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ट्रंप और टैरिफ

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर एक धमकी जारी की…

10:51 AM Dec 12, 2024 IST | Aakash Chopra

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर एक धमकी जारी की…

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर एक धमकी जारी की। उन्होंने कहा, ‘ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि हम खड़े होकर देखते हैं, यह विचार अब खत्म हो चुका है। हमें इन देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और उन्हें अद्भुत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बेचने को अलविदा कहने की उम्मीद करनी चाहिए।’ट्रंप का ऐलान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने पहले भारत को भी ‘टैरिफ किंग’ करार दिया था। उन्होंने कारोबार की मुद्रा के तौर पर अमेरिकी डॉलर को बदलने के किसी भी कदम के खिलाफ ब्रिक्स समूह को चेतावनी दी है। इस नौ सदस्यीय समूह में भारत, रूस, चीन और ब्राजील भी शामिल हैं। नीति आयोग ने भारत के व्यापार परिदृश्य पर एक रिपोर्ट भी जारी की। इस रिपोर्ट को आयोग तिमाही आधार पर जारी करेगा। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने प्रचार अभियान में कह चुके हैं कि टैरिफ उनका पसंदीदा शब्द है। उन्होंने खासतौर पर कहा कि चीन से आने वाली सभी वस्तुओं पर 60 फीसदी तथा अन्य देशों से आने वाली वस्तुओं पर 10 फीसदी शुल्क लगाया जाएगा। यह विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप है अथवा नहीं यह अलग विषय है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप की 100 प्रतिशत टैरिफ वाली धमकी का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हमारी अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोई इच्छा नहीं है। हमने पहले भी यह स्पष्ट किया है कि भारत डी-डॉलरीकरण के पक्ष में नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप डॉलर के विकल्प में ब्रिक्स देशों की जिस करेंसी को लेकर चिंतित हैं, उसकी बात अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में हुई थी। इस सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश के लिए कॉमन करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। इस साल भी अक्टूबर में हुए ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में, रूस ने इस प्रस्ताव को लेकर जबरदस्त पैरवी की थी।

दुनियाभर में होने वाले व्यापारिक लेनदेन, अन्तर्राष्ट्रीय भुगतान, कर्ज, इंपोर्ट और एक्सपोर्ट अमेरिकी डॉलर में ही होता है। वैश्विक मुद्रा भंडार की बात करें तो इसमें डॉलर का हिस्सा 59 फीसदी है। जबकि, दुनिया के कुल कर्ज में 64 फीसदी का लेनदेन डॉलर में ही होता है। वहीं, अन्तर्राष्ट्रीय लेनदेन में भी डॉलर की एक बड़ी हिस्सेदारी लगभग 58 फीसदी है। विदेशी भुगतानों में भी डॉलर का दबदबा है। यहां इसकी हिस्सेदारी 88 फीसदी है। ऐसे में अगर, ब्रिक्स देश डॉलर के विकल्प में अपनी करेंसी लाते हैं तो इसका सीधा असर अमेरिका और उसकी मुद्रा डॉलर पर दिखाई देगा। यही वजह है कि अमेरिका ब्रिक्स देशों की इस पहल से डरा हुआ है। सवाल यह है कि इन शुल्कों को अगर लागू कर दिया गया तो इनका असर क्या होगा। अधिकांश अनुमान यही कहते हैं कि पहले ही अतिरिक्त क्षमता से जूझ रही चीन की अर्थव्यवस्था पर इसका तत्काल असर होगा।

अनुमानों के मुताबिक इन शुल्क दरों के लागू होने के बाद के वर्षों में चीन की वृद्धि दर 1-2 फीसदी तक कम हो जाएगी। इस मंदी का असर एशिया की उन अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा जो चीन की विनिर्माण आपूर्ति से संबद्ध हैं। पहला, प्रत्यक्ष रूप से क्योंकि चीन उनका निर्यात खरीदने में पहले जैसा सक्षम नहीं रह जाएगा और दूसरा, इसलिए क्योंकि चीन की अतिरिक्त क्षमता एक गंभीर समस्या बन जाएगी और इन देशों में अपना माल खपाने की समस्या और गंभीर हो जाएगी। चीन के पास इस बात की कुछ गुंजाइश है कि वह युआन का अवमूल्यन होने दे ताकि एक व्यापार युद्ध के असर का प्रबंधन किया जा सके। ट्रंप की धमकी भारत जैसे विकासशील देश के लिए भी चिंताजनक है क्योंकि भारत अमेरिका से ना केवल सामान आयात करता है बल्कि बड़ी मात्रा में कई सामान निर्यात करता है भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों की समीक्षा और मंथन जारी है। भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अमेरिका के साथ व्यापार सुचारु रूप से चलता रहे, और कोई भी भेदभावपूर्ण शुल्क भारत के खिलाफ लागू न हो। इसी बीच ग्लोबल इंवेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ बढ़ाने का एशियाई देश भारत और जापान पर कम असर पड़ेगा। ब्रोकरेज फर्म को ऐसी उम्मीद है कि इन दोनों देशों की मिक्स्ड पॉलिसी के चलते बढ़ते टैरिफ का ज्यादा असर इन पर नहीं होगा और उनकी नीतियां अभी की तरह ही जारी रहेंगी।

मॉर्गन स्टेनली की टीम ने कहा कि जापान के 70 फीसदी प्रोडक्ट्स पर अमेरिकी टैरिफ नहीं लगी थी, क्योंकि उन प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाना आसान नहीं था। इस लिहाज से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जापान को भारत के मुकाबले अमेरिकी टैरिफ की मार कम झेलनी पड़ेगी। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन समेत तीन व्यापारिक साझेदारों पर उच्च सीमा शुल्क लगाने की घोषणा से भारत के लिए बड़े निर्यात अवसर पैदा होंगे। सुब्रमण्यम ने कहा कि घरेलू उद्योग को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।

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