कौन हैं पूर्व MP Dhananjay Singh? जिन्हें डबल मर्डर केस में मिली बड़ी राहत
MP Dhananjay Singh: जौनपुर जिले के चर्चित बेलांव घाट डबल मर्डर केस में गुरुवार को बड़ा फैसला सामने आया. एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को इस मामले में निर्दोष करार दिया है. यह दोहरी हत्या की वारदात 1 अप्रैल, 2010 को केराकत थाना क्षेत्र में हुई थी. घटना की सुबह करीब 5:15 बजे बेलांव घाट पर टोल टैक्स और ठेकेदारी को लेकर विवाद हुआ. झगड़े के दौरान संजय निषाद और नंदलाल निषाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने कुल पांच लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें धनंजय सिंह, आशुतोष सिंह और पुनीत सिंह भी शामिल थे.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में पुलिस ने सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी. इसके बाद मामला CBCID को सौंपा गया. CBCID ने दोबारा जांच कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. इस केस की सुनवाई एडीजे प्रथम एमपी सिंह की अदालत में चल रही थी. कोर्ट ने सभी साक्ष्यों की समीक्षा के बाद धनंजय सिंह को बरी कर दिया.
हत्या में किन पर क्या आरोप थे?
पुलिस की जांच में यह बात सामने आई थी कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह और आशुतोष ने हत्या के लिए उकसाया था और इसके बाद पुनीत सिंह और सुनीत सिंह ने गोली चलाई थी, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. धनंजय सिंह का नाम राजनीति और अपराध दोनों में लंबे समय से जुड़ा रहा है. उन पर लखनऊ, जौनपुर और दिल्ली सहित कई जगहों पर 40 से ज्यादा केस दर्ज हैं. इनमें से सबसे ज्यादा 19 मुकदमे लखनऊ के थानों में दर्ज हैं. एक समय पर वह 50 हजार रुपये के इनामी भी रह चुके हैं.
राजनीतिक करियर की शुरुआत
धनंजय सिंह ने 2002 में रारी विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा. इसके बाद 2007 में JDU के टिकट पर फिर से विधायक बने. 2008 में उन्होंने JDU छोड़कर BSP का दामन थाम लिया. फिर 2009 में BSP के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने. उन्होंने सपा नेता पारसनाथ यादव को करीब 80 हजार वोटों से हराया था. 2011 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया, जिसके बाद उनका राजनीतिक प्रभाव कम होने लगा. 2012 में उनकी पत्नी डॉ. जागृति सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
हाल के चुनावों में प्रदर्शन
2014 के लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें महज 64 हजार वोट ही मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवार ने भारी मतों से जीत दर्ज की. 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भी उन्हें जीत नहीं मिल सकी.