W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

इन्हीं लोगों ने लीना दुपट्टा मेरा...

जहां आस्था होती है वहां तर्कों की गुंजाइश नहीं होती। भारत में इस बात का तथाकथित बाबाओं ने जमकर फायदा उठाया।

04:29 AM Dec 07, 2019 IST | Ashwini Chopra

जहां आस्था होती है वहां तर्कों की गुंजाइश नहीं होती। भारत में इस बात का तथाकथित बाबाओं ने जमकर फायदा उठाया।

इन्हीं लोगों ने लीना दुपट्टा मेरा
Advertisement
जहां आस्था होती है वहां तर्कों की गुंजाइश नहीं होती। भारत में इस बात का तथाकथित बाबाओं ने जमकर फायदा उठाया। बाबाओं के आश्रम में जो पहली शिक्षा दी जाती है वह यही होती है कि बाबा पर सच्ची श्रद्धा से विश्वास करो, उन्हें सच्चा भक्त होने के यही गुण बताए जाते हैं कि बाबा की कही हर बात का पालन करो। लोगों की अंध श्रद्धा के चलते बाबाओं ने ऐसे-ऐसे दुष्कर्म किए हैं जिसकी कल्पना मात्र भी भक्त नहीं कर सकता। ढोंगी बाबाओं ने कई युवतियों और महिलाओं की जिन्दगी तबाह करके रख दी। धर्म का संदेश देने वाले आश्रमों को यौनाचार का अड्डा बना कर रख दिया। धर्म पूरी तरह व्यापार बन चुका है।
Advertisement
हैरानी तब होती है जब किसी बाबा के अपराध साबित होने पर भी भक्त की उसके प्रति श्रद्धा में कोई कमी नहीं आती। परेशानी के समय तो लोगों की चेतना और तर्क शक्ति कमजोर होती है और लोग अपनी परेशानियों से तुरन्त मुक्ति पाने के लिए समाधान खोजते हैं। इसी का फायदा ढोंगी बाबा उठाते हैं। हर बड़े बाबा का एक पूरा तंत्र होता है जो लोगों को जोड़ने का काम करता है। यही तंत्र बाबाओं को लोगों की परेशानी का एक समाधान बताता है।
Advertisement
धर्म, अध्यात्म और कई बार भगवान का प्रतीक बन चुके बाबा खुद तो बड़ा व्यापार करते ही हैं, साथ ही समाज में सभ्रांत माने जाने लोग भी सुनियोजित तरीके से इनसे मिलकर अपने कारोबार का विस्तार करते हैं। कोई नहीं जानता कि ​किस बाबा का कितना धन किसके व्यापार में लगा है। पता तब चलता है जब इनका भंडाफोड़ होता है। सच्चे बाबाओं के ​लिए तो सम्पत्ति दुख का कारण होती है। युवा विवेकानंद ने अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की परीक्षा लेने के लिए उनके बिस्तर के नीचे एक सिक्का रख ​दिया।
स्वामी परमहंस को तीन दिन तक नींद नहीं आई, वे काफी बेचैन रहे। वह एक सच्चे साधक थे। उन्हें एक सिक्के ने ही परेशान कर दिया। आज के बाबा और महंत अपने सिरहाने लाखों रखकर सोते हैं। मुझे तरस आता है उन लोगों की बुद्धि पर जो गरीब लोगों को कुत्तों की तरह दुत्कार देते हैं लेकिन बाबाओं पर लाखों वार देते हैं। लोगों को पुण्य करने का संदेश देने वाले बाबा धन पर कुंडली धारी सर्प बनकर बैठ जाते हैं। आस्था के नाम पर पाखंड, ढोंग और आडम्बर का खेल आज भी जारी है। कुछ बाबा जेल में हैं तो कुछ भूमिगत हैं।
एक आध्यात्मिक केन्द्र चलाने वाले बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित का अभी तक कुछ पता नहीं चला है। उस पर उसी की शिष्या ने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि बाबा 16 हजार एक सौ आठ लड़कियों के साथ कुकर्म करना चाहता था। अब दुष्कर्म का आरोपी स्वामी नित्यानंद देश से भाग कर एक देश का मालिक बन गया है। इस देश का नाम कैलासा रखा गया है। कैलासा ऐसा देश है जिसे बिना सीमाओं के ​हिन्दुओं के लिए बनाया गया है। ये उनके ​लिए है जो अपने देश में हिन्दू होने का अधिकार खो चुके हैं। चर्चा है कि उसने त्रि​निदाद और टोबैगो के पास इक्वाडोर के निकट एक द्वीप खरीद कर देश बसा लिया है।
नए देश की वेबसाइट से कई जानकारियां मिली हैं कि नित्यानंद ने अपनी अनुयायी को प्रधानमंत्री और कुछ अन्य लोगों को मंत्री बनाया है। अपनी सरकार का पासपोर्ट और मुद्रा भी छापी है। उसने अन्य देशों से उनकी सरकार को मान्यता देने की अपील भी की है। कर्नाटक में दर्ज दुष्कर्म मामले में ​नित्यानंद वांछित है। गुजरात में लड़कियों के शोषण और बच्चों काे बंधक बनाने के मामले में भी पुलिस को उसकी तलाश है। देश में कानून काफी नाजुक है। नित्यानंद 2018 के अंत में जमानत का फायदा उठाते हुए देश से भाग निकला।
हैरानी की बात तो यह है कि जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद नित्यानंद ने जमकर नौटंकी की थी और प्रायश्चित करने के नाम पर अपने इर्द-गिर्द अग्नि जलाकर तप का ढोंग किया था। उसने ​फिर से अपनी दुकान चलानी शुरू कर दी। लोग फिर उसके पीछे हो लिए। अभी तक इस बात की जानकारी नहीं है कि उसने द्वीप कितने अरब-खरब में खरीदा लेकिन जितने में भी खरीदा वह समूचा धन भारतीयों से ही लूटा गया है।
ऐसे स्वघोषित बाबाओं और घोषित अपराधियों के प्रति  लोगों में पागलपन की हद तक श्रद्धाभाव देखना हैरान करता है। क्यों लोग उनके खिलाफ कुछ सुनने को तैयार नहीं होते और क्यों वे मानसिक रूप से इनके गुलाम बन जाते हैं? क्या लड़कियों को गोपियां बनाकर पूरी लीला रचने और उनका यौन शोषण करने को हिन्दू धर्म में स्वीकार किया जाएगा। क्या धर्म ऐसा करने की अनुमति देता है। यही कारण है कि धर्म आज चीख-चीख कर कह रहा है कि-
‘‘इन्हीं लोगों ने, इन्हीं लोगों ने 
ले लीना दुपट्टा मेरा।’’
धर्म को दुनिया भर में बदनाम करने वाले बाबाओं की जगह जेल होनी चाहिए न कि कैलासा के नाम पर बने किसी देश में। इसमें कोई संदेह नहीं कि ​नित्यानंद के पीछे राजनीतिक शक्तियां भी काम कर रही होंगी क्योंकि अकेला नित्यानंद इतना बड़ा तंत्र विकसित नहीं कर सकता।
Advertisement
Author Image

Ashwini Chopra

View all posts

Advertisement
Advertisement
×