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लाइफ लाइन शुरू करने का इंतजार

अब जबकि राजधानी के होटल, रेस्तरां खोल दिए गए हैं। साप्ताहिक बाजार भी गुलजार होने लगे हैं, राजधानी की सड़कों पर वाहन पहले की तरह ही भागते नजर आ रहे हैं

12:05 AM Aug 26, 2020 IST | Aditya Chopra

अब जबकि राजधानी के होटल, रेस्तरां खोल दिए गए हैं। साप्ताहिक बाजार भी गुलजार होने लगे हैं, राजधानी की सड़कों पर वाहन पहले की तरह ही भागते नजर आ रहे हैं

लाइफ लाइन शुरू करने का इंतजार
अब जबकि राजधानी के होटल, रेस्तरां खोल दिए गए हैं। साप्ताहिक बाजार भी गुलजार होने लगे हैं, राजधानी की सड़कों पर वाहन पहले की तरह ही भागते नजर आ रहे हैं तो ऐसी स्थिति में राजधानी में मैट्रो का संचालन शुरू करने के संबंध में फैसला ले ही लिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि दिल्ली को बाकी राज्यों से थोड़ा अलग समझा जाए क्योंकि यहां अब कोरोना की स्थिति ठीक हो रही है। दिल्ली में चरणबद्ध ढंग से मैट्रो चलाने की अनुमति दी जाए। चाहे पहले ट्रायल के आधार पर ही अनुमति दी जाए। मैट्रो का संचालन कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद से ही ठप्प है।
दिल्ली का मैट्रो नेटवर्क न केवल दिल्ली वालों के लिए बल्कि पड़ोसी शहरों से दिल्ली आने-जाने वालों की लाइफ लाइन बन चुकी है। दिल्ली-गुड़गांव, दिल्ली-नोएडा आने-जाने वालों के लिए यह बहुत अहम है। जिस तरह मुम्बई की ट्रेन सेवाएं लोगों के लिए जरूरी हैं, अगर उपनगरीय ट्रेन सेवाएं ठप्प हो जाएं तो महानगर थम सा जाता है। वैसे तो मुम्बई, लखनऊ, कोलकाता और बेंगलुरु में भी मैट्रो है लेकिन दिल्ली में तो मैट्रो का नेटवर्क चारों दिशाओं में विस्तार पा चुका है। अभी भी कई मैट्रो प्रोजैक्ट निर्माणाधीन हैं, कहीं यह जमीन से ऊपर हैं तो कहीं भूमिगत। लॉकडाउन से पहले दिल्ली मैट्रो में रोजाना करीब 55-60 लाख लोग यात्रा करते थे। आम आदमी से लेकर नौकरीपेशा लोगों और व्यवसायी तक अपने निजी वाहन घरों में छोड़कर या पार्किंग में खड़ी कर मैट्रो का इस्तेमाल करते हैं। मैट्रो का संचालन ठप्प होने से साफ है कि 60 लाख लोग अपने काम-धंधे करने के लिए दूसरे साधन इस्तेमाल कर रहे हैं। दिल्ली में सार्वजनिक बस सेवाएं सीमित यात्री संख्या के साथ चलाई जा रही हैं। कई बार बस की इंतजार में एक-एक घंटे खड़ा होना पड़ता है। बसों में सीमित संख्या में यात्रियों को बैठाने के चलते भी सारा बोझ निजी वाहनों या फिर प्राइवेट वाहन सेवाओं पर पड़ रहा है। इससे सड़कों पर कारों की संख्या बढ़ गई है। लोगों को अपने आफिस पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बड़े बाजारों में तो अभी कोई रौनक है ही नहीं। 
मैट्रो अब दिल्ली वालों की जरूरत बन चुकी है। मैट्रो ने जिस तरह एनसीआर के शहरों के लोगों के लिए आवागमन सुिवधाजनक बनाया है, उससे इसका आकर्षण और भी बढ़ चुका है। यद्यपि दिल्ली मैट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) ने कई बार मैट्रो चलाने की पूरी तैयारी का दावा किया लेकिन मैट्रो स्टेशनों पर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए जोखिम नहीं उठाया गया। कोरोना वायरस का सर्किल तोड़ने के लिए जरूरी था कि लोग घरों से बहुत कम निकलें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मैट्रो का पहला चरण शुरू होने के साथ ही देशभर में यह प्रोजैक्ट राज्य सरकारों के लिए अति महत्वाकांक्षी बन गया है।
लम्बे अर्से तक इसे ठप्प भी नहीं रखा जा सकता। अगर इसका संचालन शुरू नहीं किया गया तो मैट्रो ऋण के बोझ तले दब जाएगी। डीएमआरसी को मैट्रो के निर्माण के लिए जापान इंटरनेशनल कार्पोरेशन एजैंसी ने बहुत कम ब्याज दर पर 50 हजार करोड़ का ऋण दे रखा है। यह ऋण हर फेज के अनुसार चरणबद्ध ढंग से दिया गया है। डीएमआरसी हर साल ऋण का भुगतान करती है लेकिन पांच महीनों से मैट्रो बंद होने से डीएमआरसी को ऋण का भुगतान करने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। इस संबंध में केन्द्र से भी मदद मांगी जा रही है। डीएमआरसी को रोजाना लगभग दस कराेड़ का नुक्सान हो रहा है। ऋण की गारंटी केन्द्र सरकार ने दे रखी है। अगर डीएमआरसी किश्त का भुगतान नहीं करती तो केन्द्र सरकार को इसकी भरपाई करनी होगी। अगर आवश्यक सावधानियां बरतते हुए अन्तर्राष्ट्रीय विमान सेवाएं जल्द शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं, घरेलू उड़ानें तो पहले ही शुरू हो चुकी हैं तो गाईडलाइन्स का पालन करते हुए मैट्रो शुरू करने पर विचार किया ही जाना चाहिए। मैट्रो का संचालन न केवल आम लोगों के लिए अच्छा है बल्कि यह खुद मैट्रो के लिए भी अच्छा होगा। पांच महीने के दौरान डीएमआरसी को मैट्रो ट्रेनों के रखरखाव पर भी खर्च करना पड़ रहा है। मैट्रो में सफर करने वाले लोग भी इस बात से अवगत होंगे कि उन्हें कोरोना वायरस से बचाव के लिए क्या-क्या उपाय करने हैं। 
सार्वजनिक वाहनों की तरह मैट्रो में भी हर यात्री को मास्क पहनना, एंट्री-एग्जिट पर सेनेटाइजेशन टनल से गुजरना, एक सीट छोड़कर बैठने की व्यवस्था करना मुश्किल नहीं होगा। जब मैट्रो की शुरूआत हुई थी तो लोगों को आशंका थी कि इस ट्रेन की हालत भी कहीं दूूसरी ट्रेनों जैसी न हो जाए लेकिन डीमएआरसी  ट्रेनों का रखरखाव बहुत सलीके से कर रहा है और ट्रेन को स्वच्छ रखना यात्रियों की आदतों में शुमार हो गया। लोगों को खुद को सुरक्षित रखने के लिए यात्रा को सुरक्षित बनाना ही होगा। दिल्लीवासियों को लाइफ लाइन चालू होने का इंतजार है।
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Aditya Chopra

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