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Tulsi Vivah 2025 Date: कब है तुलसी विवाह? जानें इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

11:49 AM Oct 28, 2025 IST | Kajal Yadav
Tulsi Vivah 2025 Date (Source: social media)

Tulsi Vivah 2025 Date: सनातन धर्म में तुलसी विवाह को काफी पवित्र माना जाता है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस विवाह का बड़ा ही धर्मिक महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं, फिर उसी दिन से सारे शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुवात होती है। आइए जानते हैं, इस साल कब है तुलसी विवाह और इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।

Kab Hai Tulsi Vivah 2025: कब है तुलसी पूजा

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Tulsi Vivah 2025 Date (Source: social media)

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व देवउठनी एकादशी के ठीक अगले दिन या उसके बाद कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। फिर उसी दिन से सारे शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुवात होती है।

Tulsi Vivah Muhurat 2025: तुलसी विवाह की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Tulsi Vivah 2025 Date (Source: social media)

हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 03 नवंबर को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल 02 नवंबर को तुलसी विवाह किया जाएगा।

सनातन धर्म में माना जाता है कि जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा होता है, उस घर में कभी भी दुःख और दरिद्रता नहीं आती है। तुलसी के ऐसा पौधा है जिसका हर एक पत्ता किसी औषधि से कम नहीं है। लेकिन इसकी पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। आइए जानते हैं किस तरह की जाती है, तुलसी जी की पूजा और इसे करने से जीवन में क्या-क्या बदलाव आते हैं।

Tulsi Vivah Meaning Hindi: तुलसी विवाह पूजा विधि

Tulsi Vivah 2025 Date (Source: social media)

घर के आंगन, बालकनी या पूजा स्थल पर तुलसी के पौधे को स्थापित करें और उस पर रंगोली बनाकर एक सुंदर सा मंडप जैसा सजाएं। जिसके बाद तुलसी जी को चूड़ी, चुनरी, साड़ी और सभी शृंगार का सामान अर्पित करें। शालिग्राम जी को तुलसी के पौधे के दाहिनी ओर स्थापित करें।

तुलसी माता और शालिग्राम भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं। शालिग्राम जी को चंदन और तुलसी जी को रोली का तिलक लगाएं। उन्हें फूल, भोग के रूप में मिठाई, गन्ने, पंचामृत सिंघाड़े आदि चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं। शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ाया जाता, इसलिए उनके ऊपर तिल या सफेद चंदन चढ़ाएं। विधिवत मंत्रोच्चार के साथ देवी तुलसी और शालिग्राम भगवान के सात फेरे कराए जाते हैं। विवाह के बाद आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें।

Tulsi Vivah Significance: तुलसी पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। माना जाता है कि जो भक्त विधि-विधान से तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराता है, उन्हें कन्यादान के समान पुण्य फल प्राप्त होता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। ऐसे में इस दिन तुलसी विवाह कराने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली, प्यार और सुख-समृद्धि आती है। अगर अविवाहित कन्याएं इस पूजा को पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं, तो उन्हें मनचाहा पति मिलता है।

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