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Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics: इन आरतियों से करें भगवान विष्णु का गुणगान, सुख संपत्ति समेत मिलेगी असीम कृपा

04:23 PM Sep 01, 2025 IST | Amit Kumar
Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics

Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics: भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार के रूप में जाना जाता है। वे न केवल अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, बल्कि उनके जीवन में आने वाली हर कठिनाई को भी हर लेते हैं। हालांकि, कई बार भगवान विष्णु अपने भक्तों की श्रद्धा की परीक्षा भी लेते हैं, जिससे उनका विश्वास और मजबूत होता है। जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics: गुरुवार है भगवान विष्णु का प्रिय दिन

हफ्ते का गुरुवार (बृहस्पतिवार) का दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और विष्णु जी की विधिवत पूजा करते हैं। सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाएं, फूल, तुलसी, और पीले फल अर्पित करें। पूजा के अंत में विष्णु जी की आरती अवश्य करें। इससे न केवल पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में चल रही परेशानियाँ भी दूर होती हैं।

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Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics

Vishnu Aarti Lyrics: गाएं ये आरतियां

1-Jai Jagdish Hare Ki Aarti

जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे ॥
॥ जय जगदीश हरे ॥

जो ध्यावे फल पावे
दुख विनसे मन का।
स्वामी दुख विनसे मन का।
सुख संपत्ति घर आवे
सुख संपत्ति घर आवे
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ जय जगदीश हरे ॥

मात-पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी।
स्वामी शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं जिसकी ॥
॥ जय जगदीश हरे ॥

तुम पूरण परमात्मा
तुम अंतर्यामी।
स्वामी तुम अंतर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी ॥
॥ जय जगदीश हरे ॥

तुम करुणा के सागर
तुम पालक मेरे।
स्वामी तुम पालक मेरे।
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवा करूं तेरी ॥
॥ जय जगदीश हरे ॥

तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय
कृपा करो मुझ पर
दीन जानो मुझको ॥
॥ जय जगदीश हरे ॥

भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे ॥
॥ जय जगदीश हरे ॥

Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics

2-श्री हरि स्तुति आरती

जय विष्णु देव, जय जय जय,
भव भय हारन स्वामी।
संकट मोचन दीन दयाला,
करुणा निधि अभिरामी॥

जय विष्णु देव, जय जय जय...

चतुर्भुज धारी शंख चक्रधर,
पीतांबर तन श्यामा।
कमल नयन कमला के पति,
भव सागर के तामा॥

जय विष्णु देव, जय जय जय...

गर्भ में जो धरे विश्व सारा,
तेरी महिमा न्यारी।
तेरे ध्यान से पाप नाश हो,
सुख संपत्ति हमारी॥

जय विष्णु देव, जय जय जय...

तेरी माया पार न पावे,
ब्रह्मादिक मुनिवर।
नारद शारद शेष महादि,
गावें गुण निर्भर॥

जय विष्णु देव, जय जय जय...

जो जन भाव से तुझे ध्यावे,
उसका भव भय भागे।
तेरे चरणों का हो दासी,
हरषित मन अनुरागे॥

जय विष्णु देव, जय जय जय...

आरती तेरी जो जन गावै,
भवसागर तर जावै।
विष्णु दयालु कृपा करि,
मो पे नाथ बरसावै॥

जय विष्णु देव, जय जय जय...

Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics

3-श्री लक्ष्मी नारायण आरती

जय लक्ष्मी रामणा, स्वामी जय लक्ष्मी रामणा।
उमटे आनंद, मंगल गान, बाजे नित्य मृदंग॥
जय लक्ष्मी रामणा...॥

कमलासन लक्ष्मी, विष्णु प्रिया,
चरणों में शरण हमारी।
धन वैभव दो, सुख-शांति दो,
भक्ति भाव दृढ़ धारी॥
जय लक्ष्मी रामणा...॥

शंख चक्र गदा पद्मधारी,
पीतांबर तनु शोभा प्यारी।
गरुड़ सवारी, दिव्य विहारी,
दशरथ सुत अवतारी॥
जय लक्ष्मी रामणा...॥

त्रैलोक्य पालन करत सदा,
दीनन के हितकारी।
भवसागर से तारो हमको,
भव भय दूर तुम्हारी॥
जय लक्ष्मी रामणा...॥

आरती श्री लक्ष्मी नारायण की,
जो कोई जन गावे।
मनवांछित फल पावे नित ही,
सुख-संपत्ति घर आवे॥
जय लक्ष्मी रामणा...॥

4- श्री नारायण आरती

जय नारायण, जय नारायण
जय लक्ष्मीपति नारायण।
सकल सृष्टि के एक सहारे,
भवसागर के तू किनारे॥
जय नारायण...

शंख चक्र गदा पद्मधारी,
पीताम्बर तनु शुभ सवारी।
नभ के ऊपर सिंहासन तेरा,
सेवा करें शिव ब्रह्मा मेरा॥
जय नारायण...

गरुड़ वाहन, मोहन रूपा,
मन को भाए सदा स्वरूपा।
नारद गायें गुण बल तेरे,
कहत अनंत न पाए तेरे॥
जय नारायण...

पाताल बसे, पृथ्वी ऊपर,
सब पर दृष्टि रखे तू निर्भर।
हरि नाम जो प्रीति से गावै,
संकट से वह पार लगावै॥
जय नारायण...

आरती तेरी जो नर गावे,
सुख संपत्ति नित्य वह पावे।
विष्णु भगवान कृपा कर देना,
मोहे भक्ति भाव सदा देना॥
जय नारायण...

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