Uttarakhand में हिमालय की तलहटी पर बसी अनोखी फूलों की घाटी, 1 जून से खुली
फूलों की घाटी में पर्यटकों का स्वागत, 300 प्रजातियों का अद्भुत नजारा
उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी 1 जून से पर्यटकों के लिए खुल गई है। यहां 300 से अधिक हिमालयी फूलों की प्रजातियां हैं और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। इस घाटी में पर्यटकों का स्वागत वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया गया। यह घाटी अक्टूबर तक खुली रहती है और अपनी मनोरम सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी ने रविवार को पर्यटकों का स्वागत किया। पहले दिन वन विभाग के कर्मचारियों ने मुख्य द्वार पर आगंतुकों का स्वागत किया, जहां जून में अब तक 62 पर्यटकों ने पंजीकरण कराया था। इस घाटी में हिमालयी फूलों की 300 से अधिक प्रजातियां हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, फूलों की घाटी 500 से अधिक पौधों की प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। यह हर साल जून से अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है। यह घाटी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के बगल में गढ़वाल हिमालय में स्थित है और अपनी शांत, मनोरम सुंदरता के लिए जानी जाती है।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को घोषणा की कि उत्तराखंड सरकार राज्य में वैज्ञानिक, सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार दवा निपटान की दिशा में एक कदम उठाने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि उत्तराखंड को देश भर में “हरित स्वास्थ्य प्रणाली” का एक आदर्श राज्य बनाने की एक परिवर्तनकारी पहल है।
स्वास्थ्य सचिव एवं एफडीए के आयुक्त डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि अब तक एक्सपायरी और अप्रयुक्त दवाओं के निपटान के लिए स्पष्ट और सुसंगत व्यवस्था का अभाव रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील राज्य में यह चुनौती और भी गंभीर हो जाती है। अब हम एक सुनियोजित व्यवस्था के तहत इसे नियंत्रित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन दिशा-निर्देशों में दवाओं के उत्पादन से लेकर उपभोग और फिर उचित निपटान तक के जीवन चक्र के हर चरण को ध्यान में रखते हुए प्रक्रिया तय की गई है।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा घोषित “स्वस्थ नागरिक, स्वच्छ उत्तराखंड” मिशन के तहत यह पहल राज्य को हरित और टिकाऊ स्वास्थ्य सेवा मॉडल की ओर ले जाएगी। इस निर्णय से राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय जिम्मेदारी और स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने की संभावना भी प्रबल हो गई है। इस पूरी प्रक्रिया में शामिल सभी पक्षों, नीति निर्माताओं, व्यापारिक संगठनों और आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी ही इस मिशन को सफल बना सकती है।
उत्तराखंड इस दिशा में एक मिसाल बनने की ओर अग्रसर है। डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की योजना के अनुसार, उत्तराखंड के शहरी, अर्ध-शहरी और पहाड़ी क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से “ड्रग टेक-बैक साइट्स” स्थापित की जाएंगी। यहां आम नागरिक अपने घरों में पड़ी अनुपयोगी, एक्सपायर या खराब हो चुकी दवाइयों को जमा कर सकेंगे। इन केंद्रों से दवाओं को वैज्ञानिक तरीके से एकत्र कर विशेष रूप से स्वीकृत प्रसंस्करण इकाइयों में उनका निपटान किया जाएगा।
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