11 साल तक Fame के लिए तरसती रही ये Panchayat की ये एक्ट्रेस, सांवले रंग के कारण नहीं मिला काम
अमेज़न प्राइम की मशहूर वेब सीरीज ‘पंचायत’ (Panchayat) के चार सीजन अब तक रिलीज हो चुके हैं और हर बार इसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला है। इस सीरीज में जहां नीना गुप्ता, रघुबीर यादव और जितेंद्र कुमार जैसे मशहूर कलाकारों ने अपनी दमदार एक्टिंग से दिल जीता, वहीं एक नाम ऐसा भी है जिसने अपने छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदार से लोगों को भावुक कर दिय, जो हैं तृप्ति साहू (Tripti Sahu), जिन्होंने ‘विकास’ की पत्नी खुशबू का किरदार निभाया।
तृप्ति का यह किरदार भले ही स्क्रीन पर कुछ ही मिनटों का हो, लेकिन उनकी मासूमियत ने दर्शकों का दिल छू लिया। लेकिन आज जिस मुकाम पर वो हैं, वहां तक पहुंचने का सफर बेहद संघर्षों और रिजेक्शन्स से भरा रहा।
11 साल का स्ट्रगल
हाल ही में एक इंटरव्यू में तृप्ति (Tripti Sahu) ने अपने करियर के कड़वे अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि वो पिछले 11 सालों से इस इंडस्ट्री में संघर्ष कर रही हैं, लेकिन उन्हें कभी भी आसानी से मौके नहीं मिले। उन्होंने खुलासा किया कि इस दौरान उन्हें न सिर्फ अपने रंग बल्कि शक्ल-सूरत की वजह से भी रिजेक्शन झेलने पड़े।
तृप्ति ने कहा, “जब भी मैं ऑडिशन देने जाती थी, तो कई बार मुझे सिर्फ इसलिए मना कर दिया जाता था क्योंकि मैं अमीर नहीं लगती थी। लोग कहते थे कि ‘तुम्हारा चेहरा रॉयल नहीं है।’ कई बार मुझे सिर्फ मेरे रंग की वजह से नजरअंदाज किया गया।”
घरवालों से भी मिले ताने
सबसे दुखद बात ये रही कि तृप्ति (Tripti Sahu) को सिर्फ बाहर की दुनिया से ही नहीं, बल्कि परिवार से भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने भावुक होते हुए बताया कि जब वो 16 साल की थीं, तब एक बार उनके ताऊ जी ने तंज कसते हुए कहा था, "चारों तरफ गोरी लड़कियां घूम रही हैं, उनका कुछ नहीं हो रहा, तो इसे कौन काम देगा? ना शक्ल है, ना सूरत।"
तृप्ति कहती हैं, “उनकी ये बात सुनकर मैं फूट-फूटकर रोई थी। मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं, कहां जाऊं। खुद पर यकीन था, लेकिन हर ओर से ठुकराया जाना बहुत तकलीफ देता था।”
नौकरानी के ही मिलते थे रोल
तृप्ति (Tripti Sahu) ने आगे बताया कि ज्यादातर ऑडिशन्स में उन्हें स्टीरियोटाइप किरदार ही ऑफर किए जाते थे। “जब भी कहीं ऑडिशन देने जाती, तो मुझे सिर्फ नौकरानी या आदिवासी लड़की का रोल ही ऑफर किया जाता था। जैसे मेरे लुक्स को एक ही फ्रेम में फिट कर दिया गया हो।” उन्होंने बताया कि अपने रंग की वजह से उन्हें कई बड़े रोल गंवाने पड़े और कई बार आत्मविश्वास डगमगा गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
पंचायत ने बदली किस्मत
इतने लंबे संघर्ष के बाद ‘पंचायत’ में ‘खुशबू’ का रोल मिलना तृप्ति की ज़िंदगी में जैसे रोशनी लेकर आया हो। उन्होंने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया और अपने छोटे से रोल में जान डाल दी कि दर्शक उनके फैन बन गए। आज जब तृप्ति (Tripti Sahu) को पहचान मिल रही है, तो यह सिर्फ उनकी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास का नतीजा है। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो बिना किसी गॉडफादर के, सिर्फ अपने टैलेंट के दम पर इस इंडस्ट्री में कुछ बनना चाहते हैं। तृप्ति की यह जर्नी इस बात का सबूत है कि अगर आप हार नहीं मानते, तो एक दिन सफलता जरूर आपके दरवाजे पर दस्तक देती है।
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