ट्रम्प का टशन और दुनिया में टेंशन !
अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर आज डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार विराजने जा रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर आज डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार विराजने जा रहे हैं। चार साल पहले जब उन्होंने अपने पहले कार्यकाल की समाप्ति पर जो बाइडेन को सत्ता सौंपी थी, तब से आज तक दुनिया में काफी कुछ बदल चुका है लेकिन ट्रम्प के तेवर नहीं बदले हैं बल्कि इस बार तो सत्ता संभालने से पहले ही उन्होंने दुधारी तलवार भांजनी शुरू कर दी और इतने बयान दे दिए कि दुनिया सोचने लगी कि यदि ट्रम्प ने वाकई यह सब कर दिखाया तो क्या होगा? ट्रम्प के टशन ने दुनिया को कुछ हद तक टेंशन में तो डाल ही दिया है। ट्रम्प ने सत्ता संभालने से पहले सबसे बड़ा बयान कनाडा को लेकर दिया कि उसे अमेरिका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए।
उनके बयान के कारण चाहे जो भी हों लेकिन कनाडा में भूचाल आ गया। पहले से ही ट्रम्प के निशाने पर रहे आतंकियों के पालनहार जस्टिन ट्रूडो को सत्ता से जाना पड़ा। संदर्भ के लिए आपको एक दिलचस्प बात बताएं कि कनाडा का क्षेत्रफल अमेरिका से डेढ़ लाख वर्ग कि.मी. से भी ज्यादा है। दोनों ही नाटो के संस्थापक देश हैं जिनमें एक-दूसरे की रक्षा का अनुबंध है, ऐसे में अमेरिका कनाडा को हजम कैसे कर सकता है? लेकिन ट्रम्प के पास भारी टैक्स का ऐसा नुस्खा है कि कनाडा घुटनों के बल तो आ ही जाएगा। और इसकी धमकी ट्रम्प सत्ता संभालने से पहले ही दे चुके हैं।
लगभग इसी तरह का बयान ट्रम्प ने ग्रीनलैंड को लेकर भी दिया है। ट्रम्प ने कहा कि ग्रीनलैंड पर यदि डेनमार्क नियंत्रण नहीं छोड़ता है तो अमेरिका भारी टैरिफ लगाएगा। विशाल आकार वाले ग्रीनलैंड का 85 प्रतिशत हिस्सा बर्फ की मोटी परत से ढका हुआ है लेकिन यहां खनिज संपदा की भरमार है, ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री एगेडे ने अमेरिका के साथ जाने से साफ मना कर दिया है लेकिन यह जरूर कहा है कि ज्यादा सहयोग के लिए वे तैयार हैं। अब इस बात पर गौर करिए कि ग्रीनलैंड की आबादी 57 हजार से भी कम है और इतने लोगों को अपनी ओर कर लेना ज्यादा मुश्किल काम तो बिल्कुल ही नहीं है। यह बात डेनमार्क भी समझ रहा है कि ट्रम्प से टकराना आसान नहीं होगा, उनके सामने डील करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होगा। मैक्सिको की खाड़ी का नाम अमेरिका की खाड़ी करने का बयान देकर ट्रम्प ने बता दिया है कि उनका रुख मैक्सिको को लेकर पहले जैसा ही रहेगा।
पहले कार्यकाल में ट्रम्प ने सीमा पर दीवार खड़ी करने की भी चेतावनी दे दी थी और पोप ने आलोचना की तो ट्रम्प ने टका सा जवाब दे दिया कि इस मामले से आपका कोई लेनादेना नहीं है। चीन की नकेल कसने के लिए मैक्सिको की नकेल कसना उनकी जरूरत है। क्योंकि चीन मैक्सिको के अपने कारखाने में सामान बनाता है और खुलेआम अमेरिका में बेचता है, तो इसका मतलब है कि मैक्सिको से तकरार और बढ़नी है। दूसरी बार जीत के ठीक बाद ट्रम्प ने साफ कह दिया कि इजराइल और हमास को उनके सत्ता में आने से पहले युद्ध खत्म करना होगा। यह ट्रम्प का खौफ ही है कि युद्ध विराम हो गया है।
वैसे ट्रम्प इजराइल के पक्के समर्थक हैं, अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने येरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी और अमेरिकी दूतावास को येरुशलम स्थानांतरित भी कर दिया था। जहां तक रूस-यूक्रेन युद्ध का सवाल है तो हो सकता है यूक्रेन की बाइडेन जितनी मदद ट्रम्प न करें। माना जाता है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन और ट्रम्प के बीच बेहतर समझ है, वक्त बताएगा कि संबंध कैसे रहते हैं?
जहां तक भारत का सवाल है तो कूटनीतिक दृष्टि से चीन के खिलाफ अमेरिका का सबसे बड़ा साझीदार भारत ही हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी काफी निकटता भी है लेकिन अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत ट्रम्प कुछ ऐसे कदम उठा सकते हैं जिससे भारत असहज महसूस करे। हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर भारत में भारी टैक्स को लेकर ट्रम्प पहले कार्यकाल में नाराजगी जता चुके हैं, बल्कि जवाब में उन्होंने भी कई वस्तुओं पर भारी टैक्स लगा दिया था। अब ट्रम्प इस बात का भी दबाव बना सकते हैं कि रक्षा सौदों में भारत अमेरिका को प्राथमिकता दे, वर्ना…! इधर एच-1बी वीजा पर ट्रम्प की सख्त नीतियों का सबसे बड़ा असर भारत पर ही पड़ने वाला है।
ट्रम्प यह भी कह चुके हैं कि केवल अमेरिका में पैदा होने के आधार पर नागरिकता की बात उन्हें मान्य नहीं है। ये सारे ऐसे महत्वपूर्ण मसले हैं जिन पर ट्रम्प भारत को कोई रियायत देंगे या नहीं, इस सवाल का जवाब अभी गर्भ में है लेकिन चीन के मामले में ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त’ के पैमाने पर भारत खरा उतरता है, इसलिए हमें बेहतर की उम्मीद करनी चाहिए। लेकिन ट्रम्प तो ट्रम्प हैं..! वे कब क्या रुख अख्तियार कर लें, कहना मुश्किल है, 78 साल की उम्र में 200 से ज्यादा रैलियां करके उन्होंने अपनी जवानी का एहसास करा दिया है। साथी भी उन्होंने बड़ी बारीकी से चुने हैं, उनके साथ एलन मस्क जैसी शख्सियत हैं जिनकी कंपनी स्पेसएक्स का स्टारशिप एयरक्राफ्ट चकनाचूर हो गया लेकिन उनके चेहरे पर शिकन नहीं आई। ट्रम्प का टशन ऐसा है कि न्यायपालिका की ओर से कुछ बयान आए तो ट्रम्प ने साफ कह दिया कि राष्ट्रपति के पास हर शक्ति है।
उन्होंने शपथ ग्रहण में भी चुनिंदा देशों को ही बुलाया, जो पाकिस्तान अमेरिका की गोद में खेलता था उसे भी नहीं बुलाया। वहां अब रोना मचा है कि पाकिस्तान की कोई इज्जत है भी या नहीं। तो पूरे टशन के साथ आ रहे हैं ट्रम्प। उन पर जीत के भारी बहुमत का दबाव है, वे जानते हैं कि उन्हें कुछ अलग करना ही होगा और यही उनका अंदाज भी है। वैलकम मि. ट्रम्प..!