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कहां नाच रहे हो मि. मुनीर, कुछ होश है ?

06:15 AM Aug 19, 2025 IST | विजय दर्डा
कहां नाच रहे हो मि  मुनीर  कुछ होश है

सर्कस आप सब ने कभी न कभी देखा ही होगा, उसमें एक जोकर होता है। सीरियस एडवेंचर वाले कारनामों के बीच वह कुछ ऐसी हरकत करता है कि लोग हंस पड़ें। कुछ मनोरंजन हो जाए। आखिर तनाव भी आदमी कब तक झेले? अब आप सोचेंगे कि सर्कस के जोकर की याद मुझे क्यों आ गई? दरअसल पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष आसिम मुनीर साहब की एक हरकत ने मुझे जोकर की याद दिलाई है जो टैरिफ युद्ध के इस गंभीर माहौल में भारत पर हमले की शुरूआत पूरब से करने की बात कर रहे हैं। वैसे जोकर के किरदार के प्रति भी मेरे मन में बड़ा सम्मान है इसलिए मुनीर को जोकर कहने में भी संकोच हो रहा है। मुनीर की हालत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी है। आपने देखा होगा कि बारात में कुछ लोग अचानक आकर नाचने लगते हैं, वे ऐसा दिखावा करते हैं जैसे दूल्हे के असली दोस्त वही हों। लोग उन पर पैसे लुटाने लगते हैं, उन्हें भ्रम हो जाता है कि वाकई वे दूल्हे के असली दोस्त हैं। मुनीर साहब की हालत कुछ ऐसी ही है, अरे जनाब यह तो ध्यान रखो कि कहां नाच रहे हो, किसके आगे नाच रहे हो, क्या बोल रहे हो, कुछ होश है क्या?

वैसे आप इस बात पर आपत्ति जता सकते हैं कि मैंने मुनीर के आगे साहब शब्द क्यों लगाया। दरअसल उन्होंने पूरब से हमले की बात की है तो मुझे फिल्म पूरब और पश्चिम का गाना याद आ गया... है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं। इसी गाने की एक पंक्ति है...हमें प्यार निभाना आता है और ये पाकिस्तान तो भारत की ही औलाद है तो वहां के सेना अध्यक्ष को हमें सम्मान देते हुए साहब क्यों नहीं कहना चाहिए। वो लफंगा हो गया तो ये उसकी तकदीर। हमारी तासीर तो प्यार भरी ही होनी चाहिए। अमेरिका की धरती पर खड़े होकर बावले मुनीर जब हिंदुस्तान के पूरब पर हमले की बात रहे थे तो मैं आश्चर्यचकित था कि पाकिस्तान के पुराने पूर्वी हिस्से की क्या उन्हें याद नहीं आती? उसी पूर्वी हिस्से का नाम अब बंगलादेश है। मि. मुनीर, याद कर लेते कि 71 की जंग में पाकिस्तान को बचाने के लिए अमेरिका ने एक युद्धपोत भेजा था, इसके बावजूद इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो फाड़ कर दिए थे। हमारी फौज ने 94 हजार पाकिस्तानी फौजियों को सरेंडर कराया था। आपकी फौज अपना पूर्वी हिस्सा तो बचा नहीं सकी और भारत के पूर्वी हिस्से पर हमले की बात करते हो। चलो, कारगिल को ही याद कर लेते, मुशर्रफ ने तो बड़ी कुटिल व्यूह रचना की थी।

भारत को तोड़ने के मंसूबे बना लिए थे लेकिन जब भारत ने ठोकना शुरू किया तो नवाज शरीफ अमेरिका के चरणों में लोट गए। इतिहास के पन्ने तो पलट लिया करो मि. मुनीर, मसखरे जैसी हरकत से अपने देश की जग हंसाई क्यों कराते हो? मैं कई बार पाकिस्तान आया हूं, विदेशों में भी मुझे पाकिस्तानी लोग मिलते हैं। आपकी अवाम बड़ी प्यारी है, उन्हें क्यों धोखा दे रहे हो? जंग करनी है तो खुद की बेईमानी और जाहिलपने से करो। जंग गरीबी से करो ताकि अवाम को कम से कम आटा, दाल और तेल तो मिल जाए। भारत के खिलाफ आग उगलने से पाकिस्तानी अवाम की जिंदगी नहीं सुधरेगी। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की हरकतों का दुष्परिणाम है कि पाकिस्तानी मरीज आज इलाज के लिए भारत नहीं आ पा रहे हैं, इलाज कराने क्या उन्हें अमेरिका भेजोगे? और जहां तक मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी को आपकी धमकी का सवाल है तो मुझे बड़े-बुजुर्गों की कही एक बात याद आ रही है कि आदमी को अपनी औकात में रहना चाहिए। मुकेश अंबानी पर टिप्पणी से पहले एक बार खुद की हैसियत तो देख लेते। एक बार यह तो जान लेते कि मुकेश अंबानी किस हैसियत के मालिक हैं, मुकेश अंबानी के बारे में कुछ नहीं पढ़ा हो तो चलो, मैं ही बता देता हूं, इस वक्त मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 8.5 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। अब आप याद कीजिए 2024-25 के पाकिस्तानी सालाना बजट को जो भारतीय रुपयों में महज 4.5 लाख करोड़ का ही था।

यानी पाकिस्तानी बजट से करीब दो गुना संपत्ति मुकेश अंबानी के पास है, हम भारतीय उन्हें एक व्यक्ति के रूप में नहीं देखते, बल्कि उन्हें अपने आप में संस्थाओं का समूह मानते हैं। हम भारतीय नाज करते हैं उन पर और आपको क्या लगता है मि. मुनीर? आपकी मिसाइलें जामनगर पहुंच जाएंगी और हम तमाशा देखते रहेंगे? हम वो बुरा हाल करेंगे जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। क्यों ऐसा बड़बोलापन दिखाते हो? बड़बोलेपन से याद आया कि आपके मुल्क के एक मंत्री हुआ करते थे शेख राशिद जो फरमाते थे कि पाकिस्तान ने पाव-पाव भर के ऐसे परमाणु बम बना रखे हैं जो लोगों का धर्म देखकर निशाना बनाएगा। कितने जाहिलपने की बात है ना। आजकल कहां हैं वो? खैर छोड़िए..! अपन तो आपकी बात करें, एक बार फिर परमाणु बम की जो धमकी आपने दी है, वह कुछ ऐसा ही है कि ‘हम भी डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे’ हमारे परमाणु बम हालांकि शांति के लिए हैं लेकिन एक बार यह तो सोच लेते कि भारत कितना विशाल है और पाकिस्तान कितना पिद्दी सा है। हम तो फिर भी कुछ न कुछ बचे रह जाएंगे...तेरा क्या होगा कालिया।

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विजय दर्डा

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