कांग्रेस को किस शुभ घड़ी का इंतजार है
सियासी रण में बेतरह पिछड़ती कांग्रेस पार्टी का भरोसा अब ग्रह नक्षत्रों की चाल…
‘मेरी प्यास का इल्म समंदर को भी इस कदर रहा
उसके जितना करीब गया वह दामन समेटता रहा’
सियासी रण में बेतरह पिछड़ती कांग्रेस पार्टी का भरोसा अब ग्रह नक्षत्रों की चाल पर ज्यादा हो गया है। कोटला मार्ग पर नवनिर्मित कांग्रेस का नया मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ काफी पहले से बनकर तैयार खड़ा था, पर पंडितों ने इसमें प्रवेश की शुभ घड़ी 15 जनवरी बताई थी, सो कांग्रेस ने इसके लिए इंतजार किया। अच्छे दिन के आहटों की इसी सुगबुगाहट को मन में समेटे कांग्रेस को एक ऐसे ही शुभ दिन का इंतजार है जब वह दनादन कई बड़े फैसले लेगी। पंडितों ने यह दिन मुकर्रर किया है आने वाले 28 जनवरी का, जिस दिन शुक्र मीन राशि में प्रवेश करेंगे, जहां राहु पहले से विराजमान हैं, और शुक्र ही तो राहु के गुरु हैं, इस नाते भी यह घड़ी बेहद महत्वपूर्ण है। ज्योतिषियों का मानना है कि ‘ग्रहों की इस बदलती चाल की वज़ह से ही मालव्य योग आएगा, जिसमें बिगड़े काम बनते हैं, रूठी किस्मत भी संवरती है।’ सो, कांग्रेसी कर्णधारों ने भी 28 जनवरी को अपने नए मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में पार्टी की एक अहम मीटिंग आहूत कर दी है जिसमें बड़े पैमाने पर कांग्रेस संगठन में व्यापक फेरबदल की शुरूआत हो सकती है। न सिर्फ कांग्रेस के अखिल भारतीय संगठन का चेहरा-मोहरा बदलने की कवायद शुरू हो सकती है, बल्कि बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, झारखंड जैसे प्रदेशों में नए अध्यक्षों के नाम पर भी विचार हो सकता है। बताया जाता है कि इस 28 जनवरी की मीटिंग में कांग्रेस के आला पदाधिकारियों के अलावा उसके तमाम मौजूदा मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री व सभी प्रदेशाें के अध्यक्ष भी शिरकत करेंगे। इस मीटिंग में प्रदेश इकाईयों के संगठनों में रिक्त पड़े पदाधिकारियों के पदों को भरने पर भी चर्चा होगी। यानी अपने नए मुख्यालय से नए इरादों से लैस एक नई कांग्रेस का चेहरा आपको आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है।
राहुल की पटना यात्रा के मायने : कल यानी 18 जनवरी को राहुल गांधी पटना में थे, जहां सिविल सोसाइटी द्वारा आयोजित ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ को उन्होंने संबोधित किया। यह और बात है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से उनके स्वागत में पटना में जगह-जगह जो बैनर-पोस्टर व परचम लहराए गए थे, पटना नगर निगम ने उन्हें रातों-रात वहां से हटवा दिया। भले ही यह सम्मेलन घोषित तौर पर गैर राजनीतिक था पर कांग्रेस पार्टी काफी दिन पहले से इस सम्मेलन को सफल बनाने की तैयारियों में जुटी थी, इसका जिम्मा सौंपा गया था मोहन प्रकाश को जो अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की ओर से बिहार के प्रभारी भी हैं। चंद रोज पहले मोहन प्रकाश पटना पहुंचे थे और वे वहां एक-एक कर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों से मिल रहे थे और उनसे राहुल की सभा को सफल बनाने की गुहार लगा रहे थे कि अचानक से मोहन प्रकाश को पता चला कि 15 जनवरी को नई दिल्ली में कांग्रेस के नए मुख्यालय का उद्घाटन होना है, सो वे भागे-भागे दिल्ली आ गए, उनके साथ बिहार के कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और विधायक दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान ने भी दिल्ली की फ्लाइट पकड़ ली। फिर मोहन प्रकाश दिल्ली में बैठकर वर्चुअली बिहार के नेताओं से संपर्क साधने लगे। उनके इस कार्य में बिहार कांग्रेस के तीन प्रमुख दलित चेहरे राजेश राम, पूर्व एमएलसी लाल बाबू और राम सुंदर दास के परिवार से आने वाली प्रतिमा दास उनका पूरा साथ दे रहे थे, क्योंकि इन दलित नेताओं को इस बात को पूरा इल्म है कि ‘राहुल अखिलेश प्रसाद की जगह बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष किसी दलित नेता को बनाना चाहते हैं।’ इन नेताओं की भाग-दौड़ रंग लाई, ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ की दस्तकें बिहार भर में सुनाई देने लगीं, आयोजकों को अफरा-तफरी में श्रीकृष्ण मैमोरियल हॉल जिसकी कैपेसिटी 2000 की है, उसकी जगह 5000 लोगों की क्षमता वाले बापू सभागार में इस सम्मेलन को शिफ्ट करना पड़ा।
तोल-मोल के बोल : दिल्ली से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे यह युवा नेता अपने बिगडै़ल बोलों के लिए चर्चित हैं और इस दफे वे चुनौती भी आप के सबसे बड़े महारथी के समक्ष उपस्थित कर रहे हैं। सो, उनकी साख भी दांव पर है, सो उन्होंने अपनी जान-पहचान के नई दिल्ली की पॉश कॉलोनी के एक पूर्व आरडब्ल्यूए अध्यक्ष से कहा कि ‘वे उनके लिए अपने घर पर एक चाय पार्टी रख लें, जिसमें वे इलाके के प्रमुख व प्रबुद्ध लोगों को आमंत्रित कर लें।’ आरडब्ल्यूए के इस पूर्व प्रेसिडेंट ने ऐसा ही किया, अपने घर उन्होंने 40-50 लोगों को आमंत्रित कर लिया चाय पर। अभी चाय शुरू ही हुई थी कि उसमें मौजूद एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने जो पीएम मोदी के प्रशंसकों में शुमार थे उन्होंने भाजपा प्रत्याशी से बेसाख्ता कह दिया-’ बेटे आप युवा हैं, टेलेंटेड हैं, देश आपको आशाभरी निगाहों से देख रहा है, पर आपका अपनी बोली पर नियंत्रण क्यों नहीं है, आप इतनी ऊल-जुलूल और भड़काऊ भाषा क्यों बोलते हो?’ यह सुनने भर की देर थी कि भगवा प्रत्याशी उखड़ गए, उन्होंने आयोजक की ओर मुंह करके बोला-’ मुझे नहीं पता था कि आपने मेरी ही मीटिंग में’ आपके भी पेड़ चमचों को बुला रखा है…।’ फिर क्या था, बैठक में हंगामा हो गया, एक-एक कर लोग चाय पार्टी अधबीच छोड़कर जाने लगे। आयोजक भी गुस्से में आ गए उन्होंने भाजपा प्रत्याशी से मुखातिब होकर कहा कि यह मुंडका या नजफगढ़ नहीं है, आपको यहां कुछ बोलने से पहले सौ बार सोचना था।’
कमल के मन में कितना पूर्वांचल : दिल्ली भाजपा के स्थानीय नेता व कार्यकर्ता इस दफे के टिकट बंटवारे से उतने खुश नहीं जान पड़ते। खासकर पूर्वांचली लोगों के झंडाबरदार बनने वाली भाजपा ने जाने-अनजाने टिकट वितरण में बिहार-यूपी वाले लोगों को कोई खास तरजीह नहीं दी है। एक मोटे अनुमान के अनुसार अकेले दिल्ली में 25 फीसदी से ज्यादा पूर्वांचली मतदाता हैं। जिनका दिल्ली की 70 में से 29 सीटों पर खासा दबदबा माना जाता है। दिल्ली की कोई 15 सीटें ऐसी हैं जहां 50 फीसदी से ज्यादा पूर्वांचली वोटर हैं, जबकि भाजपा ने महज़ 5 पूर्वांचली प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं, इसकी तुलना में आप ने 12 पूर्वांचली प्रत्याशियों को टिकट दिया है, वहीं पूर्वांचली ‘इमोशंस’ का बैंड बजाने में भी कई भाजपा नेता पीछे नहीं रह रहे हैं, यही बात दिल्ली में आपके लिए एडवांटेज साबित हो रही है।
…और अंत में : इस 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे हैं। अपने शपथ ग्रहण समारोह में ट्रंप ने इटली, फ्रांस, जापान, आस्ट्रेलिया आदि देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा दुनियाभर के कई अमीर लोगों को भी न्यौता भेजा है। भारत से मुकेश अंबानी, अजीम प्रेमजी, नारायण मूर्ति के अलावा दुबई के कोई दो दर्जन से ज्यादा अमीर लोगों को भी निमंत्रण भेजा गया है। ट्रंप का संदेश साफ है कि ‘लोग पैसा लेकर अमेरिका आएं और यहां की नागरिकता फौरन हासिल करें।’ एक संदेश जो अमेरिका के नए राष्ट्रपति पूरी दुनिया को देना चाहते हैं, वह है’ ट्रंप मीन्स बिजनेस’ यानी आने वाले दिनों में इस आश्य की दस्तक पूरे अमेरिका में सुनी जा सकेगी।