Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

पूरा भारत मोदी के साथ

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम पयर्टन स्थल पर पाक प्रायोजित आतंकवादियों…

11:23 AM Apr 24, 2025 IST | Aditya Chopra

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम पयर्टन स्थल पर पाक प्रायोजित आतंकवादियों…

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम पयर्टन स्थल पर पाक प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा कहर ढहाये जाने के बाद भारत की मोदी सरकार ने जो कूटनीतिक अस्त्र चला है उसे पूरे देश का समर्थन प्राप्त है और भारत के लोग चाहते हैं कि एेसे बर्बर व नृशंस हत्याकांड को अंजाम देने वालों के विरुद्ध सैनिक मोर्चे पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। मगर मोदी सरकार ने जिस तरह कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिन्धु नदी जल बंटवारे के समझौते को मुल्तवी किया है उससे सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति का पता चलता है। मोदी सरकार ने सीधे पाकिस्तान के विरुद्ध कठोर कदम उठाकर सिद्ध कर दिया है कि यह 2008 न होकर 2025 हैं और सरकार पाक आतंकवादियों के काले चिट्ठे खोलने के बजाय सीधे कार्रवाई में यकीन रखती है। सिन्धु जल समझौता 1960 में हुआ था जिसे तब से लेकर अब तक पहली बार मुल्तवी किया गया है। हालांकि इस दौरान भारत पाक से चार युद्ध लड़ चुका है। इनमें पहला युद्ध कश्मीर के मुद्दे पर ही आजादी मिलने के तुरन्त बाद 1947-48 में लड़ा गया था।

इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि विगत 22 अप्रैल को पहलगाम में जिस तरह आतंकवादियों ने निरीह पर्यटकों की हत्या की वह एक सोची-समझी साजिश थी। एेसे संजीदा मसले पर भारत की आन्तरिक राजनीति प्रभावित नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह कार्य पाक की सीमा पार से आये आतंकवादियों द्वारा किया गया है। समय की मांग है कि भारत की सभी विपक्षी पार्टियां सरकार के साथ एकजुटता दिखाते हुए उसे जवाबी कार्रवाई करने के लिए अधिकृत करें और उसके साथ खड़े नजर आयें। मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक सम्बन्धों को पूरी तरह नहीं तोड़ा है मगर पाकिस्तान स्थित उच्चायोग की क्षमता को आधा कर दिया है और उच्चायोग के सैनिक सलाहकारों को बेनंग-ओ-नाम घोषित कर दिया है और इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग की क्षमता इसी अनुपात में घटा दी है। जाहिर है कि मोदी सरकार सीधी कार्रवाई करने के पक्ष में दिखाई पड़ती है। संकट की इस घड़ी में पूरे भारत को एक-​ितहाई देना चाहिए। मासूम पर्यटकों की हत्या करके आतंकवादियों ने भारत के साम्प्रदायिक सौहार्द को भी बिगाड़ने की साजिश रची है। आतंकवादियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर उन्हें गोलियां मारी हैं और हत्या करने से पूर्व यह सुनिश्चित किया है कि वे मुसलमान तो नहीं हैं। मगर इस्लाम भी निरीह लोगों की हत्या करने की इजाजत नहीं देता है। गोली मारने से पूर्व जिस तरह आतंकवादियों ने पर्यटकों से इस्लामी कलमा पढ़ने को कहा उससे यह कार्रवाई इस्लामी जेहादियों की पक्के तौर पर लगती है। अतः हर भारतवासी का कर्त्तव्य है कि वह धर्म की बुनियाद पर आपस में अपने भाईचारे को न बिगड़ने दें क्योंकि पाकिस्तान 1989 के बाद से भारत को हजार जख्म देने की नीति पर चल रहा है। इस नाजायज मुल्क के हुक्मरान चाहते हैं कि भारत भीतर से कमजोर हो जाये क्योंकि सैनिक मोर्चे पर वह भारत की जांबाज सेना का मुकाबला नहीं कर सकता। इस सिलसिले में पाक के फौजी जनरल मुनीर का विगत 16 अप्रैल का वह वक्तव्य ध्यान देने वाला है जिसमें उसने कहा था कि हिन्दू व मुस्लिम एेसी दो कौमें हैं जिनमें आपस में कुछ भी सांझा नहीं है।

दरअसल यह भारत के बंटवारे से पहले मुस्लिम लीग का ही बयानिया है जिसमें यह कहा जाता था कि भारत में रहने वाले मुसलमानों की कौमियत अलग है। हिन्दुओं से न तो उनके रीति-रिवाज मिलते हैं और न ही खान-पान से लेकर राष्ट्र नायक। मुहम्मद अली जिन्ना की हिन्दू-मुस्लिम दो राष्ट्रीयताओं की वकालत करते हुए जनरल इस हद तक पहुंच गये कि वह पाकिस्तान की नई पीढि़यों को भी हिन्दुओं से घृणा करने का पाठ पढ़ाने लगे। मगर पाकिस्तान की बुनियाद ही जिन्ना ने नफरत और हिंसा पर डाली थी अतः यहां का जनरल यदि हिन्दुओं से दुश्मनी करने का सबक पढ़ाता है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए लेकिन हम भारत हैं जिसका सबूत यह है कि पीड़ित पर्यटकों की मदद करते हुए एक कश्मीरी मुसलमान नागरिक भी पहलगाम में शहीद हो गया। इससे यह पता चलता है कि 76 साल पहले बने पाकिस्तान का वजूद केवल हिन्दुओं से नफरत करने की बुनियाद पर टिका हुआ है। इसलिए पाकिस्तान से भारत कभी सदचलन होने की अपेक्षा नहीं कर सकता जिसकी वजह से उसे सबक सिखाया जाना जरूरी है। हालांकि 2019 में भारत ने उसके घर में ही घुसकर ही उसे बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक करके मारा था जब उसने पुलवामा में भारत के चालीस जवानों की जघन्य हत्या की थी। मगर पाकिस्तान को भारत ने 1971 में दो फाड़ कर दिया था और नया राष्ट्र बंगलादेश बनाया था। इसमें भारत की फौजों ने जो कमाल दिखाया था उससे पूरी दुनिया दांतों तले अंगुली दबा कर बैठने को मजबूर हो गई थी। पाकिस्तान ने इसके बाद 1989 में जनरल जिया उल हक के नेतृत्व में जो भारत को हजार जख्म देने की नीति बनाई उसके बाद ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैला और 2008 नवम्बर में पाक आतंकवादियों ने मुम्बई में 166 नागरिकों की हत्या की। उसके बाद विगत 22 अप्रैल को हुई एेसी दूसरी घटना है जिसमें 26 भोलेभाले शहरियों को निशाना बनाया गया इसके खिलाफ पूरे जम्मू-कश्मीर के लोगों ने कड़ा एेतराज दर्ज कराते हुए एक दिन का बन्द भी रखा। पहलगाम की घटना से साफ है कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के ही खिलाफ है क्योंकि पर्यटकों की हत्या करने से सबसे ज्यादा नुकसान कश्मीरियों का ही हुआ है। राज्य का सबसे बड़ा उद्योग पर्यटन गतिविधियां ही हैं जो कि 2019 के बाद से लगातार बढ़ रही थी और राज्य सरकार को अच्छा राजस्व प्राप्त हो रहा था और कश्मीरियों की रोजी-रोटी चल रही थी।

22 अप्रैल की घटना के बाद पर्यटकों ने कश्मीर खाली करना शुरू कर दिया है। मोदी सरकार ने भी अहद कर लिया है कि वह आतंकवादियों को किसी भी स्तर पर नहीं छोड़ेगी और ईंट का जवाब पत्थर से देगी फिलहाल उसने कूटनीतिक अस्त्र ही चल कर साफ कर दिया है कि वह डोजियर नहीं भेजेगी बल्कि आतंकवाद समाप्त करने के लिए जमीन पर भी कार्रवाई करेगी। पूरा भारत इस संकट की घड़ी में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के साथ है।

Advertisement
Advertisement
Next Article