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Valmiki Jayanti 2025: क्यों मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती? जानें इसका महत्व और कथा

01:57 PM Oct 07, 2025 IST | Bhawana Rawat
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Valmiki Jayanti 2025: आज 07 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है। यह दिन भगवान राम की जीवनगाथा 'रामायण' की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि और संस्कृत भाषा का पहला कवि भी माना जाता है। यह दिन भारतीय संस्कृति, साहित्य और अध्यात्म में उनके अमूल्य योगदान को याद करने के लिए समर्पित है। आइए इस खास मौके पर जानते हैं कि वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व क्या है और महर्षि वाल्मीकि कौन थे।

Who was Maharishi Valmiki?: कौन थे महर्षि वाल्मीकि?

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पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि का असली नाम 'रत्नाकर' था। युवावस्था में वह लूट-पाट करके अपने परिवार का पालन पोषण किया करते थे। मान्यता है कि एक बार उन्होंने देवर्षि नारद को लूटने का प्रयास किया, तब नारद मुनि ने उनसे पूछा कि क्या तुम्हारा परिवार तुम्हरे पापों के फल को भोगने के लिए तैयार है? तब महर्षि वाल्मीकि ने अपने परिवार से यह प्रश्न किया, तो हर किसी ने उनके पाप का भार झेलने से इंकार कर दिया। इस घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।

नारद मुनि की बात से जब उनका हृदय परिवर्तन हुआ, तो उन्होंने पूर्व में किए गए पापों का प्रायश्चित करने के लिए कठिन तप शुरू किया। वह अपने तप में इतने ज्यादा लीन हो गए कि उन्हें बाहरी दुनिया का जरा भी भान न रहा। तप करते समय उनके शरीर पर दीमक ने टीला बना लिया, इसके चलते उनका नाम रत्नाकर से वाल्मीकि हो गया।

महर्षि वाल्मीकि ने ही अपने आश्रम में माता सीता को आश्रय दिया था। जहां भगवान राम के दो पुत्र लव और कुश पैदा हुए। महर्षि वाल्मीकि ने लव और कुश को रामायण का ज्ञान दिया था। मान्यता ये भी है कि लव और कुश ने ही पहली बार रामायण का गान किया था।

महर्षि वाल्मीकि की कथा हमे सिखाती है कि कठोर तप, भगवान का नामस्मरण और सही मार्गदर्शन से व्यक्ति महानता की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।

Significance of Valmini Jayanti: वाल्मिनी जयंती का महत्व

Source: Social Media

वाल्मिनी जयंती हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण दिन है। रामायण के रचयता महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत का प्रथम कवि और आदि कवि माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि की रचनाओं में न सिर्फ भगवान राम की जीवनगाथा का वर्णन मिलता है, बल्कि भक्ति, सत्य और धर्म की शिक्षा भी मिलती है। वाल्मीकि जी की यात्रा हमे सिखाती है कि व्यक्ति का अतीत चाहे कितना भी पापपूर्ण रहा हो, लेकिन भक्ति और सही मार्गदर्शन से वह महान आत्मा में परिवर्तित हो सकता है। यह दिन भक्ति में शक्ति, मानव जीवन में परिवर्तन और ज्ञान पर बल देता है।

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