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क्यों हुए थे राजा विक्रमादित्य शनिदेव के गुस्से का शिकार? मांगनी पड़ी थी माफी

09:47 AM Jan 30, 2024 IST | Pratibha
क्यों हुए थे राजा विक्रमादित्य शनिदेव के गुस्से का शिकार  मांगनी पड़ी थी माफी

Shanidev Anger On king Vikramaditya: राजा विक्रमादित्य को लेकर कहानी काफी मशहूर है। आपको बता दें कि राजा विक्रमादित्य शनि देव की पूजा करने से मना किया था, तब शनि देव ने राजा विक्रमादित्य (Shanidev Anger On king Vikramaditya) पर अपना गुस्सा बरसाया और उन्हें अपने जीवन में कई दुख देखने पड़े थे। बाद में जब उन्होंने माफी मांगी तब शनि का गुस्सा शांत हुआ।

Shanidev Anger On king Vikramaditya

शनिदेव की पूजा से किया था इनकार

राजा विक्रमादित्य की बहुत सी कहानियां है, जिसमें से एक कथा शनिदेव के प्रकोप से जुड़ी है। राजा विक्रमादित्य नवरात्रि का पर्व मनाने के दौरान रोजाना एक ग्रह पर वाद-विवाद किया जाता था। अंतिम दिन शनिदेव के बारे में था, जिसमें ब्राह्मण ने शनि की शक्तियों के साथ उनकी महानता और धरती पर धर्म बनाए रखने में उनका योगदान बताया साथ ही ब्राह्मण ने यह कहा कि विक्रम की कुंडली के हिसाब से उनके बारहवें घर में शनि का वास है। लेकिन राजा विक्रमादित्य इस बात से संतुष्ट नहीं थे, उन्होंने शनि को महज लोक कंटक (Shanidev Anger On king Vikramaditya) के रूप में देखा था, इसलिए विक्रम ने कहा कि वे शनि को पूजा के योग्य मानने के लिए तैयार नहीं हैं। राजा विक्रमादित्य को अपनी शक्तियों और देवी मां के आशीर्वाद पर पूरा भरोसा था और विक्रम ने नवरात्रि समारोह में शनि की पूजा करने से इंकार कर दिया, तब शनिदेव ने क्रोधित होकर कहा कि मैं तुझे अपनी पूजा करने के लिए मजबूर कर दूंगा।

Shanidev Anger On king Vikramaditya

शनि के प्रकोप से हुईं यह घटनाएं

कहते हैं राजा विक्रमादित्य को सबक सिखाने के लिए शनिदेव ने एक घोड़ा व्यापारी का रूप धारण किया और राजा विक्रमादित्य के राज्य में आ गए। वह एक विशेष प्रकार का घोड़ा लेकर विक्रम के राज्य में आए जो एक छलांग में धरती से आसमान पर और आसमान से वापस एक छलांग में ही आ सकता था। राजा विक्रमादित्य ने उस घोड़े (Shanidev Anger On king Vikramaditya) को खरीदने से पहले उसकी सवारी करने की मांग की और सवारी करने लगे। घोड़ा उन्हें आसमान में तो ले गया, लेकिन वापस नीचे लाने की जगह उसने विक्रम को दूर जंगलों में फेंक दिया। जख्मी हालत में राजा विक्रमादित्य जंगल से बाहर जाने का रास्ता ढूंढने लगे तभी डाकुओं ने राजा विक्रमादित्य पर हमला कर उसका मुकुट छीन लिया। पानी की तलाश में जब वह नदी किनारे पहुंचे तो फिसलकर पानी के तेज बहाव के साथ दूर काफी दूर चले गए।

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विक्रम ने मांगी शनिदेव से माफी

राजा विक्रमादित्य पर शनि का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ था। नदी में बहने के बाद धीरे-धीरे वह एक गांव में जा पहुंचा जहां राजा विक्रमादित्य एक पेड़ के नीचे बैठे, पेड़ के सामने एक दुकान थी विक्रम के यहां बैठने से दुकान में तेजी से बिक्री होने लगी, जिसके बाद दुकानदार ने राजा विक्रमादित्य को अपने घर बुलाकर भोजन दिया। दुकानदार ने सोचा की आगे भी ऐसी ही बिक्री होती रहे जिसके लिए उसने अपनी बेटी से विक्रम का विवाह करने की सोची। जब विक्रम रात मे सो रहे थे तब दुकानदार ने अपनी बेटी को उसकी सेवा के लिए भेजा और जब उसे नींद आने लगी तब उसने अपने गहने उतारकर मोर के तस्वीर के साथ (Shanidev Anger On king Vikramaditya) लगी कील पर टांग दिया। तस्वीर में बने मोर ने कन्या के गहने खा लिए, जिसके चलते विक्रम पर गहने चोरी करने का आरोप लगा और उसे वहां के राजा के पास ले गए। राजा ने विक्रम को दंड दिया। यही नहीं राजा विक्रमादित्य ने आगे और भी परेशानियों का सामना किया जिसके बाद विक्रम ने शनिदेव से माफी मांगी और यह निवेदन किया कि जैसा दुख उन्होंने झेला, वैसा दुख संसार में किसी और को न मिले। शनिदेव ने विक्रम की बात मान ली और उन्हें माफ कर दिया।

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