ट्रम्प टैरिफ और भारत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ…
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाने के बाद भारत से आयातित वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं। इन धमकियों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पूर्व अमेरिका ने अवैध तरीके से रहने वाले भारतीयों को हथकड़ियां लगाकर भारत भेजा था। इसके अलावा ईरान में चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत को प्रतिबंध से मिली छूट को खत्म करने का भी प्रावधान किया है। इसके बावजूद राष्ट्रपति ट्रम्प ने सत्ता सम्भालने के तीन हफ्ते के भीतर ही वार्ता करने के लिए आमंत्रित किया है। दोनों नेताओं में रिश्तों में खटास घोलने वाले मुद्दों पर तो बातचीत होगी ही, साथ ही निवेश, प्रौद्योगिकी, व्यापार, रक्षा सहयोग और हिन्द प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा अहम रहेगा। 2018 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रम्प प्रशासन ने एल्युमीनियम और स्टील पर उच्च टैरिफ लगाए थे, जिसका असर भारत सहित कई देशों पर पड़ा था। इसके जवाब में भारत ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाया था।
अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर डोनाल्ड ट्रम्प भारत पर भी टैरिफ लगाते हैं, तो इसका क्या असर होगा। क्या इसकी मार सिर्फ भारत पर ही पड़ेगी या फिर अमेरिका भी ट्रम्प की ‘टैरिफ सनक’ की आग से झुलसेगा। वैश्विक व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय आयात पर टैरिफ लगाने का असर न केवल दोनों देशों के राजनयिक रिश्तों पर पड़ेगा बल्कि भारत और अमेरिका दोनों के उद्योगों और आम लोगों पर भी पड़ेगा। अमेरिका और चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। अमेरिका की ओर से टैरिफ बढ़ाने पर निश्चित तौर पर भारत हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेगा। वह भी जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा। ऐसे में अमेरिका का भारत के साथ किसी छुटभैया देश की तरह व्यवहार करना ‘सुपरपावर’ के लिए महंगा सौदा साबित होगा।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में स्टील और एल्युमिनियम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वित्त वर्ष 2023 में भारत ने अमेरिका को 4 अरब डॉलर का स्टील और 1.1 अरब डॉलर का एल्युमिनियम निर्यात किया था। जनवरी 2024 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत 336,000 टन स्टील और एल्युमिनियम के व्यापार पर कोई टैरिफ नहीं लगाया गया था। ट्रम्प की नई टैरिफ घोषणा से भारत के स्टील और एल्युमिनियम निर्यात पर बड़ा असर हो सकता है। अगर अमेरिका 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाएगा, तो अमेरिकी बाजार में स्टील और एल्युमिनियम के उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे इन धातुओं के आयात में कमी आएगी। इससे भारत को करोड़ों-अरबों रुपये का नुकसान हो सकता है।
वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार 119.71 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसमें भारत का लगभग 35.31 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस है। ट्रेड सरप्लस का सीधा सा मतलब है कि देश के निर्यात का मूल्य उसके आयात के मूल्य से अधिक है। अमेरिका भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाता है तो यह व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है। इससे कई प्रमुख भारतीय उद्योगों के लिए चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। अमेरिका भारत के लिए सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जो मूल्य में 18 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को डॉलर 77.5 बिलियन मूल्य के सामान निर्यात किए। अमेरिका से भारत में आयात काफी कम है। पिछले साल अमेरिका से भारत का आयात 17 प्रतिशत गिरकर डॉलर 42.2 बिलियन हो गया। आयात और निर्यात के बीच इस असंतुलन ने अमेरिका के लिए भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार में व्यापार घाटे को बढ़ा दिया है, जिससे ट्रंप की टैरिफ धमकियों को बढ़ावा मिला है।
ट्रम्प एक हाथ से लेने और दूसरे हाथ से देने यानि सौदा बराबर करने में विश्वास रखते हैं। कनाडा और मेक्सिको पर इतने अधिक शुल्क इसलिए लगाए हैं क्योंकि वे पड़ोसी देशों के साथ जल्द से जल्द मनमाफिक सौदा करना चाहते हैं। चीन और यूरोपीय संघ और भारत के साथ उन्हें सौदेबाजी की गुंजाइश को बरकरार रखना पड़ेगा। इसलिए वे बातचीत के दरवाजे भी खुले रखे हुए हैं। भारत अब ऐसी रणनीति अपनाएगा जिसमें सौदेबाजी में समानता नजर आए। यद्यपि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में इस बात के संकेत जरूर दे दिए गए कि भारत आयातित वस्तुओं पर सीमा शुल्कों में एक तरफा कमी करने के लिए तैयार है। भारत को अमेरिका की चुनौती को टालने के लिए उन वस्तुओं की पहचान करनी होगी जिनकी भारतीय बाजारों में पहुंच बढ़ने से ट्रम्प प्रशासन राहत महसूस करे। भारत को दूसरी रणनीति भी तैयार करनी होगी कि अगर अमेरिका ज्यादा टैरिफ लगाता है तो भारत को भी जवाबी कदम उठाने होंगे। ट्रम्प चाहते हैं कि भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ कम करे और भारत अमेरिका निर्मित सुरक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाए और एक निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध की ओर बढ़ने के महत्व पर जोर दे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डोनाल्ड ट्रम्प से अच्छी व्यक्तिगत कैमिस्ट्री है। यह भी सच है कि अमेरिका न तो भारत को नजरअंदाज कर सकता है और न ही ट्रम्प वैश्विक व्यापार में आये बदलाव से इंकार कर सकते हैं। नए व्यापारिक रिश्तों के लिए दोनों देशों को ही अपने-अपने हितों की रक्षा करनी होगी। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प की वार्ता से सकारात्मक हल निकलेगा और दोनों देशों के िरश्ते सामान्य बने रहेंगे।