'जब सिंदूर ही उजड़ गया...', संसद में Jaya Bachchan ने Operation Sindoor पर खड़े किए सवाल
ऑपरेशन सिंदूर की गूंज आज राज्यसभा में भी दिखाई दी. इस दौरान ' Operation Sindoor' पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी की सांसद Jaya Bachchan ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस ऑपरेशन का नाम 'सिंदूर' रखने पर गहरी आपत्ति जताई और कई गंभीर सवाल खड़े किए। जया बच्चन ने सवाल किया कि जब इतनी बड़ी त्रासदी हुई, इतने लोगों की जान चली गई, तो ऐसे दुखद मौके पर ऑपरेशन का नाम 'सिंदूर' क्यों रखा गया?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि सिंदूर तो भारतीय संस्कृति में शुभता, सुरक्षा और सौभाग्य का प्रतीक है। जब इतने परिवार उजड़ गए, तो इस ऑपरेशन का नाम ऐसा क्यों रखा गया जिससे दर्द और विडंबना और गहरी हो जाए?
पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना
Jaya Bachchan ने अपने संबोधन की शुरुआत उन सभी पीड़ितों को श्रद्धांजलि देकर की, जो इस हमले में मारे गए। उन्होंने कहा कि जो यात्री अमरनाथ यात्रा पर गए थे, उन्होंने सरकार पर भरोसा कर वहां कदम रखा था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद लोगों को यह भरोसा दिलाया गया था कि अब कश्मीर में शांति है, लेकिन यह हमला उस भरोसे को तोड़ने वाला रहा।
"कश्मीर तो हमारे लिए जन्नत है, लेकिन बदले में क्या मिला?"
Jaya Bachchan ने कहा कि आम नागरिक कश्मीर को स्वर्ग मानते हैं और इस उम्मीद से वहां जाते हैं कि अब वहां आतंकवाद नहीं है। लेकिन इस घटना ने यह साफ कर दिया कि हालात अब भी पूरी तरह काबू में नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोगों के विश्वास को बनाए रखने में असफल रही है।
#WATCH | Delhi: Samajwadi Party MP in the Rajya Sabha, Jaya Bachchan says, "... Why did they name the operation as 'Sindoor'? 'Sindoor to ujad gaya logon ka'. They were killed and their wives were left behind."
Source: Sansad TV/ YouTube pic.twitter.com/5bgDnBBysl
— ANI (@ANI) July 30, 2025
"सिर्फ हथियारों से नहीं, इंसानियत से होगी रक्षा"
Jaya Bachchan ने रक्षा मंत्री के उस बयान की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने हथियार और सैन्य ताकत की बात की थी। जया ने कहा कि तोप और गोला-बारूद से अगर लोगों की जान नहीं बचाई जा सकती तो उनका क्या लाभ? उन्होंने कहा कि देश को सिर्फ सैन्य ताकत नहीं, इंसानियत की भी ज़रूरत है।
सरकार को माफी मांगनी चाहिए
Jaya Bachchan ने सरकार से अपील की कि वह उन परिवारों से माफी मांगे जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह उन लोगों की भावनाओं का सम्मान करे और अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करे।