Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

अमेरिका-चीन में घटेगा तनाव?

सारी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंतित है। इस युद्ध ने खाद्य और ऊर्जा संकट के साथ-साथ वैश्विक कारोबार, पूंजी प्रवाह वित्तीय बाजार और तकनीकी पहुंच को भी प्रभावित कर दिया है।

01:48 AM Nov 12, 2022 IST | Aditya Chopra

सारी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंतित है। इस युद्ध ने खाद्य और ऊर्जा संकट के साथ-साथ वैश्विक कारोबार, पूंजी प्रवाह वित्तीय बाजार और तकनीकी पहुंच को भी प्रभावित कर दिया है।

सारी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंतित है। इस युद्ध ने खाद्य और ऊर्जा संकट के साथ-साथ वैश्विक कारोबार, पूंजी प्रवाह वित्तीय बाजार और तकनीकी पहुंच को भी प्रभावित कर दिया है। युद्ध समाप्त होने के आसार नजर नहीं आ रहे। उधर अमेरिका और चीन में लगातार बढ़ता तनाव भी चिंता का विषय है। अमेरिका, ब्रिटेन समेत सभी देश महंगाई की मार से परेशान हैं। अनिश्चितता का दौर जारी है। दुनियाभर के देशों का बजट बिगड़ गया है। स्वाभाविक तौर पर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है गरीब जनता। सरकारें सामाजिक क्षेत्रों से अपने हाथ खींचने लगी हैं। जिसका नुक्सान विशेषकर विकासशील देशों को भुगतना पड़ रहा है। संकट के बीच इंडोनेशिया की राजधानी बाली में आयोजित किए जाने वाले जी-20 सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 14 नवंबर को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अहम व्यक्तिगत मुलाकात करेंगे। 2021 की शुरूआत में बाइडेन के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली व्यक्तिगत मुलाकात होगी। व्हाइट हाउस ने इस बैठक को लेकर बहुत ही सकारात्मक बयान दिया है। उसका कहना है कि दोनों नेताओं की बातचीत का उद्देश्य तनाव के समय दोनों देशों के बीच संचार की रेखाओं को गहरा करना है। दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने और प्रतिस्पर्धा का प्रबंधन करने पर भी बात करेंगे। दोनों देशों के विकास और भलाई के लिए जहां जरूरी होगा मिलकर काम करने जैसे मुद्दों पर भी बातचीत करेंगे। हालांकि बाइडेन और शी जिनपिंग में लगभग पांच बार फोन पर बातचीत हो चुकी है लेकिन अब यह दोनों आमनेे-सामने होंगे। उम्मीद की जाती है कि दोनों के बीच व्यापार नीति, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और ताइवान के प्रति चीन के दृष्टिकोण जैसे मुद्दों पर बातचीत होगी। शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के महास​िचव के रूप में देश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक के रूप में अपनी जगह पक्की कर ली है। अपना तीसरा कार्यकाल जीतने के तुरंत बाद शी ने एक पत्र में कहा था कि अमेरिका और चीन को नए युग के साथ आने के तरीके खोजने चा​िहए। इस पर बाइडेन ने भी कहा था कि अमेरिका चीन के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितों को जानता है और अमेरिका अपने हितों को। लेकिन हम दोनों को अपनी लाल रेखाओं को जानना होगा। 
Advertisement
एक अमेरिकी नेता के साथ शी की आखिरी आमने-सामने मुलाकात जून 2019 में हुई, जब उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ एक समझौते को अंतिम रूप दिया था। इस मुलाकात के छह महीने बाद व्यापार समझौता हुआ था। दुनियाभर में फैले कोविड-19 के रूप में द्विपक्षीय संबंध खराब होते गए। जुलाई के अंत में दो घंटे की कॉल के दौरान बाइडेन और शी ने चर्चा की। इसके बाद हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। चीन ने पेलोसी के खिलाफ प्रतिबंध लगाए और द्वीप के चारों ओर लाइव-फायर सैन्य अभ्यास शुरू किया। बीजिंग ने हस्तक्षेप न करने के लिए बाइडेन को जिम्मेदार ठहराया। शी ने नशीले पदार्थों और जलवायु सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अमेरिका के साथ बातचीत बंद कर दी। अमेरिका की ओर से बार-बार यह सुझाव दिया गया कि चीन द्वारा हमला किए जाने पर अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा। इससे चीन और नाराज हो गया। ऐसे में यह मुलाकात दोनों देशों के लिए काफी अहम है। इससे दोनों देश अपने बीच के मुद्दों को सुलझा सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है कि अमेरिका चीन के साथ प्रतिस्पर्धा चाहता है संघर्ष नहीं। दोनों में परमाणु हथियारों के मुद्दे पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। उधर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने जी-20 सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है लेकिन उनकी जगह प्रतिनिधित्व रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे। सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सवाल उठने तय हैं इसलिए प​ुतिन ने दूरी बनाना ही उचित समझा। इंडोनेशिया ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी आमंत्रित किया लेकिन उन्होंने भी भाग लेने से इंकार कर दिया। जी-20 के मेजबान इंडोनेशिया ने पश्चिमी देशों और यूक्रेन के नेताओं के शिखर सम्मेलन से पुतिन को हटाने और रूस को समूह से निष्कासित करने के दबाव का विरोध किया है। इंडोनेशिया का कहना है कि जब तक उसके पास सदस्यों के बीच सहमति नहीं होती उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 सम्मेलन में भाग लेने इंडोनेशिया जाएंगे। हाल ही में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। भारत का स्टैंड यही है कि रूस और यूक्रेन आपस में बातचीत कर युद्ध को समाप्त करने के उपाय निकालें। विदेशमंत्री एस. जयशंकर के रूस दौरे को मध्यस्थ के तौर पर भी देखा जा रहा है। पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या भारत यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बना सकता है। भारत शांति का पक्षधर है। जी-20 सम्मेलन में सभी की नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रहेंगी कि वे युद्ध रोकने के लिए क्या बड़ी पहल करते हैं। अगर अमेरिका और चीन में तनाव कम होता है तो यह भी दुनिया के लिए बड़ी राहत की बात होगी। हालांकि बाइडेन आैर शी जिनपिंग में सीधी बातचीत से टकराव एक दिन में नहीं टलेगा लेकिन तनाव कम करने के उपाय जरूर किए जा सकते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध से न केवल दोनों देशों का ब​िल्क पूरी दुनिया का बहुत नुक्सान हो चुका है। युद्ध के बोझ को सहना आसान नहीं है इसलिए वैश्विक शक्तियों को अपना अहम छोड़ युद्ध रुकवाने के प्रयास करने होंगे। अमेरिका को भी अपने कदम पीछे खींचने होंगे और रूस को भी। इससे ही दुनिया की भलाई हो सकती है।
Advertisement
Next Article