हवाई सुरक्षा में भारत इतना फिसड्डी क्यों ?
हवाई यात्रा सुरक्षा में भारत क्यों पिछड़ा?
अहमदाबाद में विमान दुर्घटना के तत्काल बाद कई शुभचिंतकों और मित्रों ने बात करते हुए सलाह देने की मुद्रा में यह जरूर कहा कि आप बहुत ज्यादा हवाई यात्रा करते हैं। उन्होंने सीधे तो नहीं कहा लेकिन उनके कहने का मतलब विमानन सुरक्षा को लेकर ही था, मैंने उन्हें समझाया कि यह एक दुर्घटना है। वास्तव में हवाई यात्रा अब भी सबसे सुरक्षित माध्यम बना हुआ है। आंकड़ों का विश्लेषण करें तो यह पता चलता है कि दुनिया के स्तर पर हवाई यात्रा में मरने की आशंका 1 करोड़ 10 लाख यात्रियों में से केवल एक होती है जबकि सड़क दुर्घटना में मरने की आशंका अपेक्षाकृत बहुत ज्यादा होती है।
हवाई यात्रा के सुरक्षित होने को लेकर मैंने उन्हें कई और आंकड़े दिए। मसलन, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में पिछले साल 1 लाख 80 हजार लोगों की मौत हुई। भारत में ट्रेन यात्राओं में भी औसतन हर साल 20 हजार लोगों की मौतें होती हैं। इन आंकड़ों को देखें तो हवाई यात्रा बिल्कुल महफूज नजर आती है लेकिन कुछ सवाल मेरे मन को लगातार मथते रहते हैं। अहमदाबाद की हवाई दुर्घटना के बाद तो सवालों ने और भी उधम मचाना शुरू कर दिया है। विमान यात्रियों के आंकड़ों के पैमाने पर देखें तो भारत इस समय दुनिया में तीसरे नंबर पर है। सबसे ज्यादा यात्री अमेरिका में उड़ान भरते हैं और दूसरे क्रम पर चीन है। तीसरे नंबर पर भारत है, मार्च 2025 में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में डोमेस्टिक यानी देश के अंदर हवाई यात्रा करने वालों की संख्या 16 करोड़ 54 लाख तक पहुंच चुकी थी।
वर्ष 2023-24 की तुलना में यह आंकड़ा 7.6 प्रतिशत ज्यादा है। यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ते ही जाना है क्योंकि बहुत सारे छोटे शहरों में एयरपोर्ट होने के बावजूद विमान सेवाएं शुरू होने का इंतजार है। तो फिर हवाई यात्रा की सुरक्षा के मामले में भारत अभी भी इतना फिसड्डी क्यों हैं? मैं फिसड्डी इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हम 48 वें नंबर पर हैं। सामान्य रूप से इस बात पर हम भारतीय सुकून व्यक्त कर सकते हैं कि 2018 में हम 102 नंबर पर थे और 2022 में 48 वें नंबर पर आ गए थे लेकिन मेरा सवाल है कि जब हम हवाई यात्रियों की संख्या में इतना ऊपर हैं तो हमें सुरक्षा के मामले में भी उतना ही चाक-चौबंद होना चाहिए। बहुत पुराने नियमों को भारत सरकार ने 2024 में बदल दिया था। उससे बहुत फर्क पड़ने की संभावना है लेकिन छोटी-छोटी बातें बड़ी आशंकाओं को जन्म देती हैं।
मैं नागपुर एयरपोर्ट का ही एक उदाहरण देता हूं, छत की सीलिंग का एक हिस्सा अचानक एक दिन गिर गया। सौभाग्य से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ लेकिन कुछ यात्रियों को चोटें जरूर आईं। विमानन क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि वहां हर चीज के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाती है, तो फिर छत की सीलिंग कैसे गिरी? कहीं न कहीं निर्माण कार्य में गड़बड़ हुई थी। इस तरह की और भी बहुत सारी घटनाएं हैं। अभी एयर इंडिया का जो विमान अहमदाबाद से उड़ान भरते ही दुर्घटना का शिकार हो गया था उसके कारण तो अभी सामने आना बाकी हैं कि वास्तव में हुआ क्या? मगर उसी दिन, उसी विमान में दिल्ली से अहमदाबाद की यात्रा के दौरान एक यात्री ने जो वीडियो बनाया वह खतरनाक था। वीडियो में दिख रहा है कि कोई भी बटन काम नहीं कर रहा है। एसी नहीं चलने से यात्री परेशान हैं।
अहमदाबाद पहुंचने के बाद क्या उसकी जांच की गई थी? यदि कहीं कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो मतलब साफ है कि कहीं न कहीं कोई चूक तो हुई है। एविएशन क्षेत्र में चूक के कई बड़े उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। भारत में हुई कुछ विमान दुर्घटनाओं की मैं आपको याद दिलाता हूं ताकि आप स्थिति को समझ सकें। 1978 में नए साल के पहले दिन दुबई जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट मुंबई से उड़ान भरते ही समंदर में जा गिरी। उस बोइंग 747 विमान में सवार सभी 213 लोग मारे गए। दुर्घटना का कारण तकनीकी खराबी और पायलट के भ्रमित रिएक्शन को माना गया। अप्रैल 1993 में औरंगाबाद में उड़ान भरते समय ही रनवे पर चलते ट्रक से इंडियन एयरलाइंस का एक विमान टकरा गया था।
ओवरलोडिंग और पायलट की चूक को दुर्घटना का कारण माना गया। कुछ और दुर्घटनाओं को याद कीजिए, अगस्त 2020 में कोझिकोड इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान विमान रनवे से आगे निकल कर घाटी में गिर गया। विमान के टुकड़े हो गए, 2 पायलटों समेत 21 यात्रियों की मौत हो गई। उससे पहले 1990 में इंडियन एयरलाइंस का एक विमान बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास गिरा और 92 यात्रियों की मौत हो गई। वहां भी पायलट की गलती सामने आई। मैं फ्रीक्वेंट फ्लायर हूं, अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि हमारे देश में हवाई यात्राएं उतनी ज्यादा सुखद और आरामदायक नहीं होतीं जितना कि विदेशी एयरलाइंस की यात्राओं में होती हैं। एयर टरब्युलेंस की बात तो छोड़ दीजिए, कई बार इतनी रफ लैंडिंग होती है कि यात्रियों का कलेजा मुंह को आ जाता है। बातें बहुत सारी हैं लेकिन संक्षेप में कहना चाहूंगा कि भारत में एविएशन इंडस्ट्री में कई बातों पर वास्तविक रूप से जीरो टॉलरेंस नीति के तहत ध्यान देने की जरूरत है।
क्या यह शर्मनाक नहीं है कि हमारा एक भी एयरपोर्ट टॉप 25 में नहीं है। व्यस्तता की दृष्टि से इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, दिल्ली दुनिया में 9वें नंबर पर है लेकिन यह भी बेहतरीन एयरपोर्ट्स की सूची में 32 वें नंबर पर है और अंतिम सवाल कि भारत में 2006 से 2024 के बीच दस एयरलाइंस बंद क्यों हो गईं? ऐसी बहुत सारी बातें हैं, बहुत सारे सवाल हैं लेकिन आप तो बगैर चिंता के हवाई यात्राएं कीजिए, यह सबसे तेज भी है और सबसे सुरक्षित भी है।