सुप्रीम कोर्ट में तीन नए जजों ने ली शपथ, न्यायाधीशों की संख्या 34 पहुंची
तीन नए जजों ने ली सुप्रीम कोर्ट में शपथ, कुल संख्या 34 हुई
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एन. वी. अंजनिया, विजय बिश्नोई और अतुल एस. चंदुरकर ने शपथ ली, जिससे न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 हो गई। इनकी नियुक्ति की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शुक्रवार को जस्टिस एन. वी. अंजनिया, जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। अब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 हो चुकी है। 29 मई को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने इन तीनों जजों की नियुक्ति के संबंध में सिफारिश की थी, जिसे बाद में केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी दे दी गई थी। इस संबंध में केंद्र सरकार की तरफ से अधिसूचना भी जारी की गई थी। न्यायमूर्ति एन. वी. अंजनिया पूर्व में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई पूर्व में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर पूर्व में बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे।
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न्यायमूर्ति अंजनिया का जन्म 23 मार्च, 1965 को अहमदाबाद में हुआ। उन्होंने 1989 में यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ, अहमदाबाद से कानून में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने 1988 में गुजरात हाईकोर्ट में अपने वकालत के करियर की शुरुआत की थी। न्यायमूर्ति अंजनिया ने 25 फरवरी, 2024 को कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले उन्हें 21 नवंबर, 2011 को गुजरात हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद छह सितंबर 2012 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
26 मार्च, 1964 को जोधपुर में जन्मे न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई ने 1989 में अपने वकालत करियर की शुरुआत की थी। न्यायमूर्ति बिश्नोई ने 5 फरवरी, 2024 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। इसके बाद उन्हें 8 जनवरी, 2013 को राजस्थान हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 7 जनवरी, 2015 को उन्होंने हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। जस्टिस एएस चंदुरकर का जन्म 7 अप्रैल 1965 को हुआ था। कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे 21 जुलाई, 1988 को बार में शामिल हुए थे। इसके बाद वे 1992 में अदालत चले गए, जहां उन्होंने कई अदालतों में वकालत की।