Trump ने 2 जेहादियों को व्हाइट हाउस में दी बड़ी जिम्मेदारी, एक के लश्कर से जुड़े हैं तार
जेहादियों की नियुक्ति पर ट्रंप प्रशासन की आलोचना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास-आधारित नीतियों पर सलाह देने के लिए Lay Leaders Advisory Board का गठन किया। इस समिति में शामिल दो मुस्लिम व्यक्तियों के अतीत को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें से एक का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से रहा है। इस नियुक्ति से भारत की चिंता बढ़ी है।
America News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान एक नई समिति Lay Leaders Advisory Board का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास-आधारित नीतियों पर सलाह देना है. लेकिन इस समिति में शामिल किए गए दो मुस्लिम व्यक्तियों को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से एक व्यक्ति का अतीत लश्कर-ए-तैयबा जैसे कुख्यात आतंकी संगठन से जुड़ा रहा है, जिससे भारत की चिंता और भी बढ़ गई है. व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर दोनों जेहादियों की नियुक्ति की सूचना भी जारी की गई है.
नियुक्त किए गए दोनों नाम
1-इस्माइल रॉयर
इस्माइल रॉयर अमेरिका का नागरिक है, जो 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में चरमपंथी गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा चुका है. रिपोर्टों के अनुसार, वह वर्ष 2000 में पाकिस्तान गया और लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण लिया. माना जाता है कि वह कश्मीर में भारतीय सेना के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में भी शामिल रहा है
2003 में अमेरिका में आतंकवाद से संबंधित अपराधों में दोषी पाए जाने के बाद उसे 20 साल की जेल हुई, जिसमें से करीब 13 साल उसने सज़ा पूरी की. जेल से रिहा होने के बाद इस्माइल रॉयर ने खुद को सुधारने का दावा किया और अब वह Center for Islam and Religious Freedom नामक संस्था में निदेशक पद पर कार्यरत है. वह अब धार्मिक संवाद और मुस्लिम समुदाय में सुधार की दिशा में काम कर रहा है.
2-शेख हमजा यूसुफ
हमजा यूसुफ अमेरिका के एक प्रमुख इस्लामी विचारक माने जाते हैं. वह कैलिफोर्निया स्थित ज़ैतूना कॉलेज के सह-संस्थापक हैं, जिसे अमेरिका का पहला मान्यता प्राप्त इस्लामी लिबरल आर्ट्स कॉलेज माना जाता है. हालांकि हमजा की छवि एक उदारवादी मुस्लिम चिंतक की रही है, परंतु उनके कुछ पुराने बयान, जिनमें उन्होंने अमेरिका की विदेश नीति या इस्लामी कट्टरता पर टिप्पणियां की थीं, विवाद का कारण बने हैं. कुछ वर्गों द्वारा उन्हें जिहादी मानसिकता वाला भी करार दिया गया है.
भारत में तुर्की का बहिष्कार हुआ तेज, IIT बॉम्बे ने भी निलंबित किए MoU
भारत की गहरी चिंता
इन दोनों विवादस्पद नामों ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है, क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा भारत में कई भयावह आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है, जिनमें 2001 का संसद हमला और 2008 का मुंबई हमला प्रमुख हैं. ऐसे में इस संगठन से जुड़े रहे व्यक्ति को व्हाइट हाउस की सलाहकार समिति में जगह मिलना भारत के लिए कूटनीतिक रूप से चिंता का विषय है.
ट्रंप के इस फैसले की हुई आलोचना
ट्रंप प्रशासन के इस कदम की अमेरिका के भीतर भी कड़ी आलोचना हुई है. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों और ट्रंप के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने इसे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एक जोखिम भरा कदम बताया है. उनका कहना है कि ऐसे लोगों को सरकार के उच्च स्तर पर भूमिका देना नीतिगत दृष्टि से खतरनाक हो सकता है.
ट्रंप कैंपेन का पक्ष
इस विवाद पर ट्रंप कैंपेन की तरफ से सफाई देते हुए कहा गया कि समिति का उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है. साथ ही यह भी बताया गया कि रॉयर और हमजा जैसे लोगों की नियुक्ति से यह संदेश दिया जा रहा है कि “पुनर्वास और परिवर्तन संभव है.” यानी जो लोग अपने अतीत में भटक चुके हों, वे भी समाज की भलाई में योगदान दे सकते हैं.
नियुक्ति ने सवालों को दिया जन्म
इस पूरे घटनाक्रम ने एक व्यापक बहस को जन्म दिया है. क्या कोई व्यक्ति, जिसने अतीत में आतंकवाद का रास्ता चुना हो, समाज के लिए सकारात्मक भूमिका निभा सकता है? क्या यह पुनर्वास की दिशा में एक साहसिक कदम है, या फिर इससे कट्टरपंथ को वैधता मिलने का खतरा है?