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TMC सांसद महुआ मोइत्रा बनेगी ‘पूर्व’ ! जानें क्या है संसद की एथिक्स कमेटी, कौन है इसके सदस्य ?

06:21 PM Nov 09, 2023 IST | Ritika Jangid
tmc सांसद महुआ मोइत्रा बनेगी ‘पूर्व’   जानें क्या है संसद की एथिक्स कमेटी  कौन है इसके सदस्य

कैश फॉर क्वेरी मामले में सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमेटी ने गुरूवार को रिपोर्ट अडॉप्ट की। सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक रिपोर्ट में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है। ऐसे में जानते है कि एथिक्स कमेटी क्या है और उसका काम क्या है

क्यों बनी एथिक्स कमेटी ?

मार्च 1997 में राज्यसभा के चेयरमैन ने एथिक्स कमेटी को बनाया था। ताकि सदस्यों के नैतिक व्यवहार पर नजर रखी जा सके। अगर किसी सदस्य पर अनैतिक यह या किसी तरह के मिसकंडक्ट का आरोप लगता है तो कमेटी उसे परखती है। सीधे शब्दों में कहे तो यह कमेटी कैरेक्टर एसेसमेंट का काम करती है।

लोकसभा में ये कमेटी काफी देखभाल कर बनाई गई है। एक स्टडी ग्रुप अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया गया, जहां एथिक्स यानी नैतिकता को लेकर संसद के तौर-तरीके देखे। लौटकर उन्होंने लोकसभा के लिए भी कमेटी बनाने का सुझाव दिया लेकिन ये साल 2000 में हो सका। देखने वाली बात है कि कमेटी तब भी बाहर से एक्टिव रही। साल 2015 में इसे संसद का परमानेंट हिस्सा माना गया।

एथिक्स कमेटी के सदस्य

बता दें, एथिक्स कमेटी के सदस्यों को स्पीकर खुद चुनते हैं। अभी इसके चेयरमैन बीजेपी के कौशांबी सांसद विनोद कुमार सोनकर है। मालूम हो, इस कमेटी में 14 दूसरे सदस्य है जो सभी पार्टियों से लिए जाते हैं। इसमें कांग्रेस, भाजपा, सीपीआई (एम), जेडीयू और बीएसपी के नेता शामिल हैं।

कौन कर सकता है शिकायत?

एथिक्स कमेटी को लोगों के लिए काफी सरल बनाया गया है। कमेटी के पास कोई भी व्यक्ति चाहे तो किसी सांसद के खिलाफ शिकायत कर सकता है लेकिन ये शिकायत लोकसभी एमपी के जरिए की जाएगी। साथ ही शिकायत करते हुए सारे सबूत भी होने चाहिए कि कब-कब अनैतिक व्यवहार हुआ है। इसके अलावा एक एफिडेविट भी जमा करना होगा। अगर लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य खुद शिकायत करता है तो एफिडेविट की जरूरत नहीं।

कब नहीं ली जाती शिकायत?

बता दें, एथिक्स कमेटी में शिकायत तब नहीं ली जाती जब किसी लीडर के गलत करने पर कोई खबर आ जाए, उसे शिकायत का आधार नहीं माना जाता है। किसी भी शिकायत को लेने से पहले एथिक्स कमेटी उसकी शुरूआती जांच करती है। आगे सारी तहकीकात के बाद वो अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपते है। जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाती है। मालूम हो, इसपर आधे घंटे की बहस का भी नियम है।

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