W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

जनवरी से उत्तराखंड में लागू होगा UCC, यह कानून लागू करने वाला पहला राज्य

जनवरी से समान नागरिक संहिता लागू करने वाला भारत का पहला राज्य उत्तराखंड बन जाएगा।

06:07 AM Dec 20, 2024 IST | Ranjan Kumar

जनवरी से समान नागरिक संहिता लागू करने वाला भारत का पहला राज्य उत्तराखंड बन जाएगा।

जनवरी से उत्तराखंड में लागू होगा ucc  यह कानून लागू करने वाला पहला राज्य
Advertisement

जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य उत्तराखंड बन जाएगा। संविधान निर्माताओं ने इसकी व्यवस्था संविधान में कर रखी है, लेकिन अब तक किसी राज्य में यह अमल में नहीं आ पा रहा था। राज्य सरकार का कहना है कि यूसीसी के लागू होने के साथ सच्ची धर्मनिरपेक्षता की भावना से सभी तरह के पर्सनल लॉ में समानता आएगी।

समुदायों में एक से अधिक शादी पर प्रतिबंध लगेगा। गैर-कानूनी तलाक अपराध घोषित होगा। इसमें तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत), खुला और जिहार जैसी प्रथाएं शामिल होंगी। वैध तरीके से हुए सभी विवाहों को कानूनी मान्यता मिलेगी।

पति-पत्नियों को कराना होगा विवाह का रजिस्ट्रेशन

पति-पत्नियों को विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर 25,000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा। लिव-इन रिलेशन में रह रहे हैं और रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं तो सजा हो सकती है। धोखे से की गई शादी या एक से अधिक शादी को रोकने के लिए रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड सबके लिए सुलभ है।

क्या प्रावधान है?

इस कानून के तहत पिता को कानूनी तौर पर अभिभावक का दर्जा प्राप्त है। मां को संरक्षक बनाया गया है। आमतौर पर पांच से कम उम्र के बच्चों की कस्टडी मां को देने का प्रावधान है। विवाहेत्तर (अमान्य) या लिव-इन संबंधों से पैदा बच्चे वैध माने जाएंगे। उन्हें भी समान रूप से उत्तराधिकार का हक मिलेगा।

गोद लेने का प्रावधान क्या?

हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम गोद लेने की प्रक्रिया तय करेंगे। वैसे, समान नागरिक संहिता में हिंदू दत्तक ग्रहण के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य नहीं बनाया गया।

पर्सनल लॉ और रीति-रिवाजों पर क्या प्रावधान?

यूसीसी के तहत पुनर्विवाह की शर्त थोपने वाली प्रथाओं को गैर-कानूनी बताया गया है। इसके तहत पंचायतों से मिलने वाले तलाक जैसी परंपराओं को अपराध घोषित किया गया है। विवाह टूटने की स्थिति में मेहर और भरण-पोषण के प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।

समान नागरिक संहिता क्यों जरूरी?

समान नागरिक संहिता पर्सनल लॉ के मामले में लोगों के साथ भेदभाव खत्म करने वाला कानून है। इसके लागू होने से हिंदू विवाह कानून, शरियत कानून और ईसाई विवाह कानूनों के चलते नागरिकों के साथ अब भेदभाव नहीं होगा। यह कानून सबके साथ समान व्यवहार करेगा। यूसीसी का लक्ष्य समानता, न्याय है जो राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने वाला कानून है।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Ranjan Kumar

View all posts

Advertisement
×