मुझ को सुकून मिलता है मेरी आज़ान से/ यह देश सुरक्षित है गीता के ज्ञान से!”