Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

हिमाचल में भगवा मंच किसने सजाया

02:23 AM Mar 03, 2024 IST | Shera Rajput

‘टूटी हुई कश्तियों ने आज
फिर से तूफां को ललकारा है
हैरत में है समंदर कि कोई
बिला वजह डूबने वाला है’

हिमाचल प्रदेश की वादियों में बागी बारूदों की गंध अब भी वहां माहौल में रची-बसी है, किसी को ठीक से मालूम नहीं कि कब तक का है यह युद्ध विराम, पर कांग्रेस शीर्ष से जुड़े सूत्र यह भरोसे से कह रहे हैं कि ‘चाहे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहे या जाए पर इस लोकसभा चुनाव के बाद सुक्खू हिमाचल के सीएम नहीं रहेंगे।’
सूत्रों की मानें तो भाजपा की ओर से ‘ऑपरेशन लोट्स’ को परवान चढ़ाने में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री जो अब भगवा रंग में तरबतर हैं यानी कैप्टन अमरिंदर सिंह की एक महती भूमिका थी। उन्होंने रानी प्रतिभा सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह को साधने में एक महती भूमिका निभाई। प्रतिभा सिंह के स्वर्गीय पति वीरभद्र सिंह से अमरिंदर सिंह की ​िरश्तेदारी है, इस नाते भी दोनों परिवारों की आपस में काफी घनिष्ठता है। वैसे भी इस राज्यसभा चुनाव में पाला बदलने वाले और कांग्रेस की ओर से अयोग्य ठहराए गए सभी आधा दर्जन विधायक प्रतिभा सिंह के खेमे के ही बताए जाते हैं। जब डीके ​िशव कुमार को मामले की गंभीरता को देखते हुए ​शिमला भेजा गया तो उन्होंने प्रतिभा सिंह से सबसे पहले यही बात की है कि ‘उन्हें लोकसभा के चुनाव के बाद हिमाचल का सीएम बनाया जाएगा’, कहते हैं, इसके बाद ही उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह अपना इस्तीफा वापिस लेने को राजी हुए। कहते हैं डीके ने प्रतिभा से इन छह विधायकों की घर वापसी कराने का भी भरोसा दिया है और साथ यह भी कहा है कि ‘पार्टी हाईकमान इन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा।’
किसने ठुकरा दिया पवार का न्यौता
बारामती के विद्या प्रतिष्ठान कॉलेज परिसर में इसी शनिवार, 2 मार्च को एक रोजगार मेले का आयोजन हुआ, इस मेले का नाम ‘नमो महा रोज़गार मेलावा’ रखा गया था। इस मेले का उद्घाटन महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के कर कमलों से होना तय था, शिंदे के साथ उनके दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार भी बारामती तशरीफ लाए थे। जब वरिष्ठ मराठा नेता शरद पवार को इन तीनों नेताओं के बारामती आने के प्रोग्राम के बारे में पता चला तो उन्होंने आनन-फानन में ​िशंदे, फड़णवीस व अजित को अपने घर डिनर का न्यौता भेजा। अपनी-अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए ​िशंदेे और फड़णवीस दोनों ही नेताओं ने शरद पवार के डिनर के न्यौता को ठुकरा दिया। दरअसल शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले बारामती की सांसद हैं और भाजपा का अजित पवार पर दबाव है कि ‘वे अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को सुप्रिया के खिलाफ मैदान में उतारें, जिससे ननद-भौजाई की लड़ाई हाई प्रोफाइल बन जाए।’
वहीं अजित पवार अपनी पत्नी की जगह अपने पुत्र पार्थ पवार को मैदान में उतारना चाहते हैं। पर सुनेत्रा एक राजनैतिक परिवार से आती हैं और क्षेत्र में सामाजिक कार्यों के लिए भी जानी जाती हैं और वह पिछले काफी समय से बारामती में सक्रिय भी हैं। सुप्रिया 3 बार से बारामती का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, वहीं अजित पवार ने भी 1991 में बारामती से संसदीय चुनाव जीता था, वे इस क्षेत्र से 7 बार के विधायक भी हैं, इस नाते भी इस बार बारामती का संसदीय चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है।
नीतीश कब तक हैं सीएम?
बिहार के दोनों प्रमुख गठबंधनों में उठा पटक जारी है, विधायकों का इधर-उधर जाना भी जारी है। पिछले दिनों राजद और कांग्रेस के 7 विधायक टूट कर भाजपा के पाले में चले गए हैं, इसके अलावा जीतन राम मांझी के 4 और निर्दलीय सुमित कुमार सिंह भी भाजपा के साथ हैं। कांग्रेस के 11 विधायक अभी भी ‘ऑपरेशन लोट्स’ की खुमारी में डूबे हैं। यानी वह भाजपा जिसके पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ 74 विधायक चुन कर आए थे आज वह राज्य की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी है। ऑपरेशन लोट्स की आंच से जदयू भी महफूज नहीं, इसीलिए तो जदयू मुखिया नीतीश कुमार अब भी इस बात पर जोर लगा रहे हैं कि ‘इस लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव भी हो जाएं,’ पर भाजपा ने भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेल रखी हैं, सो पार्टी ने पैंतरा बदलते हुए एक नया दांव चला है कि ‘अब सीएम तो भाजपा का ही होना चाहिए’ सो अगर नीतीश दोनों चुनाव साथ कराने में सफल नहीं रहे तो फिर मई-जून में उनकी छुट्टी भी हो सकती है, वैसे भी भाजपा कोटे से प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अभी अपनी पगड़ी नहीं उतारी है।
...और अंत में
मोदी सरकार के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री से एक पत्रकार ने ‘ऑफ द् रिकॉर्ड’ जानना चाहा कि ‘अमेठी व रायबरेली से पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा?’ तो मंत्री महोदय ने बेहद भोलेपन से कहा कि ‘मैं सिर्फ दो सीट वाराणसी व गांधीनगर के बारे में भरोसे से बता सकता हूं कि यहां से हमारे उम्मीदवार कौन होंगे, बाकी तो मुझे यह भी नहीं पता कि मेरी सीट से क्या मैं इस बार उम्मीदवार बनाया जाऊंगा?’

- त्रिदीब रमण

Advertisement
Advertisement
Next Article