W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

माब लिंचिंग पर अध्यादेश कब?

महामारी निरोधक कानून में संशोधन करते हुए केन्द्र की मोदी सरकार ने जिस तरह डाक्टरों व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों पर हमला करने को लेकर अध्यादेश जारी किया है।

03:12 AM Apr 23, 2020 IST | Aditya Chopra

महामारी निरोधक कानून में संशोधन करते हुए केन्द्र की मोदी सरकार ने जिस तरह डाक्टरों व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों पर हमला करने को लेकर अध्यादेश जारी किया है।

Advertisement
माब लिंचिंग पर अध्यादेश कब
Advertisement
महामारी निरोधक कानून में संशोधन करते हुए केन्द्र की मोदी सरकार ने जिस तरह डाक्टरों व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों पर हमला करने को लेकर अध्यादेश जारी किया है और सख्त सजा का प्रावधान किया है उसी के अनुरूप अब माब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मारा जाना) के विरुद्ध भी अध्यादेश जारी करने की जरूरत है।
Advertisement
पिछले दिनों महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक गांव गढ़चिंचली के निकट जिस तरह जूना अखाड़े के दो साधुओं समेत उनके ड्राइवर की हत्या पुलिस की मौजूदगी में बड़ी बेरहमी के साथ की गई उसे देखते हुए इस आशय का अध्यादेश भी समय की मांग है।
मगर आश्चर्य है कि इससे पूर्व  ‘माब लिंचिंग’ की हुई घटनाओं के खिलाफ गला साफ कर- करके बांस पर चढ़ कर आसमान सर पर उठाते हुए तकरीरें झाड़ने वाले ‘शूरवीर’ जाने किस कोने में छिप कर बैठ गये हैं? उनकी जबान पर ताले लगने की वजह क्या हो सकती हैं? कहां हैं कुलहिन्द के शाहरे-ए-मुअज्जम जावेद अख्तर जो कोरोना वायरस के खिलाफ सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों में ‘इमरजेंसी’ का अक्स नुमायां कर रहे थे? अखलाक से लेकर पहलू खां और तबरेज की माब लिंचिंग में की गई हत्या के बाद हिन्दोस्तान की सड़कों को नापने वाले हर्ष मन्दर साहेब कौन सी नई किताब पढ़ने में मशगूल हो गये कि उन्हें वक्त का पता ही नहीं चल रहा है ? कहां हैं ‘वीर बाला’ अरुन्धती राय जिन्हें कोरोना रोकने के लिए जमातियों को बाहर लाने के उपायों में जालिमाना हरकतें दिखाई पड़ रही थीं ? कहां है अवार्ड वापसी ब्रिगेड (पुरस्कार लौटाने वाले लोग) जिन्हें  भारत में सहिष्णुता समाप्त होने पर भाई चारे का जनाजा उठता हुआ दिखाई दे रहा था?  क्या ये सभी इस वजह से दीवार की तरफ मुंह करके खड़े हो गये हैं कि मरने वाले बहुसंख्यक हिन्दू समाज के दो साधू थे और उन्हें मारने वाले भी इसी समाज के ही लोग थे! इनको क्या यह लगा कि इस घटना का लाभ उन्हें और उनके राजनीतिक आकाओं को क्यूं कर मिल सकेगा?  दरअसल माब लिंचिंग एक विकृत मानसिकता है जो धर्म नहीं देखती परन्तु कुछ लोगों ने इसे धर्म से जोड़ कर देखने की गुस्ताखी कर डाली।
साधुओं की हत्या बताती है कि भारतीय समाज में अभी भी ऐसी जहरीली रूढि़यां है जो मनुष्य के भीतर छिपे  दानव को सतह पर ले आती हैं। ये रूढि़यां ही आज भी दलितों पर अत्याचार कराती हैं और साम्प्रदायिक हिंसा को हवा देती हैं। लेकिन खुद को बुद्धिजीवी समझने वाले लोग भी इन रूढि़यों से किस कदर बन्धे हुए हैं कि वे माब लिंचिंग को मजहबी नजरिये से देखते हैं। साधू या संन्यासी समाज को कुछ देने के लिए ही बनते हैं। हिन्दू समाज में इन्हें आश्रमों में आदर दिया जाता है और मुस्लिम समाज में खानकाहों में। सन्त कबीर ने अब से छह सौ साल पहले ही कह दिया था कि,
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
Advertisement
×