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ट्विटर का नया स्वरूप

लगभग छह महीने तक ‘ट्विटर’ के अधिग्रहण को लेकर चली लम्बी वाणिज्यिक झिक-झिक के बाद राकेट बनाने वाली कम्पनी ‘स्पेस एक्स’के मालिक ‘एलन मस्क’ ने 44 अरब डालर में सौदा पक्का कर ही दिया और ट्विटर का मालिक बनते ही घोषणा कर डाली

02:05 AM Oct 30, 2022 IST | Aditya Chopra

लगभग छह महीने तक ‘ट्विटर’ के अधिग्रहण को लेकर चली लम्बी वाणिज्यिक झिक-झिक के बाद राकेट बनाने वाली कम्पनी ‘स्पेस एक्स’के मालिक ‘एलन मस्क’ ने 44 अरब डालर में सौदा पक्का कर ही दिया और ट्विटर का मालिक बनते ही घोषणा कर डाली

लगभग छह महीने तक ‘ट्विटर’ के अधिग्रहण को लेकर चली लम्बी वाणिज्यिक झिक-झिक के बाद राकेट बनाने वाली कम्पनी ‘स्पेस एक्स’के मालिक ‘एलन मस्क’ ने 44 अरब डालर में सौदा पक्का कर ही दिया और ट्विटर का मालिक बनते ही घोषणा कर डाली कि अब इस ‘सोशल प्लेटफार्म’ पर  विचार अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को सर्वोच्च वरीयता दी जायेगी और इसके सीमित कार्यक्षेत्र का भी विस्तार किया जायेगा। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की महत्ता आधुनिक समाज में विश्व स्तर पर जिस प्रकार बढ़ रही है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में विचारों की अभिव्यक्ति का यह ऐसा प्रमुख जरिया बनेगा जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के बीच बनी भौगोलिक सीमाएं निरर्थक साबित होंगी और सर्वत्र मनुष्य के निजी विचारों का प्रवाह करेंगी। श्री मस्क ने आते ही जो घोषणा की वह यह है कि वह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रम्प पर ट्विटर द्वारा लगाये गये स्थायी प्रतिबन्ध को समाप्त कर देंगे। सोशल मीडिया का महत्व निश्चित रूप से निजी वैचारिक अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के लिए महत्वपूर्ण है मगर इसके लिए कुछ ऐसे अवरोधों की उपयोगिता के बारे में विचार करना होगा जो समाज में कलुष्ता व वैमनस्य बढ़ाने पर अंकुश का काम करते हैं। 
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दुनिया जानती है कि विश्व के लोग विभिन्न धर्मों में बंटे हुए हैं और सबकी ईश्वरीय सत्ता के बारे में अलग-अलग परिकल्पनाएं हैं। इनमें आपसी सामंजस्य को बिगाड़ने का काम केवल अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार के नाम पर नहीं किया जा सकता है। ट्विटर की अभी तक भूमिका पर कई प्रकार के सवाल उठते रहे हैं और साथ-साथ ही उनका निराकरण भी होता रहा है। इसी प्रकार राजनैतिक व्यवस्था का मामला भी है। विश्व के हर देश में अपनी पृथक राजनैतिक प्रशासनिक व्यवस्था है। सभी व्यवस्थाओं के अपने गुण-दोष हैं। अतः किसी देश के नागरिक द्वारा व्यक्त किये गये राजनैतिक विचार उसी के देश के सन्दर्भ में अधिक प्रासंगिकता रखेंगे। इसके साथ ही विचारों की स्वतन्त्र अभिव्यक्ति को लेकर प्रत्येक देश का अपना विधान व नियम है। इन्हीं के दायरे में व्यक्त निजी विचार वैधानिक रूप से सही व जायज समझे जायेंगे। इसलिए सोशल मीडिया पर व्यक्त निजी विचारों की तसदीक नागरिक के सम्बन्धित देश के नियम-कानूनों पर हो सकती है। परन्तु मानवीयता के लिहाज से ट्विटर जैसे प्लेटफार्म राष्ट्रसंघ द्वारा बनाये गये मानवीय अधिकारों की नियमावली का सहारा स्वाभाविक रूप से ले सकते हैं और कम से कम उन देशों को उसे चुनौती देने में कठिनाई हो सकती है जिन्होंने राष्ट्रसंघ के मानवाधिकार प्रपत्र ( चार्टर) पर हस्ताक्षर किये हैं। परन्तु सोशल मीडिया प्लेटफार्म कोई ‘धर्मखाता’ नहीं चलाते हैं बल्कि इसके माध्यम से करोड़ों डालर का प्रतिवर्ष व्यापार भी करते हैं अतः इस मीडिया पर भी वाणिज्यिक आग्रहों का प्रभाव रहता है और कम्पनी के मालिक को अपने व्यापारिक हितों की सुरक्षा करनी पड़ती है। श्री मस्क ने 44 अरब डालर की रकम निवेश करते समय सबसे अधिक ध्यान इसी पक्ष पर दिया होगा क्योंकि वह मूल रूप से एक व्यापारी हैं। अतः अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का मिशन बेशक एक लोकप्रिय व लोकलुभावन विमर्श हो सकता है मगर जमीनी हकीकत विभिन्न समझौतों की मजबूरी के रूप में एलन मस्क को मोड़ सकती है। सैद्धांतिक  रूप से सोशल मीडिया का किसी विशेष राजनैतिक विचारधारा की तरफ मुड़ना पूरी तरह अनैतिक व नाजायज माना जायेगा क्योंकि अभिव्यक्ति किसी विशेष विचारधारा की मोहताज कभी नहीं हो सकती।
 चूंकि पूरा विश्व विचारधाराओं के वैविध्य का एक महासागर है तो अभिव्यक्ति भी इसी के अनुरूप सोशल मीडिया पर देखने को मिलती है परन्तु जरूरी नहीं कि प्रत्येक देश के नागरिक के लिए केवल वही अपनाने योग्य हो क्योंकि हर देश में वैचारिक स्वतन्त्रता को लेकर अलग-अलग नियम -कानून हैं। मगर ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म किसी एक देश में बने मुख्यालय की मार्फत ही सभी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखने के आदी हैं अतः इस सम्बन्ध में भी श्री मस्क को कारगर निर्णय लेना पड़ेगा। वैसे उन्होंने ट्विटर का मालिक बनते ही जिस प्रकार भारतीय मूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पराग अग्रवाल व मुख्य वित्त अधिकारी नेड सैगल व विधि प्रमुख सुश्री विजया गाड्डे को पद मुक्त किया है उससे यही आभास होता है कि उनकी मंशा ट्विटर की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने की है। जहां तक भारत का सन्दर्भ है तो यह विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को लेकर इसका संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि हिंसक या समाज में विद्वेष फैलाने वाले विचारों के प्रवाह की इजाजत नहीं है। केन्द्र सरकार ने आज ही सोशल मीडिया व सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में नई नियमावली भी जारी की है जिसे देखते हुए प्रत्येक सोशल मीडिया प्लेटफार्म का कर्त्तव्य हो जाता है कि वह इन्हीं का अनुसरण करे। जाहिर है कि ये नये नियम ट्विटर पर भी लागू होंगे और भारत में इसको संविधान के अनुसार ही अपनी गतिविधियां संचालित करनी होंगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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