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पश्चिम बंगाल में संघ का विस्तार

राष्ट्रीय स्तर पर जब भी ड़ॉ मोहन भागवत अपना कोई व्याख्यान लेकर आते हैं…

11:30 AM Feb 18, 2025 IST | Firoj Bakht Ahmed

राष्ट्रीय स्तर पर जब भी ड़ॉ मोहन भागवत अपना कोई व्याख्यान लेकर आते हैं…

पश्चिम बंगाल में संघ का विस्तार

राष्ट्रीय स्तर पर जब भी ड़ॉ मोहन भागवत अपना कोई व्याख्यान लेकर आते हैं, तो भारत को लेकर उनका कोई न कोई रूपोश या अदृश्य, मगर सकारात्मक एजेंडा अवश्य होता है। अपने भाषणों में उनकी यही विशेषता रही है कि किसी के खिलाफ़ न तो वे ज़हर उगलते हैं और न ही मुजरिम को बख्शते हैं, अर्थात वे भारत विरोधी तत्वों से ख़ूब लोहा लेना जानते हैं, जिसके कारण आज भारत जगत गुरु बनने के मार्ग पर है। इस प्रकार से एक तीर से कई शिकार खेल लेते हैं भागवत। उन्होंने देश के पश्चिमी भाग बंगाल के वर्धमान के साई ग्राउंड में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिंदू समाज के भीतर एकता की जरूरत दोहराई और कहा कि अच्छे समय में भी चुनौतियां बनी रहेंगी। उन्होंने कहा, “हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की जरूरत है।

समस्या की प्रकृति अप्रासंगिक है; महत्वपूर्ण यह है कि हम उसका सामना करने के लिए कितने तैयार हैं।” हाल में ही, जिन तीन राज्यों में भाजपा जीती है, उसका श्रेय जितना नरेंद्र मोदी और अमित शाह की टीम को जाता है, उतना ही मोहन भागवत और उनकी टीम को जाता है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा कि, “आज कोई खास कार्यक्रम नहीं है। संघ के उत्सव होते हैं वह भी नहीं है। ऐसा कोई दिन नहीं है कि, इतनी कड़ी धूप में हम बैठे रहें। यहां आने में कई तरह बाधाएं आई होंगी। संघ से अनभिज्ञ लोगों के मन में यह सवाल है कि, संघ क्या करना चाहता है? अगर हमें यह जवाब देना है कि ‘संघ’ क्या चाहता है तो मैं कहूंगा कि यह ‘संघ’ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है क्योंकि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है।”

पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने हैं और उससे पहले मोहन भागवत का पश्चिम बंगाल के दौरे पर जाना काफी अहम है। बताना होगा कि मोहन भागवत की वर्धमान में हुई इस सभा के लिए संघ को कोलकाता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। पिछले 10 सालों में बंगाल में आरएसएस ने अपनी शाखाओं का विस्तार किया है। अपने बंगाल दौरे के दौरान मोहन भागवत ने आरएसएस में युवाओं को शामिल करने पर जोर दिया। एक अन्य तथ्य यह भी है कि केरल को तरह पश्चिम बंगाल में भी संघ और भाजपा के कई कार्यकर्ता अपना बलिदान दे चुके हैं, अतः वहां के ऐसे दंगाई तत्वों को काउंसलिंग और क़ानून की सहायता से नेकी के सही रास्ते पर लाना भी भागवत का ध्येय है। एक बात यह भी है कि 2025 का साल संघ का शताब्दी वर्ष भी है।

इसमें आरएसएस जाति व्यवस्था को खत्म करना, पारंपरिक हिंदू परिवार की स्थापना, लोगों में नागरिक भावना विकसित करना सहित 5 बिंदुओं पर काम कर रहा है। इन पांच बिंदुओं में सर्वधर्म समभाव भी एक राष्ट्रीय उपलब्धि है। यूं तो भागवत मुस्लिम तबके के विरुद्ध नहीं बोलते, मगर हिंदू समाज को एकजुट होने की बात के साथ उन्होंने यह अवश्य कहा कि मुस्लिमों के खिलाफ़ वे कभी नहीं रहे, मगर भारत विरोधी मुसलमानों को जो वे चाहते थे, वह मिल गया, अतः जिन मुस्लिमों ने 1947 में पाकिस्तान के विचार को त्याग कर हिंद को अपनी जन्नत बनाया था, उन्हें पूर्ण रूप से स्वयं को भारत को समर्पित कर देना चाहिए। मुसलमानों के संबंध में इस से पूर्व भी भागवत ने कुछ अच्छी बातें कहीं हैं, जैसे लगभग दस वर्ष पूर्व उन्होंने कहा था कि उनके योगदान के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।

जब हर मस्जिद के नीचे खुदाई कर मंदिर ढूंढने की बात चली तो उस समय भी भागवत ने सरकार व संघ परिवार से कहा था कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने की बात नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात को भी मानते हैं कि मुस्लिम उनकी संतान की भांति हैं। भले ही संघ परिवार के कुछ घटक, मुस्लिमों की घर वापसी की बात करें, मगर भागवत का इस संदर्भ में सदा से ही यही विचार रहा हैं कि धर्म एक है और उसकी पद्धतियां और रंग रूप अनेक हैं और इसी प्रकार से मुस्लिम भी हैं और वे किसी का धर्म परिवर्तन नहीं चाहते। वे कहते चले आए हैं कि हम सब का डीएनए एक है। इस में कोई दो राय नहीं है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी, राजा राम मोहन रॉय और गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर के कर्म स्थलों पर भागवत की तेज़-तर्रार और सटीक निगाहें हैं जहां वे अपने राष्ट्रवादी एजेंडे को स्थापित करना चाहते हैं, जिस में सभी का विकास, विश्वास और प्रयास शामिल होगा।

दूसरे यह कि पश्चिमी बंगाल और चीन से निकट है और माओवादी संगठनों से भी ग्रसित है। बीजेपी 2016 और 2021 में बंगाल में सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगा चुकी है लेकिन तब उसे कामयाबी नहीं मिली थी। लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलने के बाद बीजेपी ने जबरदस्त कमबैक किया है। पार्टी ने हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद दिल्ली के चुनाव में जीत दर्ज की है और अब पार्टी बंगाल में भगवा झंडा फहराना चाहती है। वैसे भी पिछले दो चुनावों से भाजपा बंगाल में अपनी जीत दर्ज करने के लिए प्रगाढ़ परिश्रम किया है। कामयाबी भले ही मिली हो, मगर “हम होंगे कामयाब” वाले मंत्र में अपनी आस्था जताते हुए, आरएसएस और भाजपा पूर्ण रूप से परिश्रम करने में लगे हुए हैं।

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Firoj Bakht Ahmed

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