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युवा हताश क्यों

03:52 AM Aug 12, 2024 IST | Aditya Chopra
युवा हताश क्यों

भारत दुनिया के सबसे बड़े जनसंख्या और विकासशील देशों में से एक है लेकिन बेरोजगारी की समस्या गम्भीरता से बढ़ रही है और यह समस्या समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित कर रही है। कुछ पदों के लिए लाखों आवेदक आ जाते हैं और स्थिति सम्भालनी मुश्किल हो जाती है। मुम्बई पुलिस में महिला कांस्टेबलों आैर महिला ड्राइवरों के 1257 पदों के लिए 1.11 लाख आवेदन मिले। मरीन ड्राइव पर फिजिकल टैस्ट देने के लिए भारी संख्या में महिला आवेदकों की भीड़ लग गई। टैस्ट देने आई लड़कियों को बारिश में भी फुटपाथ पर सोना पड़ा। अनेक ने रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्मों पर रात गुजारी। मुम्बई पुलिस के पास इन युवतियों को एक रात के लिए भी ठहराने की कोई व्यवस्था नहीं थी। पिछले महीने भी एयर इंडिया द्वारा आयोजित​ किए गए वाक-इन-इंटरव्यू में इतनी भीड़ पहुंच गई थी कि उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो गया था। कहते हैं मुम्बई से कोई खाली हाथ नहीं जाता लेकिन बेरोजगारी का यह आलम देखिये कि 600 पदों की भर्ती के लिए 25000 से ज्यादा युवा पहुंच गए। अनेक तो​ बिना खाये-पिये घंटों रुकने के बाद बिना इंटरव्यू दिए वापिस लौट गए। नौकरी की तलाश में भारतीय युवा इजराइल के युद्ध क्षेत्र तक में नौकरी करने के लिए वहां पहुंच गए हैं। ऐसे दृश्य न केवल चिंता पैदा करते हैं, ब​ल्कि युवाओं में हताशा पैदा कर रहे हैं।
इस वर्ष जून में बेरोजगारी दर बढ़कर 8 महीने के उच्च स्तर 9.2 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। यद्यपि हर महीने बेरोजगारी की दर घटती-बढ़ती रहती है ले​िकन कुल ​िमलाकर दृश्य परेशान करने वाला है। भारत में कुल बेरोजगारों में से 83 फीसदी युवा हैं। इस हिसाब से अगर भारत में 100 लोग बेरोजगार हैं तो उसमें से 83 लोग युवा हैं। देश के कुल बेरोजगार युवाओं में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या सन् 2000 के मुकाबले अब डबल हो चुकी है। वर्ष 2000 में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या कुल युवा बेरोजगारों में 35.2 प्रतिशत थी। 2022 में बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई और 2024 तक आते-आते यह और भी बढ़ गई। इन आंकड़ों में उन पढ़े-लिखे युवाओं को शामिल किया गया है जिनकी कम से कम 10वीं तक शिक्षा हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत तेजी से आर्थिक प्रगति कर रहा है लेकिन आर्थिक प्रगति की हाईप रोजगार के अवसर पैदा नहीं कर रही। क्योंकि अर्थव्यवस्था में बुनियादी समस्याएं मौजूद हैं। इतना ही नहीं युवाओं में जो स्नातक हैं उनके आंकड़े भी काफी निराशाजनक हैं। अच्छा वेतन देने वाली नौकरियों के इच्छुक शिक्षित युवाओं को खपा सकने वाली नौकरियों का अभाव है। शिक्षा की गुणवत्ता में खामियों के चलते बड़ी संख्या में शिक्षित युवा अब भी नौकरी के मानक को पूरा करने में अक्षम रह रहे हैं। इसके अलावा मुद्रास्फीति को शामिल करने के बाद भी वेतन या तो ठहरे हुए हैं या फिर उनमें कमी देखी गई है।
हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा युवा है और अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाये रखने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। विकास के इस मोड़ पर युवाओं में कौशल का अभाव भारी नुक्सान का कारण बन सकता है। एक ओर कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों से निकले लोग वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व के स्तर पर हैं तो दूसरी ओर स्नातकों की बड़ी संख्या के पास सामान्य रोजगार तक के लिए क्षमता की कमी है। पिछले साल के एक अध्ययन में पाया गया था कि देश में केवल 3.8 प्रतिशत इंजीनियर हैं, जिनके पास स्टार्टअप में सॉफ्टवेयर संबंधी नौकरी के लिए जरूरी कौशल है। हमारे देश में शिक्षा की जरूरत और मांग को देखते हुए निजी क्षेत्र का योगदान अहम है लेकिन कई संस्थान ऐसे हैं जहां शिक्षकों की कमी है, प्रयोगशालाएं नहीं हैं और पढ़ाई का स्तर निम्न है। हालांकि सरकारी और निजी संस्थाओं की निगरानी के लिए केंद्रीय और राज्य स्तरीय संस्थान एवं विभाग हैं, फिर भी अगर गुणवत्ता का अभाव है तो यह बेहद चिंता की बात है। आईआईटी के स्नातकों को आज नहीं तो कल नौकरी मिल जायेगी लेकिन बाकी के कौशल एवं प्रशिक्षण के बारे में सोचना बहुत जरूरी है।
यही कारण रहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में रोजगार वृद्धि को मुख्य उद्देश्य माना। देश की 500 बड़ी कम्पनियों में एक करोड़ युवाओं के इंटर्नशिप की सुविधा उपलब्ध कराना एक बेहतर सोच है और इंटर्नशिप के लिए युवाओं को मासिक तौर पर 5000 रुपए की वित्तीय सहायता का प्रावधान भी सराहनीय है लेकिन इंटर्नशिप के बाद स्थायी रोजगार की उपलब्धता पर नी​ितयां अभी भी अस्पष्ट हैं। बेरोजगारी संकट दूर करने के लिए आैद्योगिक उत्पादन में श्रम प्रधान तकनीक, कृषि आधारित क्षेत्र में बहुफसल, पशुपालन और फूड प्रोसेसिंग जैसे उपायों को अपनाने, किताबी ज्ञान की बजाय व्यावसायिक शिक्षा पर ध्याद देने और तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर देने से ही समस्या का ​निदान हो सकता है। युुवाओं को भी अपनी सोच में बदलाव कर अपनी पसंद के विषयों पर अपनी प्रतिभा को चमकाना चाहिए क्यों हर युवा को व्हाईट कॉलर जॉब उपलब्ध नहीं हो सकती।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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