भारत में किसी Judge को हटाने की प्रक्रिया क्या है? जानिए विस्तार से
भारतीय संविधान में जज को हटाने की प्रक्रिया, विस्तार से जानिए
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर नकदी बरामद होने के बाद उनका तबादला करने की सिफारिश की गई है
किसी हाई कोर्ट के जज के भ्रष्ट होने पर या मानसिक या शारीरिक कठिनाई की वजह से अपना काम ना कर पाने पर ही उसे हटाया जा सकता है
हाईकोर्ट के किसी जज को हटाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1)(b) और अनुच्छेद 124 (4) में दी गई है
वहीं हाईकोर्ट के जज को हटाने के लिए जांच प्रक्रिया Judges (Inquiry) Act, 1968 में दी गई है
इस प्रक्रिया में सबसे पहले संसद में प्रस्ताव पेश करना पड़ता है जहां कम से कम 100 लोकसभा सांसदों और राज्यसभा में कम से कम 50 राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर होते हैं
संसद में प्रस्ताव स्वीकारे जाने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश, एक हाईकोर्ट चीफ जस्टिस और एक सीनियर प्रतिष्ठित जज की जांच समिति बनती है
अगर समिति आरोपों को सही पाती है, तो प्रस्ताव को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में बहस और मतदान के लिए रखा जाता है
जज को हटाने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई (2/3) बहुमत से प्रस्ताव पास होना जरूरी होता है
संसद में प्रस्ताव पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है जिनके मंजूरी देते ही जज को उनके पद से हटा दिया जाता है