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सचिन तेंदुलकर को लेकर विनोद कांबली का बयान, दिग्गज ने इस तरह लिया बदला

1992 वर्ल्ड कप का किस्सा: कांबली के सवाल और सचिन का जवाब

09:09 AM Dec 09, 2024 IST | Nishant Poonia

1992 वर्ल्ड कप का किस्सा: कांबली के सवाल और सचिन का जवाब

विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती का सफर बचपन से शुरू हुआ। दोनों ने 10 साल की उम्र से साथ क्रिकेट खेला और कई यादगार लम्हे साझा किए। लेकिन उनकी दोस्ती एक समय में दरार की कगार पर पहुंच गई, जब कांबली ने एक टीवी रियलिटी शो के दौरान सचिन पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुश्किल समय में उनका साथ नहीं दिया। इस बयान के बाद दोनों के बीच दूरी इतनी बढ़ गई कि सालों तक बात नहीं हुई। सचिन ने अपने रिटायरमेंट स्पीच और पार्टी में भी कांबली को नहीं बुलाया।

हालांकि, वक्त के साथ दोनों के बीच की दूरियां खत्म हो गईं और वे फिर से अच्छे दोस्त बन गए। लेकिन यह पहली बार नहीं था जब कांबली ने सचिन को नाराज़ किया। कांबली की अनोखी शख्सियत और उनकी मजेदार हरकतों का जिक्र करते हुए, संजय मांजरेकर ने एक पुराना किस्सा साझा किया जो 1992 वर्ल्ड कप से जुड़ा है।

1992 वर्ल्ड कप का दिलचस्प किस्सा

संजय मांजरेकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि 1992 वर्ल्ड कप के दौरान, जब कांबली प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे, तो उन्होंने सचिन और मांजरेकर की बल्लेबाजी पर बार-बार सवाल उठाए।

मांजरेकर ने कहा, “कांबली टीम का हिस्सा तो थे, लेकिन शुरुआती मैचों में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। इससे वह काफी निराश थे। सचिन और मैं नियमित खिलाड़ी थे, तो हम हर मैच खेल रहे थे। लेकिन हर मैच के बाद कांबली हमसे मिलते और हमारी बल्लेबाजी पर सवाल करते। वह कहते, ‘तुम दोनों तेजी से रन बना सकते थे। क्या खेल रहे हो?’ उन्होंने सचिन को भी नहीं बख्शा।”

ज़िम्बाब्वे मैच के बाद भी की आलोचना

मांजरेकर ने आगे बताया कि ज़िम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच में सचिन और उन्होंने अच्छी साझेदारी की और टीम को जीत दिलाई। बावजूद इसके, कांबली ने उनकी बल्लेबाजी पर टिप्पणी की।

“कांबली ने सचिन से कहा, ‘जॉन ट्राइकोस जैसे साधारण गेंदबाज को तुम ग्राउंड के बाहर मार सकते थे, लेकिन तुमने सिंगल्स लिए।’ सचिन ने शांति से जवाब दिया, ‘हमारा लक्ष्य मैच जीतना था।’ लेकिन कांबली मानने को तैयार नहीं थे। सचिन को नाराज़ करने वाला शायद कांबली ही था,” मांजरेकर ने मजाकिया अंदाज में कहा।

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सचिन और मांजरेकर ने लिया मज़ाकिया बदला

आखिरकार, कांबली को पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच में खेलने का मौका मिला। लेकिन जिस तेज़ बल्लेबाजी की वह सचिन और मांजरेकर को सलाह देते थे, खुद वह मैदान पर नहीं दिखा सके। कांबली ने 41 गेंदों पर सिर्फ 24 रन बनाए।

मांजरेकर ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैच के बाद सचिन और मैंने कांबली को कोने में बुलाया और कहा, ‘क्या हुआ? नेट्स में तो बड़े-बड़े छक्के मारते थे। अब क्या हो गया?’ कांबली ने सफाई दी, ‘वो टाइट गेंदबाजी कर रहे थे।’ यही कांबली की अनोखी शख्सियत थी – हर वक्त कुछ अलग।”

कांबली और सचिन की दोस्ती आज भी खास

यह किस्सा उनकी दोस्ती के मजेदार पहलुओं को दिखाता है। भले ही कांबली और सचिन के रिश्ते में कई बार खटास आई हो, लेकिन समय के साथ उनकी दोस्ती ने हर मुश्किल को पीछे छोड़ दिया। कांबली की कहानियां आज भी क्रिकेट फैंस को हंसने पर मजबूर कर देती हैं। विनोद कांबली ने की सचिन तेंदुलकर की आलोचना, दिग्गज ने यूं लिया मज़ाकिया बदला

विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती का सफर बचपन से शुरू हुआ। दोनों ने 10 साल की उम्र से साथ क्रिकेट खेला और कई यादगार लम्हे साझा किए। लेकिन उनकी दोस्ती एक समय में दरार की कगार पर पहुंच गई, जब कांबली ने एक टीवी रियलिटी शो के दौरान सचिन पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुश्किल समय में उनका साथ नहीं दिया। इस बयान के बाद दोनों के बीच दूरी इतनी बढ़ गई कि सालों तक बात नहीं हुई। सचिन ने अपने रिटायरमेंट स्पीच और पार्टी में भी कांबली को नहीं बुलाया।

हालांकि, वक्त के साथ दोनों के बीच की दूरियां खत्म हो गईं और वे फिर से अच्छे दोस्त बन गए। लेकिन यह पहली बार नहीं था जब कांबली ने सचिन को नाराज़ किया। कांबली की अनोखी शख्सियत और उनकी मजेदार हरकतों का जिक्र करते हुए, संजय मांजरेकर ने एक पुराना किस्सा साझा किया जो 1992 वर्ल्ड कप से जुड़ा है।

1992 वर्ल्ड कप का दिलचस्प किस्सा

संजय मांजरेकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि 1992 वर्ल्ड कप के दौरान, जब कांबली प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे, तो उन्होंने सचिन और मांजरेकर की बल्लेबाजी पर बार-बार सवाल उठाए।

मांजरेकर ने कहा, “कांबली टीम का हिस्सा तो थे, लेकिन शुरुआती मैचों में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। इससे वह काफी निराश थे। सचिन और मैं नियमित खिलाड़ी थे, तो हम हर मैच खेल रहे थे। लेकिन हर मैच के बाद कांबली हमसे मिलते और हमारी बल्लेबाजी पर सवाल करते। वह कहते, ‘तुम दोनों तेजी से रन बना सकते थे। क्या खेल रहे हो?’ उन्होंने सचिन को भी नहीं बख्शा।”

ज़िम्बाब्वे मैच के बाद भी की आलोचना

मांजरेकर ने आगे बताया कि ज़िम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच में सचिन और उन्होंने अच्छी साझेदारी की और टीम को जीत दिलाई। बावजूद इसके, कांबली ने उनकी बल्लेबाजी पर टिप्पणी की।

“कांबली ने सचिन से कहा, ‘जॉन ट्राइकोस जैसे साधारण गेंदबाज को तुम ग्राउंड के बाहर मार सकते थे, लेकिन तुमने सिंगल्स लिए।’ सचिन ने शांति से जवाब दिया, ‘हमारा लक्ष्य मैच जीतना था।’ लेकिन कांबली मानने को तैयार नहीं थे। सचिन को नाराज़ करने वाला शायद कांबली ही था,” मांजरेकर ने मजाकिया अंदाज में कहा।

सचिन और मांजरेकर ने लिया मज़ाकिया बदला

आखिरकार, कांबली को पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच में खेलने का मौका मिला। लेकिन जिस तेज़ बल्लेबाजी की वह सचिन और मांजरेकर को सलाह देते थे, खुद वह मैदान पर नहीं दिखा सके। कांबली ने 41 गेंदों पर सिर्फ 24 रन बनाए।

मांजरेकर ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैच के बाद सचिन और मैंने कांबली को कोने में बुलाया और कहा, ‘क्या हुआ? नेट्स में तो बड़े-बड़े छक्के मारते थे। अब क्या हो गया?’ कांबली ने सफाई दी, ‘वो टाइट गेंदबाजी कर रहे थे।’ यही कांबली की अनोखी शख्सियत थी – हर वक्त कुछ अलग।”

कांबली और सचिन की दोस्ती आज भी खास

यह किस्सा उनकी दोस्ती के मजेदार पहलुओं को दिखाता है। भले ही कांबली और सचिन के रिश्ते में कई बार खटास आई हो, लेकिन समय के साथ उनकी दोस्ती ने हर मुश्किल को पीछे छोड़ दिया। कांबली की कहानियां आज भी क्रिकेट फैंस को हंसने पर मजबूर कर देती हैं।

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